Wednesday, January 25

विभिन्न अंगों में कैसर के लक्षण एवं योग उपचार :







By- Dr.Kailash Dwivedi

जीभ और मुँह :
  • ठीक न होने वाला अलसर या धब्बा या रसौली बाद में जबड़े के नीचे या गर्दन की लसिका ग्रंथियों का सख्त हो जाना |
स्वर यंत्र :
  • आवाज़ का फट जाना, गर्दन में लसिका ग्रंथियों का सख्त हो जाना, खास तरह के शीशे से जांच करना ज़रूरी
श्वसनी : 
  • खाना निगलने में मुश्किल होना, गले में वृद्धि होना और गर्दन में लसिका ग्रंथियों का सख्त हो जाना
फेफड़े :
  • चिरकारी खॉंसी व बलगम में खून आना। छाती की एक्स रे फिल्म में व्याधि विकास दिख जाता है
ग्रासनली :
  • खाना निगलने में मुश्किल होना और ऐसा लगना कि खाना छाती में अटक गया है
अमाशय :
  • भूख न लगना, घंटों घंटों तक पेट भरा भरा सा लगता रहना, कभी कभी उल्टी आना, पेट के ऊपरी हिस्से में गांठ या रसौली महसूस हो सकती है, उल्टी में खून आ सकता है
आंतें और मलाशय :
  • मल में खून आना, मलत्याग की आदतों में बदलाव होना
स्तन :
  • स्तन में सख्त सी गांठ होना, त्वचा में ठीक न होने वाला अल्सर या वृद्धि, बगलों में लसिका ग्रंथियों में सूजन
गर्भाशय :
  • रक्तस्त्राव जो कि माहवारी से या गर्भावस्था से जुड़ा हुआ न हो, गर्भाशय ग्रीवा पर कोई असामान्य वृद्धि महसूस होना, पेट के निचले हिस्से में कोई वृद्धि महसूस होना
खून :
  • रक्तस्त्राव की प्रवृति, लिवर या तिल्ली का बढ़ जाना, बार बार संक्रमण होना
डिंबवाही ग्रंथियॉं :
  • पेट के निचले हिस्से में गांठ होना
वृषण :
  • वृषण या वृषण कोश में सूजन
शिश्न :
शिश्न की त्वचा पर मस्से जैसी या अनियमित वृद्धि और बीच बीच में खून निकलना
मूत्राशय :
  • बीच बीच में पेशाबद्वारा खून निकलना
पुरस्थ ग्रंथी :
  • पेशाब करने में परेशानी, थोड़ी थोड़ी पेशाब निकलते रहना, पेशाब में पीप, पुरस्थ और मलाशय में सख्त वृद्धि होना
लिवर/ जिगर :
  • बढ़ा हुआ लिवर, पीलिया या सफेद मल
हड्डियॉं :
  • हड्डियों से जुड़ी हुई सख्त वृद्धि, जल्दी जल्दी बढ़ती जाती है पर दर्द रहित होती है
लसिका ग्रंथियॉं :
  • कई जगहों में लसिका ग्रंथियों में सूजन, रबर जैसी हो जाना, बुखार और वजन घटना


यदि प्रारंभिक अवस्था में किसी भी प्रकार के कैंसर का पता चलता है ‍तो यह करें -

  • तीन से चार बारअनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए | 
  • रात्रि में भी सोने से पूर्व पांच मिनट अनुलोम-विलोम का अभ्यास करें तत्पश्चात प्रतिदिन क्रमश: कपालभाती, भस्त्रिका, नाड़ी शोधन प्राणायाम और पांच मिनट के ध्यान को दिनचर्या का हिस्सा बना लें।
इसके अतिरिक्त :
  • स्वच्छ हवा में रहें 
  • पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन करें 
  • प्राकृतिक आहार लें
  • जितनी भूख हो उससे कम खाएं
  • प्रातः खाली पेट 7 तुलसी पत्र + 4 नीम की कोमल पत्तियों के रस को 50 मिली. गेहूं के ज्वारा या एलोवेरा के साथ लें | (पत्तियों को चबाकर भी खा सकते हैं) इनका योग कीमोथेरेपी जैसा ही असर करेगा ।


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