Thursday, April 23

शक्ति चालिनी मुद्रा : SHAKTI CHALINI MUDRA

अथ शक्तिचालनीमुद्राकथनम्।
मूलाधारे आत्मशक्तिः कुण्डली परदेवता। शयिता भुजगाकारा सार्द्धत्रिवलयान्विता ॥४९॥
यावत् सा निद्रिता देहे तावज्जीवः पशुर्यथा। ज्ञानं न जायते तावत् कोटियोगं समभ्यसेत् ॥५०॥
उद्याट्येत् कवाटञ्च यथा कुञ्चिकया हठात्। कुण्डलिन्याः प्रबोधेन ब्रह्मद्वारं प्रभेदयेत् ॥५१॥
नाभिं संवेष्ट्य वस्त्रेण न च नग्नो बहिस्थितः। गोपनीयगृहे स्थित्वा शक्ति चालनमभ्यसेत् ॥५२॥
वितस्तिप्रमितं दीर्घं विस्तारे चतुरंगुलम्। मृदुलं धवलं सूक्ष्मं वेष्टनाम्बर लक्षणम् ॥५३॥
एवम्बरयुक्तं च कटिसूत्रेणयोजयेत्। भस्मनागात्र संलिप्तं सिद्धासनं समाचरेत् ॥५४॥
नासाभ्यां प्राणमाकृष्य अपानेयोजयेतवलात्। तावदाकुञ्चयेत् गुह्यं शनैरश्वनिमुद्रया ॥५५॥
यावद्गच्छेत् सुषुम्नायां वायुः प्रकाशयेत् हठात्। तदा वायुप्रबन्धेन कुम्भिका च भुजङ्गिनी ॥५६॥
बद्धश्वासस्ततोभूत्वा ऊर्ध्वमार्गं प्रपद्यते। शक्तोर्विनाचालनेन योनिमुद्रा न सिध्यति ॥५७॥
आदौ चालनमभ्यस्य योनिमुद्रं समभ्यसेत्। इति ते कथितं चण्डकापाले शक्तिचालनम्।५८॥
गोपनीयं प्रयत्नेन दिने दिने समभ्यसेत्। मुद्रेयं परमागोप्याजरामरणनाशिनी ॥५९॥
तस्मादभ्यासनं कार्यं योगिभिः सिद्धिकांक्षिभिः।  नित्यं योऽभ्यसेतेयोगी सिद्धिस्तस्य करेस्थिता।
तस्यविग्रहसिद्धिः स्याद् रोगाणां संक्षयो भवेत् ॥६०॥ श्रीघेरण्डसंहिता ||

महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित विधि :

  1. पदमासन अथवा सिद्धासन में बैठ जाएँ |
  2. हथेलियों को पृथ्वी पर टिका कर धीरे-धीरे दोनों नितम्बों को पृथ्वी से उठा – उठा कर ताड़न करें |
  3. 20-25 बार ताड़न करने के बाद मूलबन्ध लगा लें एवं दोनों नासिकाओं से या वायीं नासिका या फिर जो स्वर चल रहा हो उससे श्वास अंदर भरकर जालंधर बन्ध लगा लें तथा प्राणवायु को अपानवायु के साथ मिलाने की धारणा करते हुए अश्वनी मुद्रा करें (गुदाद्वार को बार-बार संकुचित कर ढीला छोड़ने की क्रिया को अश्वनी मुद्रा कहते हैं )|
  4. आराम से जितनी देर रोक सकते हैं उतनी देर श्वास अन्दर ही रोककर रखें,तत्पश्चात जालंधर बन्ध खोलकर यदि  दोनों नासिका से श्वास अन्दर भरी थी तो दोनों नासिका से और यदि एक नासिका से श्वास अंदर भरी थी तब उसके विपरीत नासिका से श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकाल दें एवं कुछ देर एकाग्र होकर शांत बैठ  जाएँ |

महर्षि घेरंड ने इस मुद्रा की विधि इस तरह से बताई है 
  1. आठ अंगुल लंबा और चार अंगुल चौड़ा मुलायम वस्त्र लेकर नाभि पर लगाएं और कटिसूत्र में बांध लें| फिर शरीर में भस्म रमाकर सिद्धासन में बैठें और प्राणवायु को अपानवायु से मिलाएं | 
  2. जब तक गुदा द्वार से चलती हुई वायु(अपान) प्रकाशित न हो, तब तक गुदा द्वार को संकुचित रखें (मूलबन्ध लगायें)| इससे वायु का जो निरोध होता है, उसमें कुम्भक के द्वारा कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होती हुई सुषुम्ना मार्ग से सहस्रार में अवस्थित हो जाती है| 
  3. प्राण-अपान को संयुक्त करने की क्रिया प्राणवायु को पूरक द्वारा भीतर खींचने और उड्डीयान बंध से अपान वायु को ऊपर की ओर आकर्षित करने से पूर्ण होती है| इसमें गुह्य प्रदेश के संकोच और विस्तार का अभ्यास (अश्वनी मुद्रा) होने से अधिक सरलता दोनों वायु का मिलन हो जाता है |

सावधानियां : 

  • शक्ति चालिनी मुद्रा के अभ्यास काल में हल्का सुपाच्य आहार लेना चाहिए |
  • कोई भी क्रिया क्षमता से अधिक करने पर हानिकारक सिद्ध हो सकती है अतः सावधानी पूर्वक शक्ति के अनुसार ही अभ्यास करें |

मुद्रा करने का समय व अवधि : 

  • शक्ति चालिनी मुद्रा का अभ्यास खाली पेट प्रातः एवं सायं के समय करना सर्वोत्तम है |
  • प्रारंभ में इस मुद्रा को 20 बार कर सकते हैं,अभ्यास हो जाने पर धीरे-धीरे संख्या बढ़ाई जा सकती है |

चिकित्सकीय लाभ : 

  1. इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर के समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं |
  2. यह मुद्रा गुदा रोगों में अत्यंत लाभकारी है |
  3. इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से यौन संबंधी रोग समाप्त होते हैं और वीर्य उर्ध्वगामी होता है।
  4. शक्ति चालिनी मुद्रा करने से नपुसंकता जैसा रोग भी समूल नष्ट हो जाता हैं।
  5. यह मुद्रा वृद्धावस्था को रोकती है एवं शरीर की खूबसूरती बढ़ाती है |
  6. शक्ति चालिनी मुद्रा के अभ्यास से स्त्रियों के भी समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं एवं उनकी सुन्दरता में भी वृद्धि होती है |

आध्यात्मिक लाभ : 
पूरक करने के बाद उड्डियान बन्ध में अश्वनी मुद्रा करने से सुषुम्ना नाड़ी में प्राण का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है जिससे यह मुद्रा कुण्डलिनी जागरण में अत्यंत सहायक सिद्ध होती है |

4 comments:

  1. I once regularly practiced this mudra and it gave me innumerable benefits. The biggest benefit is it controls the sexual impulse and people who suffer from masturbation addiction , it helps to cure it.

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  2. I practice simple yoga practices. I got inspired by the above and will practice the above. Thank you🙏🙏 for inspiration.

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  3. I do yoga practices and have also started practising ashwani mudra. Let me see the results. Thank you Sir..

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