Wednesday, December 7

जानिए, पुरुष रोगों में बरगद के आश्चर्यजनक लाभ



शक्तिवर्द्धक :
  • बरगद के पेड़ के फल को सुखाकर बारीक पाउडर लेकर मिश्री के बारीक पाउडर मिला लें। रोजाना सुबह इस पाउडर को 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन से वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन आदि रोग दूर होते हैं।
  • बरगद के पके हुए फल और पीपल के फल को सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें इस 25 ग्राम चूर्ण को 25 ग्राम घी में भूनकर, हलवा बना लें इसे सुबह-शाम खाने से ऊपर से बछड़े वाली गाय का दूध पीने से विशेष बल वृद्धि होती है। अगर स्त्री-पुरुष दोनों खायें तो रस वीर्य शुद्ध होकर सुन्दर सन्तान जन्म लेती है।
  • बरगद की सूखी कोपलों के पाउडर में मिश्री मिलाकर 7 दिन तक रोज बिना खाना-खाये ही 7 से 10 ग्राम तक दूध की लस्सी के संग खायें इससे वीर्य का पतलापन मिटता है।
शीघ्रपतन :
  • सूर्योदय से पहले बरगद़ के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में 3-4 बूंद टपकाकर खा लें। एक बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बताशे खाकर पूरा करें। हर हफ्ते 2-2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5-6 हफ्ते तक यह प्रयोग जारी रखें। इसके नियमित सेवन से शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, प्रमेह, खूनी बवासीर, रक्त प्रदर आदि रोग ठीक हो जाते हैं और यह प्रयोग बलवीर्य वृद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी है।
यौनशक्ति और स्तम्भ बढ़ाने हेतु :
  • बरगद के पके फल को छाया में सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बराबर मात्रा की मिश्री के साथ मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट और सोने से पहले एक कप दूध से नियमित रूप से सेवन करते रहने से कुछ हफ्तों में यौन शक्ति में बहुत लाभ मिलता है।
नपुंसकता :
  • बताशे में बरगद के दूध की 5-10 बूंदे डालकर रोजाना सुबह-शाम खाने से नपुंसकता दूर होती है।
  • 3-3 ग्राम बरगद के पेड़ की कोंपले (मुलायम पत्तियां) और गूलर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर लुगदी सी बना लें फिर इसे तीन बार मुंह में रखकर चबा लें और ऊपर से 250 ग्राम दूध पी लें। 40 दिन तक खाने से वीर्य बढ़ता है और संभोग से खत्म हुई शक्ति लौट आती है।
प्रमेह :
  • बरगद के दूध की पहले दिन 1 बूंद 1 बतासे डालकर खायें, दूसरे दिन 2 बतासों पर 2 बूंदे, तीसरे दिन 3 बतासों पर 3 बूंद ऐसे 21 दिनों तक बढ़ाते हुए घटाना शुरू करें। इससे प्रमेह और स्वप्न दोष दूर होकर वीर्य बढ़ने लगता है।
  • प्रमेह रोग में बरगद की ताजी छाल के बारीक पाउडर में चीनी मिलाकर 4 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है। बार-बार वीर्य के निकलने पर इसके अंदर चीनी न मिलायें।
  • 400 ग्राम बरगद के कोमल पत्ते और 200 ग्राम बहुफली को खूब शर्बत की तरह घोट-छानकर कलईदार बर्तन में पकायें, पकने पर जब यह गाढ़ा हो जाये तो इसे नीचे उतारकर इसमें थोड़ा वंशलोचन या इमली के बीजों की गिरी मिलाकर 125 से 300 मिलीग्राम की गोलियां बना लें। रोजाना यह 1-2 गोली खाकर ऊपर से ताजा गाय का दूध पीने से प्रमेह, धातु (वीर्य) क्षीणता, स्वप्नदोष आदि रोग दूर होते हैं। मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) में भी यह प्रयोग लाभकारी है।
  • लगभग ढाई किलो बरगद के पीले पके पत्ते लेकर, 15 लीटर पानी में 3-4 दिन भिगोने के बाद पका लें। पकने पर थोड़ा पानी बचने पर उसे मसलकर छान लें, पानी को दोबारा गाढ़ा होने तक पकायें, अब नीचे उतारकर इसमें 3 से 6 ग्राम गिलोय का सत व प्रवालपिष्टी तथा 2 ग्राम छोटी इलायची के बीज को पीसकर मिलायें। फिर इसकी 250 मिलीग्राम की गोली बनाकर सुबह-शाम 1-1 गोली गाय के दूध या पानी के साथ सेवन करने से प्रमेह रोग में लाभ होता है।
  • 4 ग्राम बरगद की जटा के चूर्ण को सुबह-शाम ताजे पानी के साथ खाने से प्रमेह, पेशाब के धातु आना और स्वप्नदोष आदि रोग दूर हो जाते हैं।
  • 10-20 ग्राम बरगद के पके फलों के चूर्ण को मिश्री मिलाये हुए दूध के साथ खाने से प्रमेह रोग में फायदा होता है। यह पौष्टिक व धातुवर्धक होता है।
वीर्य रोग में :
  • बरगद के फल छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। गाय के दूध के साथ यह 1 चम्मच चूर्ण खाने से वीर्य गाढ़ा व बलवान बनता है।
  • 1 भाग बरगद की कोंपल (मुलायम पत्तियां), 1 भाग गूलर की छाल और 2 भाग चीनी मिलाकर चूर्ण बना लें। 21 दिन तक 10 ग्राम चूर्ण रोजाना दूध के साथ खाने से वीर्य गाढ़ा होता है।
  • 25 ग्राम बरगद की कोपलें (मुलायम पत्तियां) लेकर 250 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब एक चौथाई पानी बचे तो इसे छानकर आधा किलो दूध में डालकर पकायें। इसमें 6 ग्राम ईसबगोल की भूसी और 6 ग्राम चीनी मिलाकर सिर्फ 7 दिन तक पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
  • बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से वीर्य के शुक्राणु बढ़ते है।
सुजाक :
  • छाया में सुखाई हुई बरगद की छाल के पाउडर को 3 ग्राम शर्बत बजूरी या साधारण पानी के साथ लेने से सुजाक रोग में लाभ होता है।
उपदंश (सिफलिस):
  • बरगद की जटा के साथ अर्जुन की छाल, हरड़, लोध्र व हल्दी को समान मात्रा में लेकर पानी में पीसकर लेप लगाने से उपदंश के घाव भर जाते हैं।
  • बरगद का दूध उपदंश के फोड़े पर लगा देने से वह बैठ जाती है। बड़ के पत्तों की भस्म (राख) को पान में डालकर खाने से उपदंश रोग में लाभ होता है।
    ज्यादा पेशाब का आना :
  • बड़ की छाल के चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में एक कप पानी के साथ दिन में 3-4 बार रोज खाने से बार-बार पेशाब आने के रोग में फायदा होता है।
  • बरगद के फल के बीज को बारीक पीसकर 1 या 2 ग्राम तक सुबह के समय गाय के दूध के साथ मिलाकर रोज खाने से बार-बार पेशाब आने का रोग ठीक हो जाता है।

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