- प्रातः चाय काफी के बजाय नींबू पानी लेना चाहिए ।
- निश्चित समय पर निश्चित मात्रा में भोजन करना चाहिए स्वाद के चक्कर में ज्यादा नही खाना चाहिए |
- ईश्वर ध्यान के बाद भोजन ग्रहण करना तथा भोजन के समय प्रसन्नचित्त रहना चाहिए ।
- जिस भोजन को देखने से घृणा/अरूचि हो ऐसा भोजन सिर्फ ऐसा सोचकर कि पेट ही तो भरना है,नहीं खाना चाहिए।
- बासी भोजन नही करना चाहिए इससे आलस्य और स्मरण शक्ति में कमी होती है।
- शरीर के तापमान से थोड़ा अधिक गर्म भोजन लाभकारी है, यह जल्दी पचता है वायु निकालता है जठराग्नि प्रदीप्त करता है एवं कफ शुद्ध करता है।
- जली हुई रोटी सारहीन होती है। कच्ची रोटी पेट में दर्द अजीर्ण उत्पन्न करती है अतः इनसे बचना चाहिए ।
- अधिक गर्म या अधिक ठण्डा दोनों प्रकार का भोजन दांतों के लिए हानिकारक होता है।
- भोजन में बीच में कम-से कम छः घन्टे का अंतर रखना चाहिए ।
- शांतचित्त से भोजन करना चाहिए, भोजन करते समय टी.वी, देखना,पढ़ना, चर्चा करना निषिद्ध है | भोजन करने में कम-से कम 30 मिनट का समय लगाना चाहिए।
- ध्यान रहे - भोजन में सब्जियों और फल या सलाद की मात्रा गेहूँ, चावल,दाल से तीन गुनी होनी चाहिए।
- ठूस-ठूस कर नही खाएं, थोड़ी भूख रहे तभी भोजन बंद कर देना चाहिए।
- दोपहर का भोजन के बाद दस बीस मिनट लेटकर विश्राम करना चाहिए। पर सोना नहीं चाहिए |शाम को भोजन के बाद कम से कम 20 मिनट टहलना चाहिए।
- रात्रि भोजन सोने से कम से कम दो घंटे पहले कर लेना चाहिए।
By- Dr. KAILASH DWIVEDI (Naturopath) Medical Officer- Keshav Prakratik Chikitsa evam Yog Sansthan, Vrindavan, Mathura U.P.
Monday, April 20
भोजन के सम्बन्ध में यह बाते ध्यान रखें !
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