सर्वरोग नाशक तुलसी योग :
बड़ों के लिए 25 से 100 पत्ते एवं बालकों के लिए 5 से 25 पत्ते एक बार पीसकर शहद या गुड़ या एक कप दही में मिलाकर प्रतिदिन 3 बार 2-3 महीनों तक लेनी चाहिए। सुबह भूखे पेट पहली मात्रा लेनी चाहिए। इससे कैंसर, गठिया, आर्थराइटिस, ऑस्टियों आर्थराइटिस, स्नायुशूल (नाड़ी का दर्द), गुर्दों की खराबी व सूजन, पथरी, सफेद दाग, रक्त में चर्बी बढ़ना, मोटापा, कब्ज, गैस, अम्लता, पेचिश, कोलाइटिस, प्रोस्टेट के रोग, मंद बुद्धि बच्चे, सर्दी-जुकाम, प्रदाह, बार-बार बुखार आना, टूटी हुई हडि्डयां, घाव न भरना, कैंसर, बिवाइयां, दमा, श्वास रोग, एलर्जी, आंखों का दुखना, विटामिन `ए` और `बी` की कमी, खसरा, सिरदर्द, आधे सिर का दर्द आदि सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।
फोड़ा : तुलसी के पत्ते पानी में उबालकर फोड़े को धोएं और तुलसी के पत्ते को पीसकर फोड़े पर लगाएं। इससे फोड़े पककर सूख जाते हैं।
बाल झड़ना एवं सफेद होना : यदि कम आयु में बाल गिरते हों या सफेद हो गए हों तो तुलसी के पत्तों का रस व आंवले का चूर्ण पानी में मिलाकर सिर पर लगाएं। यह लेप सिर पर लगाने के 10 मिनट बाद सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की जड़े मजबूत होती है और बालों का सफेद होना समाप्त होता हैं। ध्यान रखें कि लगाते व सिर धोते समय इसका पानी आंखों में नहीं जाना चाहिए।
बवासीर (अर्श) : बवासीर के रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों को पीसकर बवासीर पर लेप करना चाहिए। इसका प्रयोग प्रतिदिन करने से बवासीर के मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।
मच्छरों से बचाव : तुलसी के पत्तों का रस शरीर पर लगाने से मच्छर नहीं काटता।
कॉलेस्ट्राल का बढ़ना : यदि खून में कॉलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ गई हो तो तुलसी का रस पीने से खून में कॉलेस्ट्राल की अधिक मात्रा सामान्य होती है।
एलर्जी, एक्जिमा : एलर्जी या एक्जिमा से प्रभावित अंग पर तुलसी के पत्तों का रस लगाने से एलर्जी व एक्जिमा समाप्त होता है।
थकावट अधिक होना : 50 तुलसी के पत्ते 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर चीनी मिलाकर पीने से थकान दूर होकर स्फूर्ति बनी रहती है।
गुर्दे की पथरी : तुलसी गुर्दों की कार्यक्षमता को बढ़ाती है। एक चम्मच तुलसी के रस में 2 चम्मच शहद और 3 चम्मच पानी मिलाकर लगातार 4-6 महीने तक पीते रहने से पथरी गलकर निकल जाती है।
याददाश्त का कम होना : तुलसी के नियमित सेवन करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और दिमाग तेज होता है। लगभग तुलसी के रस का सेवन एक साल तक करना चाहिए।
चेहरे दाग-धब्बे व काले घेरे : तुलसी के पत्तों पर नींबू निचोड़कर बारीक पीसकर लें और चेहरे के दाग-धब्बे, काले दाग पर प्रतिदिन लेप करना चाहिए। इससे दाग, धब्बे, काले घेरे आदि समाप्त होते हैं।
कैंसर : तुलसी के 40 पत्ते पीसकर एक कप छाछ के साथ सुबह-शाम 2 बार प्रतिदिन खिलाने से कैंसर रोग ठीक होता है। ध्यान रखें कि औषधि सेवन करने के आधे घंटे के बाद नाश्ता करना चाहिए। कैंसर के रोगी को दूध, दही का अधिक सेवन करें और तेल, लालमिर्च आदि का सेवन न करें।
पसीना बंद होना : यदि किसी कारण से पसीना आना बंद हो गया हो तो तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिलाने से पसीना आने लगता है।
गले का दर्द : तेज बोलने से गले मे दर्द हो तो तुलसी के 20 पत्ते को पीसकर 1 चम्मच शहद मिलाकर चाटें। इससे गले का दर्द ठीक होता है।
फोड़े-फुंसियां, बालतोड़ : यदि बाल टुटने के कारण जख्म बन गया हो जो तुलसी के पत्ते को पानी में उबालकर उस जख्म को धोएं और तुलसी के ताजा पत्ते को पीसकर जख्म पर लगाएं। इससे जख्म जल्दी भर जाता है। यह फोड़े-फुंसियों के लिए भी उपयोग किया जाता है।
क्षय (टी.बी.) होने पर : तुलसी के 10 पत्ते, 5 कालीमिर्च पीसकर शहद में मिलाकर प्रतिदिन चाटना चाहिए। इसे चाटने से क्षय (टी.बी.) की गांठ ठीक हो जाती है।
नाक में फुन्सी : तुलसी के 100 पत्ते को थोड़े से पानी के साथ मिलाकर पीस लें और दाल के बराबर कपूर मिलाकर नाक में फुंसी पर लगाने से फुंसी ठीक होती है। यह गले हुए दांतों व खड्डे में रुई से लगाने पर दांतों का दर्द ठीक होता है।
प्यास लगने पर : प्यास अधिक लगे तो तुलसी के पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर, नींबू निचोड़कर, मिश्री मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
वात के रोग : तुलसी के पत्तों को उबालने से उत्पन्न भाप को वात (गैस) के कारण जिस अंग में दर्द हो रहा हो उस अंग पर भाप लेने से दर्द में आराम मिलता है।
पित्ती उछलना: चौथाई चम्मच तुलसी के बीज एक आंवले के मुरब्बे पर डालकर प्रतिदिन 2 बार खाने से पित्ती उछलना ठीक होता है।
अनिद्रा (नींद का न आना) : तुलसी के 5 पत्तों को खाएं और 100 पत्ते तकिए के आस-पास फैलाकर सोना चाहिए। इससे रात को नींद अच्छी आती है।
नपुंसकता : धातु दुर्बलता में तुलसी के बीज एक ग्राम दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने नपुंसकता दूर होती है और कामशक्ति बढ़ती है।
स्वरभंग (गला बैठना) : तुलसी की जड़ को मुलेठी की तरह चूसते रहने से स्वरभंग ठीक होता है।
दांत के दर्द में : तुलसी के पत्ते को पीसकर उसकी गोलियां बनाकर इन गोली को दर्द वाले दांत के नीचे दबाकर रखने से दांत का दर्द ठीक होता है।
फेफड़ों के रोग : फेफड़े में कफ जमा हो तो तुलसी के सूखे पत्ते, कत्था, कपूर और इलायची समान मात्रा में लेकर 9 गुना चीनी मिलाकर बारीक पीस लें। इसे चुटकी भर की मात्रा में लेकर सुबह-शाम सेवन करने से फेफड़े में जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता है।
गैस्ट्रिक अल्सर : तुलसी के पत्तों को खाने या रस को पीने से पैप्टिक अल्सर और तनाव से पैदा होने वाले रोग ठीक होता है।
सिर की रूसी : वनतुलसी का रस सिर में लगाने से सिर की रूसी समाप्त होती है।
पेट में गैस बनना : तुलसी के 4 पत्ते, 4 लौंग और 2 कालीमिर्च को मिलाकर 1 कप पानी के साथ काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे पेट की गैस दूर होती है और दर्द भी समाप्त होता है।
मुंह की दर्गन्ध : मुंह से बदबू आने पर तुलसी के पत्तों को प्रतिदिन भोजन करने के बाद चबाने से मुंह से आने वाली बदबू दूर होती है।
मूत्ररोग : तुलसी के पत्ते को पीस कर मिश्री मिले शर्बत में घोटकर सेवन करने से बार-बार पेशाब का आना बंद होता है।
मासिकधर्म : तुलसी की जड़ को छाया में सुखाकर पीसकर चौथाई पान में रखकर खाने से अनावश्यक रक्त-स्राव बंद हो जाता है।
गुर्दे का दर्द व अन्य रोग : 20 ग्राम तुलसी के सूखे पत्ते, 20 ग्राम अजवायन और 10 ग्राम सेंधानमक मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ खाने से गुर्दे का तेज दर्द दूर होता है। इससे गुर्दे का अन्य रोग भी दूर होता है।
लकवा : तुलसी के पत्ते और सेंधा नमक को पीसकर लेप की तरह पीड़ित भाग पर लगाने से लकवा ठीक होता है।
मोच या चोट लगने पर: तुलसी के पत्तों का रस तथा सरसों का तेल मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद मोच या चोट पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है और सूजन हो गई हो तो सूजन दूर होती है।
लू (गर्मी) का लगना : तुलसी के पत्तों का चूर्ण लगभग 5 ग्राम, पिप्पली का चूर्ण लगभग 3 ग्राम और नमक 5 ग्राम लेकर पानी में उबालकर पीने से लू का असर समाप्त होता है।
पेट के कीड़े : तुलसी के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस को प्रतिदिन सुबह-शाम गर्म करके बच्चे को पिलाने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
आमवात (गठिया, घुटनों के दर्द में) : तुलसी के पत्तों के रस में अजवायन मिलाकर खाने से गठिया रोग नष्ट होता है।
हृदय की कमजोरी में : सर्दी के मौसम में तुलसी के 7 पत्ते, 4 काली मिर्च और 4 बादाम इन सबको ठंडाई की तरह पीसकर आधा कप पानी में घोल कर प्रतिदिन पीने से हृदय को शक्ति मिलती है।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) : 4 तुलसी की पत्तियों, 2 नीम की पत्तियां 2-4 चम्मच पानी के साथ घोटकर 5-7 दिनों तक लगातार सुबह-सुबह खाली पेट पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
मिर्गी (अपस्मार) होना : तुलसी के हरे पत्ते को पीसकर मिर्गी से पीड़ित रोगी के शरीर पर प्रतिदिन लगाने से मिर्गी में आराम मिलता है।
घमौरियां होना : तुलसी की लकड़ी को पीसकर चंदन की तरह शरीर पर मलने से गर्मी के मौसम में होने वाली घमौरियां समाप्त होती है।
नाड़ी का छुटना : तुलसी के पत्तों का रस, मकरध्वज 240 मिलीग्राम और 360 मिलीग्राम कस्तूरी को शहद में मिलाकर सेवन करने से नाड़ी का छुटना दूर होता है।
चेहरे की दाग-दब्बे, कील, मुंहासे, झांइयां : चेहरे पर काली झांइयां हो तो सुबह पोदीने को पीसकर चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे बाद पानी से धोकर साफ कर लें। शाम को तुलसी के पत्तों को पीसकर चेहरे पर लेप करें और आधा घंटे बाद पानी से चेहरे को धोकर साफ कर लें। इस तरह 3 महीने तक लगातार करने से चेहरे की झांइया मिटकर चेहरा साफ होता है।
कण्ठमाला : तुलसी के पत्ते, नागरमोथा और नागरबेल के पत्तों को पानी में पीसकर पीने से गण्डमाला अर्थात गले की गांठे ठीक होती है।
उल्टी एवं दस्त : 120 मिलीग्राम चौकिया सुहागा, तुलसी के पत्तों के रस के साथ पीस लें और शहद मिलाकर मूंग के बराबर की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसमें से 1-1 गोली पानी के साथ खाने से उल्दी व अतिसार बंद होता है। इसका सेवन आवश्यकता के अनुसार दिन में 2 से 3 बार कर सकते हैं।
शरीर को ताकतवर बनाना : तुलसी के बीज या पत्ते को भूनकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण के बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर लगभग 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली गाय के दूध के साथ सुबह-शाम लेने से शरीर में भरपूर ताकत आती है।
टांसिल का बढ़ना : तुलसी के 4-5 पत्तों को पानी में उबालकर गरारे करने से गले का दर्द ठीक होता है और टांसिल की सूजन दूर होती है।
बुखार और जुकाम : 20 तुलसी के पत्ते, 20 कालीमिर्च, 9 ग्राम अदरक और 2 ग्राम दालचीनी को 50 मिलीलीटर पानी में पकाकर चाय बना लें। इसमें 25 ग्राम मिश्री या चीनी मिलाकर दिन में 2-3 बार बुखार से पीड़ित रोगी को पिलाएं। इससे सामान्य बुखार दूर होता है।
पित्त ज्वर : पित्त ज्वर से पीड़ित रोगी को यदि अधिक घबराहट हो रही हो तो उसे तुलसी के पत्तों का शर्बत बनाकर पिलाना चाहिए। इससे पित्त ज्वर ठीक होता है।
चेचक (बड़ी माता) : सुबह के समय रोगी को तुलसी के पत्तों का रस आधा चम्मच की मात्रा में पिलाने से चेचक के रोग में लाभ मिलता है।
सन्निपात ज्वर : तुलसी के ताजे पत्ते 25 ग्राम और कालीमिर्च 1 ग्राम को पानी के साथ पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर छाया में सूखा लें। यह 1-1 गोली पानी के साथ सुबह-शाम सेवन कराने से सान्निपात ज्वर में लाभ मिलता है।
हिचकी : तुलसी के पत्तों का रस 2 चम्मच और शहद 1 चम्मच मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से हिचकी दूर होती है।
कान का दर्द : तुलसी के पत्तों के रस को हल्का गर्म करके थोड़ा सा कपूर मिलाकर कान में 2-3 बूंद डालने से कान का दर्द समाप्त होता है।
कान की सूजन व गांठ : तुलसी के पत्ते और एरण्ड के ताजे मुलायम पत्ते बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें और फिर इसमें थोड़ा सा नमक मिलाकर कान के पीछे लगाएं। इससे कान की सूजन दूर हो जाती है और गांठे ठीक होती है। इसका उपयोग कनफेडा रोग में भी किया जाता है।
बहरापन (कम सुनाई देना) : तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके प्रतिदिन कान में डालने से बहरापन दूर होता है।
दाद : तुलसी के पत्तों का रस और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में 2 से 3 बार दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है। इसके उपयोग से खाज-खुजली, मुंहासे, काले धब्बे, झांई आदि त्वचा के रोग ठीक होते हैं।
उल्टी होना : तुलसी के पत्तों का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टी बंद होती है।
दांतों का दर्द : तुलसी के पत्ते, कालीमिर्च और कपूर को पीसकर दर्द वाले दांतों के बीच दबाकर रखने से दांतों का दर्द ठीक होता है।
सर्दी-जुकाम : तुलसी के पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3-4 बार सेवन करने से सर्दी, जुकाम व खांसी दूर होती है।
वीर्यवृद्धि हेतु : तुलसी के बीजों का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में पुराने गुड़ के साथ मिलाकार खाएं और इसके बाद 1 कप दूध पीएं। इसका सेवन नियमित रूप से सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ महीनों तक लेने से सेक्स सम्बंधी धातु की वृद्धि होती है। इससे नपुंसकता (नामर्दी) और शीघ्रपतन (धातु का शीघ्र निकल जाना) की समस्याएं दूर हो जाती है।
स्वप्नदोष : तुलसी की जड़ का काढ़ा 4-5 चम्मच की मात्रा में रात को सोने से पहले नियमित रूप से कुछ सप्ताह तक पीने से स्वप्नदोष से छुटकारा मिलता है।
शीघ्रपतन : तुलसी की जड़ या बीज चौथाई चम्मच की मात्रा में पानी में रात को भिगोकर रख दें और सुबह उसका सेवन करें। इससे शीघ्रपतन दूर होकर वीर्य पुष्ट (गाढ़ा) होता है।
चक्कर आना : तुलसी का रस, अदरक का रस व शहद मिलाकर सेवन कराने से चक्कर आना बंद होता है।
सिर का दर्द : यदि आधे सिर का दर्द सूर्योदय के साथ शुरू होता है और सूर्यास्त के साथ समाप्त होता है तो एक चौथाई चम्मच तुलसी के बीजों को पीसकर शहद में मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से आधे सिर का दर्द ठीक होता है।
नकसीर (नाक से खून का आना) : तुलसी के पत्तों का रस निकालकर 3-4 बूंद नाक में टपकाने से कुछ दिनों में नाक से खून आना बंद हो जाता है।
बच्चों के दस्त रोग : 2 चम्मच तुलसी का रस और 2 चम्मच मिश्री मिलाकर दिन में 3-4 बार बच्चे को पिलाने से दस्त रोग ठीक होता है। यह दस्त में आंव व खून आना बंद करता है।
मस्तिष्क की गर्मी : रोगी को प्रतिदिन तुलसी के 5 पत्ते और कालीमिर्च को पीसकर 1 गिलास पानी में मिलाकर सुबह पीना चाहिए। इससे मस्तिष्क की गर्मी दूर होती है।
मिर्गी : तुलसी के पत्ते को पीसकर मिर्गी से पीड़ित रोगी के पूरे शरीर पर मालिश करें। इसके उपयोग से मिर्गी के दौरे शांत होते हैं।
मुर्च्छा (बेहोशी) : तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उस रस में नमक मिलाकर नाक में डालने से बेहोशी दूर होती है।
मलेरिया का बुखार : प्रतिदिन तुलसी के पत्ते सेवन करने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है। मलेरिया के बुखार से पीड़ित रोगी का जब बुखार उतर जाए तो उसे सुबह के समय तुलसी के 15 पत्ते और 10 कालीमिर्च खिलाना चाहिए। इससे मलेरिया का बुखार दुबारा नहीं होता।
खांसी, बलगम : तुलसी के सूखे पत्ते, कपूर, कत्था व इलायची बराबर-बराबर में लें और फिर इस मिश्रण में 9 गुना चीनी मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे चुटकी भर की मात्रा में सुबह-शाम दिन में 2 बार सेवन करने से खांसी-जुकाम, गले की सूजन में आराम मिलता हैं और फेफड़ों में जमा हुआ कफ निकलकर खांसी ठीक होती है।
गले की खराश : यदि गले में खराश खट्टी चीजे खाने से हो तो 25 तुलसी के पत्ते और अदरक पीसकर शहद में मिलाकर चाटें। इसके प्रयोग से गले की खराश दूर होती है।
अग्निमांद्य (पाचनशक्ति का कमजोर होना) : तुलसी के ताजे पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर प्रतिदिन भोजन करने के बाद पीएं। इससे कब्ज दूर होकर पाचनशक्ति मजबूत होती है। प्रतिदिन भोजन करने के बाद केवल तुलसी के 5 पत्ते सेवन करने से भोजन आसानी से पच जाता है।
सर्दी-जुकाम : 10 तुलसी के पत्ते और 5 कालीमिर्च को पानी में मिलाकर चाय की तरह बनाएं। फिर इसमें थोड़ा सा गुड़ और देशी घी या सेंधानमक डालकर पीएं। इससे सर्दी-जुकाम में लाभ मिलता है।
बच्चों के दांत निकलना : तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर बच्चे के मसूढ़े पर लगाने से और थोड़ा सा चटाने से दांत निकलते समय होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
पेचिश (संग्रहणी, दस्त में आंव व खून आना) : तुलसी के पत्ते को चीनी के साथ खाने से दस्त में खून व आंव आना बंद होता है।
पेट का दर्द : तुलसी और अदरक का रस बराबर मात्रा में लेकर गर्म पानी में मिलाकर पीने से पेट का दर्द तुरंत समाप्त होता है।
अजीर्ण, अपच, कब्ज : तुलसी के 20 पत्ते और 5 कालीमिर्च को प्रतिदिन भोजन करने के बाद चबाकर खाने से कब्ज दूर होती है और पाचन क्रिया ठीक होती है। तुलसी के काढ़े में सेंधानमक और सोंठ मिलाकर पीने से हिचकी भी बंद होती है।
यकृत का बढ़ना : 1 गिलास पानी में 10 ग्राम तुलसी के पत्ते उबालें और जब पानी उबले हुए केवल एक चौथाई बच जाए तो इसे छानकर पीएं। इससे जिगर का बढ़ना ठीक होता है। इसके प्रतिदिन सेवन से यकृत के अन्य रोग भी दूर होते हैं।
दमा या श्वास रोग : तुलसी के रस में बलगम को पतला करके निकालने का गुण होता है। इसीलिए यह खांसी व जुकाम में यह बहुत लाभकारी होता है। तुलसी का रस, शहद, अदरक व प्याज का रस मिलाकर सेवन करने से दमा रोग ठीक होता है।
रक्त / श्वेत प्रदर : तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम चाटने से प्रदर रोग में आराम मिलता है।
रक्तप्रदर : तुलसी के ताजे पत्तों का रस तालमिश्री के साथ पीने से रक्तप्रदर रोग मिटता है।
प्रसव का कष्ट (बच्चे जन्म देने के समय का दर्द) : प्रसव पीड़ा के समय तुलसी के पत्तों का रस स्त्री को पिलाने से पीड़ा कम होती है और बच्चे का जन्म आसानी से हो जाता है।
गर्भधारण न होना या बांझपन : यदि किसी स्त्री को मासिकधर्म नियमित रूप से सही मात्रा में आने के बाद भी गर्भ नहीं ठहरता हो तो मासिकधर्म के दिनों में स्त्री को तुलसी के बीज को चबाना चाहिए या पानी में पीसकर या काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए। इससे गर्भधारण होता है। यदि 2 से 4 महीने के सेवन से गर्भधारण न हो तो इसका सेवन एक वर्ष तक करें। इस प्रयोग से गर्भाशय निरोग, सबल बनकर गर्भधारण के योग्य बनता है।
मुंह के छाले : तुलसी और चमेली के पत्ते को एक साथ चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
त्वचा के रोग में : तुलसी के पत्तों का रस और नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर दाग, खाज, चेहरे झाइयां, कील, मुंहासे व अन्य त्वचा रोग पर लगाने से वे ठीक होते है।
घाव : तुलसी के पत्ते को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें और कपड़े से छानकर घाव पर छिड़कें। इससे घाव भर जाते हैं।
घाव में कीड़े होना : तुलसी के पत्तों को उबालकर उस पानी से घाव को धोएं और ऊपर से तुलसी के पत्तों का बारीक चूर्ण घावों पर छिड़कना चाहिए। इससे घाव के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
आग से जलने पर : तुलसी के पत्तों का रस 250 मिलीलीटर और नारियल का तेल 250 मिलीलीटर को मिलाकर आग पर गर्म करें और जब केवल तेल बच जाए तो इसमें 15 ग्राम मोम डाल दें। इसके बाद मोम अच्छी तरह मिल जाने पर इसे उतार लें और आग से जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे आग की जलन शांत होती है। इसका उपयोग खुजली और फुंसी को नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।
सफेद दाग (ल्यूकोडार्मा) : एक तुलसी का ताजा हरा पौधा जड़ समेत उखाड़ लें और इसे धोकर साफ करके आधे किलो पानी व आधे किलो सरसों के तेल में हल्की-हल्की आग पर पकाएं। जब पकते-पकते केवल तेल बच जाए तो इसे उतारकर छान लें। इस तरह तैयार तुलसी के तेल को सफेद दाग पर लगाने से सफेद दाग ठीक होता है। यह खुजली, फुंसियों व जख्मों को भी ठीक होता है।
कुष्ठ (कोढ़) : तुलसी के 20 पत्ते को पीसकर दही में मिलाकर 4 से 5 सप्ताह तक खाने से कुष्ठ (कोढ़) रोग ठीक होता है।
गृध्रसी (साइटिका पेन) : तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर उसकी भाप वातनाड़ी पर देने से गृध्रसी शूल (साइटिका पेन) में बहुत लाभ मिलता है।
मोटापा दूर करना : तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच एक गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।
बिजली गिरना (वज्रपात) : तार की बिजली अथवा वर्षा में आकाश से गिरने वाली बिजली से यदि कोई व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो उसके सिर व चेहरे पर तुलसी के पत्तों का रस डालें। इससे बेहोशी दूर होती है।
बड़ों के लिए 25 से 100 पत्ते एवं बालकों के लिए 5 से 25 पत्ते एक बार पीसकर शहद या गुड़ या एक कप दही में मिलाकर प्रतिदिन 3 बार 2-3 महीनों तक लेनी चाहिए। सुबह भूखे पेट पहली मात्रा लेनी चाहिए। इससे कैंसर, गठिया, आर्थराइटिस, ऑस्टियों आर्थराइटिस, स्नायुशूल (नाड़ी का दर्द), गुर्दों की खराबी व सूजन, पथरी, सफेद दाग, रक्त में चर्बी बढ़ना, मोटापा, कब्ज, गैस, अम्लता, पेचिश, कोलाइटिस, प्रोस्टेट के रोग, मंद बुद्धि बच्चे, सर्दी-जुकाम, प्रदाह, बार-बार बुखार आना, टूटी हुई हडि्डयां, घाव न भरना, कैंसर, बिवाइयां, दमा, श्वास रोग, एलर्जी, आंखों का दुखना, विटामिन `ए` और `बी` की कमी, खसरा, सिरदर्द, आधे सिर का दर्द आदि सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।
फोड़ा : तुलसी के पत्ते पानी में उबालकर फोड़े को धोएं और तुलसी के पत्ते को पीसकर फोड़े पर लगाएं। इससे फोड़े पककर सूख जाते हैं।
बाल झड़ना एवं सफेद होना : यदि कम आयु में बाल गिरते हों या सफेद हो गए हों तो तुलसी के पत्तों का रस व आंवले का चूर्ण पानी में मिलाकर सिर पर लगाएं। यह लेप सिर पर लगाने के 10 मिनट बाद सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की जड़े मजबूत होती है और बालों का सफेद होना समाप्त होता हैं। ध्यान रखें कि लगाते व सिर धोते समय इसका पानी आंखों में नहीं जाना चाहिए।
- तुलसी के पत्तों का रस और नारियल का तेल मिलाकर पका लें और यह नियमित रूप से सिर पर लगाएं। इससे सफेद बाल काले होते हैं।
- तुलसी और हरा धनिया बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और इसमें आंवले का रस मिलाकर बालों में लगाएं। कुछ देर बाद बालों को ताजे पानी से धो लें। इससे बाल काले व घने बनते हैं।
बवासीर (अर्श) : बवासीर के रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों को पीसकर बवासीर पर लेप करना चाहिए। इसका प्रयोग प्रतिदिन करने से बवासीर के मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।
- तुलसी के पत्ते का रस और नीम का तेल मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं।
मच्छरों से बचाव : तुलसी के पत्तों का रस शरीर पर लगाने से मच्छर नहीं काटता।
कॉलेस्ट्राल का बढ़ना : यदि खून में कॉलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ गई हो तो तुलसी का रस पीने से खून में कॉलेस्ट्राल की अधिक मात्रा सामान्य होती है।
एलर्जी, एक्जिमा : एलर्जी या एक्जिमा से प्रभावित अंग पर तुलसी के पत्तों का रस लगाने से एलर्जी व एक्जिमा समाप्त होता है।
- तुलसी के पत्तों के रस में घी मिलाकर किसी तांबे के बर्तन में अच्छी तरह घोटकर मलहम की तरह बनाकर रोगग्रस्त स्थानों पर लगाने से एक्जिमा व एलर्जी समाप्त होती है।
थकावट अधिक होना : 50 तुलसी के पत्ते 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर चीनी मिलाकर पीने से थकान दूर होकर स्फूर्ति बनी रहती है।
गुर्दे की पथरी : तुलसी गुर्दों की कार्यक्षमता को बढ़ाती है। एक चम्मच तुलसी के रस में 2 चम्मच शहद और 3 चम्मच पानी मिलाकर लगातार 4-6 महीने तक पीते रहने से पथरी गलकर निकल जाती है।
याददाश्त का कम होना : तुलसी के नियमित सेवन करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और दिमाग तेज होता है। लगभग तुलसी के रस का सेवन एक साल तक करना चाहिए।
- तुलसी के 10 पत्ते, 5 कालीमिर्च और 5 बादाम को दूध के साथ मिलाकर पीने से दिमाग को ताजगी के साथ-साथ दिमाग की कमजोरी दूर होती है।
चेहरे दाग-धब्बे व काले घेरे : तुलसी के पत्तों पर नींबू निचोड़कर बारीक पीसकर लें और चेहरे के दाग-धब्बे, काले दाग पर प्रतिदिन लेप करना चाहिए। इससे दाग, धब्बे, काले घेरे आदि समाप्त होते हैं।
कैंसर : तुलसी के 40 पत्ते पीसकर एक कप छाछ के साथ सुबह-शाम 2 बार प्रतिदिन खिलाने से कैंसर रोग ठीक होता है। ध्यान रखें कि औषधि सेवन करने के आधे घंटे के बाद नाश्ता करना चाहिए। कैंसर के रोगी को दूध, दही का अधिक सेवन करें और तेल, लालमिर्च आदि का सेवन न करें।
पसीना बंद होना : यदि किसी कारण से पसीना आना बंद हो गया हो तो तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिलाने से पसीना आने लगता है।
गले का दर्द : तेज बोलने से गले मे दर्द हो तो तुलसी के 20 पत्ते को पीसकर 1 चम्मच शहद मिलाकर चाटें। इससे गले का दर्द ठीक होता है।
फोड़े-फुंसियां, बालतोड़ : यदि बाल टुटने के कारण जख्म बन गया हो जो तुलसी के पत्ते को पानी में उबालकर उस जख्म को धोएं और तुलसी के ताजा पत्ते को पीसकर जख्म पर लगाएं। इससे जख्म जल्दी भर जाता है। यह फोड़े-फुंसियों के लिए भी उपयोग किया जाता है।
- तुलसी और पीपल के नए कोमल पत्ते बराबर मात्रा में पीसकर फोड़ों पर प्रतिदिन 3 बार लगाने से फोड़े और बाल टुटने से होने वाले जख्म ठीक होते हैं।
- गर्मी या वर्षा ऋतु में होने वाली फुंसियों पर तुलसी की लकड़ी को घिसकर लेप करना चाहिए।
क्षय (टी.बी.) होने पर : तुलसी के 10 पत्ते, 5 कालीमिर्च पीसकर शहद में मिलाकर प्रतिदिन चाटना चाहिए। इसे चाटने से क्षय (टी.बी.) की गांठ ठीक हो जाती है।
नाक में फुन्सी : तुलसी के 100 पत्ते को थोड़े से पानी के साथ मिलाकर पीस लें और दाल के बराबर कपूर मिलाकर नाक में फुंसी पर लगाने से फुंसी ठीक होती है। यह गले हुए दांतों व खड्डे में रुई से लगाने पर दांतों का दर्द ठीक होता है।
प्यास लगने पर : प्यास अधिक लगे तो तुलसी के पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर, नींबू निचोड़कर, मिश्री मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
वात के रोग : तुलसी के पत्तों को उबालने से उत्पन्न भाप को वात (गैस) के कारण जिस अंग में दर्द हो रहा हो उस अंग पर भाप लेने से दर्द में आराम मिलता है।
- तुलसी के पत्ते, कालीमिर्च तथा गाय का घी इन तीनों को मिलाकर सेवन करना से वात का कारण उत्पन्न दर्द व अन्य रोग समाप्त होते हैं।
पित्ती उछलना: चौथाई चम्मच तुलसी के बीज एक आंवले के मुरब्बे पर डालकर प्रतिदिन 2 बार खाने से पित्ती उछलना ठीक होता है।
अनिद्रा (नींद का न आना) : तुलसी के 5 पत्तों को खाएं और 100 पत्ते तकिए के आस-पास फैलाकर सोना चाहिए। इससे रात को नींद अच्छी आती है।
नपुंसकता : धातु दुर्बलता में तुलसी के बीज एक ग्राम दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने नपुंसकता दूर होती है और कामशक्ति बढ़ती है।
- तुलसी की जड़ और जमीकंद को पान में रखकर खाने से शीध्रपतन की शिकायते दूर होती है।
- तुलसी के बीज या तुलसी की जड़ के चूर्ण में पुराना गुड़ समान मात्रा में मिलाकर 3-3 ग्राम की गोली बना लें। यह 1-1 गोली सुबह-शाम गाय के ताजे दूध के साथ 1 से 6 सप्ताह तक लेने से नपुंसकता दूर होती है।
स्वरभंग (गला बैठना) : तुलसी की जड़ को मुलेठी की तरह चूसते रहने से स्वरभंग ठीक होता है।
दांत के दर्द में : तुलसी के पत्ते को पीसकर उसकी गोलियां बनाकर इन गोली को दर्द वाले दांत के नीचे दबाकर रखने से दांत का दर्द ठीक होता है।
- तुलसी के पत्ते तथा कालीमिर्च को मिलाकर पीसकर दर्द वाले दांतों के नीचे रखने से दर्द में आराम मिलता है।
फेफड़ों के रोग : फेफड़े में कफ जमा हो तो तुलसी के सूखे पत्ते, कत्था, कपूर और इलायची समान मात्रा में लेकर 9 गुना चीनी मिलाकर बारीक पीस लें। इसे चुटकी भर की मात्रा में लेकर सुबह-शाम सेवन करने से फेफड़े में जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता है।
- तुलसी के पत्तों का रस 1 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से फेफड़ों की सूजन मिटती है।
गैस्ट्रिक अल्सर : तुलसी के पत्तों को खाने या रस को पीने से पैप्टिक अल्सर और तनाव से पैदा होने वाले रोग ठीक होता है।
सिर की रूसी : वनतुलसी का रस सिर में लगाने से सिर की रूसी समाप्त होती है।
पेट में गैस बनना : तुलसी के 4 पत्ते, 4 लौंग और 2 कालीमिर्च को मिलाकर 1 कप पानी के साथ काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे पेट की गैस दूर होती है और दर्द भी समाप्त होता है।
मुंह की दर्गन्ध : मुंह से बदबू आने पर तुलसी के पत्तों को प्रतिदिन भोजन करने के बाद चबाने से मुंह से आने वाली बदबू दूर होती है।
मूत्ररोग : तुलसी के पत्ते को पीस कर मिश्री मिले शर्बत में घोटकर सेवन करने से बार-बार पेशाब का आना बंद होता है।
- मूत्राशय की सूजन से पीड़ित रोगी को वनतुलसी के पत्तों को पीसकर मूत्राशय पर लेप करें। इससे मूत्राशय की सूजन दूर होती है।
मासिकधर्म : तुलसी की जड़ को छाया में सुखाकर पीसकर चौथाई पान में रखकर खाने से अनावश्यक रक्त-स्राव बंद हो जाता है।
- मासिकधर्म होने पर यदि कमर में दर्द रहता हो तो तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच सुबह के समय सेवन करने से कमर दर्द नष्ट होता है और मासिकधर्म में खून का आना बंद होता है।
- तुलसी के बीज, पलाश, पीपल, असगंध, नागकेसर तथा नीम की सूखे पत्ते को समान मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर 2 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सुबह गाय के दूध के साथ सेवन करने से मासिकधर्म की नियमितता दूर होकर मासिकधर्म अनियमित होता है। इससे मासिकधर्म में अधिक खून का स्राव होना भी बंद होता है।
गुर्दे का दर्द व अन्य रोग : 20 ग्राम तुलसी के सूखे पत्ते, 20 ग्राम अजवायन और 10 ग्राम सेंधानमक मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ खाने से गुर्दे का तेज दर्द दूर होता है। इससे गुर्दे का अन्य रोग भी दूर होता है।
लकवा : तुलसी के पत्ते और सेंधा नमक को पीसकर लेप की तरह पीड़ित भाग पर लगाने से लकवा ठीक होता है।
- तुलसी के पत्तों को उबालकर रोग ग्रस्त अंग को भाप देने से लकवा रोग में आराम मिलता है।
- तुलसी के पत्ते को पीसकर इसमें सेंधानमक व दही मिलाकर लकवा से पीड़ित रोगी को अंगों पर लगाने से लकवा रोग ठीक होता है।
मोच या चोट लगने पर: तुलसी के पत्तों का रस तथा सरसों का तेल मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद मोच या चोट पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है और सूजन हो गई हो तो सूजन दूर होती है।
लू (गर्मी) का लगना : तुलसी के पत्तों का चूर्ण लगभग 5 ग्राम, पिप्पली का चूर्ण लगभग 3 ग्राम और नमक 5 ग्राम लेकर पानी में उबालकर पीने से लू का असर समाप्त होता है।
पेट के कीड़े : तुलसी के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस को प्रतिदिन सुबह-शाम गर्म करके बच्चे को पिलाने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
- तुलसी के पत्तों का रस पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं और दर्द ठीक होता है।
- तुलसी के 10 पत्ते, बायविंडग का चूर्ण 2 ग्राम और एक चुटकी कालानमक को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली रात को सोने से पहले पानी के साथ सेवन कराएं। इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं और कीड़े के कारण होने वाले दर्द समाप्त होते हैं।
आमवात (गठिया, घुटनों के दर्द में) : तुलसी के पत्तों के रस में अजवायन मिलाकर खाने से गठिया रोग नष्ट होता है।
- तुलसी के पत्ते आधा मुट्ठी, एरण्ड की नई पत्तियां और आधा चम्मच नमक। इन सभी को पीसकर गर्म करके घुटनों पर 10 दिन तक लेप करने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है। समाप्त होता है।
- तुलसी के पत्तों का रस आधा चम्मच, पिसी हुई कालीमिर्च 4 ग्राम, 2 चुटकी कालानमक तथा 2 चम्मच शहद। इन सबको मिलाकर 40 दिनों तक सेवन करने से गठिया का दर्द ठीक होता है।
हृदय की कमजोरी में : सर्दी के मौसम में तुलसी के 7 पत्ते, 4 काली मिर्च और 4 बादाम इन सबको ठंडाई की तरह पीसकर आधा कप पानी में घोल कर प्रतिदिन पीने से हृदय को शक्ति मिलती है।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) : 4 तुलसी की पत्तियों, 2 नीम की पत्तियां 2-4 चम्मच पानी के साथ घोटकर 5-7 दिनों तक लगातार सुबह-सुबह खाली पेट पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
मिर्गी (अपस्मार) होना : तुलसी के हरे पत्ते को पीसकर मिर्गी से पीड़ित रोगी के शरीर पर प्रतिदिन लगाने से मिर्गी में आराम मिलता है।
- हरे या सूखे तुलसी के पत्ते को मिर्गी के रोगी को सुंघाने से मिर्गी के दौरे नष्ट होते हैं।
- तुलसी के पत्तों का रस और चुटकी भर सेंधानमक मिलाकर नाक में टपकाने से मिर्गी के दौरों में उत्पन्न बेहोशी दूर होती है।
- तुलसी के पत्तों के रस में कपूर मिलाकर सुंघाने से मिर्गी रोग में लाभ मिलता है।
घमौरियां होना : तुलसी की लकड़ी को पीसकर चंदन की तरह शरीर पर मलने से गर्मी के मौसम में होने वाली घमौरियां समाप्त होती है।
नाड़ी का छुटना : तुलसी के पत्तों का रस, मकरध्वज 240 मिलीग्राम और 360 मिलीग्राम कस्तूरी को शहद में मिलाकर सेवन करने से नाड़ी का छुटना दूर होता है।
चेहरे की दाग-दब्बे, कील, मुंहासे, झांइयां : चेहरे पर काली झांइयां हो तो सुबह पोदीने को पीसकर चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे बाद पानी से धोकर साफ कर लें। शाम को तुलसी के पत्तों को पीसकर चेहरे पर लेप करें और आधा घंटे बाद पानी से चेहरे को धोकर साफ कर लें। इस तरह 3 महीने तक लगातार करने से चेहरे की झांइया मिटकर चेहरा साफ होता है।
- तुलसी के पत्ते को पीसकर पानी में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झाइयां दूर होती है।
- तुलसी के पत्तों को पीस कर उन में नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर प्रतिदिन लेप करने से त्वचा मुलायम और सुंदर होती है। इससे चेहरे की कील, मुंहासे, झाइयां एवं काले धब्बे-निशान ठीक होते हैं।
- तुलसी का चूर्ण मक्खन में मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील, मुंहासे और झाइयां में आराम मिलता है।
कण्ठमाला : तुलसी के पत्ते, नागरमोथा और नागरबेल के पत्तों को पानी में पीसकर पीने से गण्डमाला अर्थात गले की गांठे ठीक होती है।
उल्टी एवं दस्त : 120 मिलीग्राम चौकिया सुहागा, तुलसी के पत्तों के रस के साथ पीस लें और शहद मिलाकर मूंग के बराबर की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसमें से 1-1 गोली पानी के साथ खाने से उल्दी व अतिसार बंद होता है। इसका सेवन आवश्यकता के अनुसार दिन में 2 से 3 बार कर सकते हैं।
शरीर को ताकतवर बनाना : तुलसी के बीज या पत्ते को भूनकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण के बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर लगभग 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली गाय के दूध के साथ सुबह-शाम लेने से शरीर में भरपूर ताकत आती है।
- लगभग आधा ग्राम तुलसी के पीसे हुए बीजों को सादे या कत्था लगे पान के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खाली पेट खाने से बल, वीर्य, खून बढ़ता है।
- लगभग 10 ग्राम तुलसी के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम पुराने गुड़ में मिलाकर प्रतिदिन खाने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। इसका प्रयोग 40 दिनों तक करना चाहिए। इसका सेवन केवल सर्दी के दिनों में ही करना चाहिए क्योकि यह गर्म होता है।
- शौच आदि से आने के बाद सुबह के समय तुलसी के 5 पत्ते पानी के साथ खाने से बल, तेज व स्मरणशक्ति बढ़ती है। तुलसी के पत्तों का रस 8 बूंद पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीने से मांसपेशियां और हडि्डयां मजबूत होती है। तुलसी के बीज दूध में उबालकर चीनी मिलाकर पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
टांसिल का बढ़ना : तुलसी के 4-5 पत्तों को पानी में उबालकर गरारे करने से गले का दर्द ठीक होता है और टांसिल की सूजन दूर होती है।
- तुलसी की 1 चुटकी मंजरी (बीज) को पीसकर शहद के साथ चाटने से टांसिल ठीक होकर गला खुल जाता है।
- तुलसी की लकड़ी का माला बनाकर गले में पहनने से हृदय की बीमारी दूर होती है।
बुखार और जुकाम : 20 तुलसी के पत्ते, 20 कालीमिर्च, 9 ग्राम अदरक और 2 ग्राम दालचीनी को 50 मिलीलीटर पानी में पकाकर चाय बना लें। इसमें 25 ग्राम मिश्री या चीनी मिलाकर दिन में 2-3 बार बुखार से पीड़ित रोगी को पिलाएं। इससे सामान्य बुखार दूर होता है।
- तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से अधिक पसीना आकर बुखार उतर जाता है।
- तुलसी के 8-10 पत्ते, आधा चम्मच लौंग, आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण तथा 1 चम्मच कालीमिर्च का चूर्ण। इन सभी को 1 गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा बच जाए तो इसे छानकर थोड़ी-सी चीनी मिलाकर 3-3 चम्मच की मात्रा में दिन में 3-4 बार पिलाने से बुखार का आना ठीक होता जाता है।
- तुलसी के 10 पत्ते, सोंठ 3 ग्राम, लौंग 5, कालीमिर्च 21 और स्वादानुसार चीनी डालकर उबालें। जब आधा पानी शेष रह जाए तो इसे छानकर रोगी को 3-4 बार पिलाएं। इससे बुखार में जल्दी आराम मिलता है।
पित्त ज्वर : पित्त ज्वर से पीड़ित रोगी को यदि अधिक घबराहट हो रही हो तो उसे तुलसी के पत्तों का शर्बत बनाकर पिलाना चाहिए। इससे पित्त ज्वर ठीक होता है।
चेचक (बड़ी माता) : सुबह के समय रोगी को तुलसी के पत्तों का रस आधा चम्मच की मात्रा में पिलाने से चेचक के रोग में लाभ मिलता है।
सन्निपात ज्वर : तुलसी के ताजे पत्ते 25 ग्राम और कालीमिर्च 1 ग्राम को पानी के साथ पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर छाया में सूखा लें। यह 1-1 गोली पानी के साथ सुबह-शाम सेवन कराने से सान्निपात ज्वर में लाभ मिलता है।
हिचकी : तुलसी के पत्तों का रस 2 चम्मच और शहद 1 चम्मच मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से हिचकी दूर होती है।
कान का दर्द : तुलसी के पत्तों के रस को हल्का गर्म करके थोड़ा सा कपूर मिलाकर कान में 2-3 बूंद डालने से कान का दर्द समाप्त होता है।
- कान से पीब बहने या कान में दर्द होने पर कुछ दिनों तक लगातार कान में तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके डालना चाहिए। इससे कान का दर्द ठीक होता है और पीब का बहना बंद होता है।
कान की सूजन व गांठ : तुलसी के पत्ते और एरण्ड के ताजे मुलायम पत्ते बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें और फिर इसमें थोड़ा सा नमक मिलाकर कान के पीछे लगाएं। इससे कान की सूजन दूर हो जाती है और गांठे ठीक होती है। इसका उपयोग कनफेडा रोग में भी किया जाता है।
बहरापन (कम सुनाई देना) : तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके प्रतिदिन कान में डालने से बहरापन दूर होता है।
दाद : तुलसी के पत्तों का रस और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में 2 से 3 बार दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है। इसके उपयोग से खाज-खुजली, मुंहासे, काले धब्बे, झांई आदि त्वचा के रोग ठीक होते हैं।
- दाद से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन तुलसी के पत्तों का रस 12 मिलीलीटर की मात्रा में पीना चाहिए।
- तुलसी के 100 पत्ते और चौथाई चम्मच नमक को मिलाकर पीस लें और इसमें आधा नींबू निचोड़कर दाद पर लेप करें। इससे दाद व खाज-खुजली ठीक होती है।
- तुलसी के 100 पत्ते और लहसुन की 5 कली को एक साथ पीसकर दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है।
उल्टी होना : तुलसी के पत्तों का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टी बंद होती है।
- तुलसी का रस, पोदीना और सौंफ का रस मिलाकर पीने से उल्टी बंद होती है।
- 10 ग्राम तुलसी के पत्तों को 1 ग्राम छोटी इलायची के साथ पीस लें फिर इसमें 10 ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे पित्त के कारण होने वाली उल्टी दूर हो जाती है।
दांतों का दर्द : तुलसी के पत्ते, कालीमिर्च और कपूर को पीसकर दर्द वाले दांतों के बीच दबाकर रखने से दांतों का दर्द ठीक होता है।
- कालीमिर्च और तुलसी के पत्तों को पीसकर गोली बना लें और यह गोली दांत के नीचे रखने से दांतों का दर्द नष्ट होता है।
- तुलसी के पत्तों का रस पानी में मिलाकर हल्का गर्म करके कुल्ला करें। इससे दांतों का दर्द, मसूढ़ों से खून आना व दांतों के अन्य रोग समाप्त होते हैं।
सर्दी-जुकाम : तुलसी के पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3-4 बार सेवन करने से सर्दी, जुकाम व खांसी दूर होती है।
वीर्यवृद्धि हेतु : तुलसी के बीजों का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में पुराने गुड़ के साथ मिलाकार खाएं और इसके बाद 1 कप दूध पीएं। इसका सेवन नियमित रूप से सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ महीनों तक लेने से सेक्स सम्बंधी धातु की वृद्धि होती है। इससे नपुंसकता (नामर्दी) और शीघ्रपतन (धातु का शीघ्र निकल जाना) की समस्याएं दूर हो जाती है।
- धातुदुर्बलता (वीर्य की कमजोरी) होने पर तुलसी के बीज 60 ग्राम और मिश्री 75 ग्राम को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे धातु की कमजोरी दूर होती है।
स्वप्नदोष : तुलसी की जड़ का काढ़ा 4-5 चम्मच की मात्रा में रात को सोने से पहले नियमित रूप से कुछ सप्ताह तक पीने से स्वप्नदोष से छुटकारा मिलता है।
शीघ्रपतन : तुलसी की जड़ या बीज चौथाई चम्मच की मात्रा में पानी में रात को भिगोकर रख दें और सुबह उसका सेवन करें। इससे शीघ्रपतन दूर होकर वीर्य पुष्ट (गाढ़ा) होता है।
चक्कर आना : तुलसी का रस, अदरक का रस व शहद मिलाकर सेवन कराने से चक्कर आना बंद होता है।
- तुलसी के पत्ते को चीनी के शर्बत में पीस लें और फिर उसी शर्बत में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पिलाएं। इससे चक्कर आना ठीक होता है।
- तुलसी के पत्तों का रस 5 बूंद और 1 चम्मच चीनी को आधा कप पानी में मिलाकर सेवन करने से लू (गर्मी) के कारण चक्कर आना ठीक होता है।
सिर का दर्द : यदि आधे सिर का दर्द सूर्योदय के साथ शुरू होता है और सूर्यास्त के साथ समाप्त होता है तो एक चौथाई चम्मच तुलसी के बीजों को पीसकर शहद में मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से आधे सिर का दर्द ठीक होता है।
- नींबू और तुलसी के पत्तों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर 2-2 चम्मच दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है।
- तुलसी और अडूसे का रस मिलाकर सूंघने से कफ के कारण होने वाला सिर दर्द दूर होता है।
- तुलसी के पत्तों को पीसकर माथे पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक होता है।
- सिर दर्द से पीड़ित रोगी को सुबह खाली पेट तुलसी के रस में शहद मिलाकर चाटना चाहिए। इससे सिर दर्द व माईग्रेन में भी लाभ मिलता है।
- तुलसी के पत्तों को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर सूंघने से सिर दर्द शांत होता है। इस चूर्ण को सेवन करने से पागलपन की उत्तेजना भी दूर होती है।
नकसीर (नाक से खून का आना) : तुलसी के पत्तों का रस निकालकर 3-4 बूंद नाक में टपकाने से कुछ दिनों में नाक से खून आना बंद हो जाता है।
बच्चों के दस्त रोग : 2 चम्मच तुलसी का रस और 2 चम्मच मिश्री मिलाकर दिन में 3-4 बार बच्चे को पिलाने से दस्त रोग ठीक होता है। यह दस्त में आंव व खून आना बंद करता है।
- तुलसी के 5 पत्ते, नीम के 2 पत्ते और पुदीने के 5 पत्तों को लगभग 150 मिलीलीटर पानी में पकाएं। जब पानी केवन आधा कप बच जाए तो इसे छानकर दिन में 3 गर्म करके सेवन करें। इसके सेवन से दस्त रोग ठीक होता है।
- यदि कोई छोटा बच्चा दस्त रोग से परेशान हो तो उसे तुलसी के पत्तों के रस में चीनी मिलाकर पिलाएं। इससे छोटे बच्चे को पतले दस्त आने बंद हो जाते हैं।
- तुलसी और अदरक का रस मिलाकर पीने से दस्त का बार-बार आना ठीक होता है।
- तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से दस्त रोग के कारण उत्पन्न पेट की मरोड़ व कब्ज दूर होती है।
मस्तिष्क की गर्मी : रोगी को प्रतिदिन तुलसी के 5 पत्ते और कालीमिर्च को पीसकर 1 गिलास पानी में मिलाकर सुबह पीना चाहिए। इससे मस्तिष्क की गर्मी दूर होती है।
मिर्गी : तुलसी के पत्ते को पीसकर मिर्गी से पीड़ित रोगी के पूरे शरीर पर मालिश करें। इसके उपयोग से मिर्गी के दौरे शांत होते हैं।
मुर्च्छा (बेहोशी) : तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उस रस में नमक मिलाकर नाक में डालने से बेहोशी दूर होती है।
- तुलसी के पत्तों का रस निकालकर धीरे-धीरे माथे पर मलने से और 2 बूंद नाक में डालने से बेहोशी दूर होती है।
मलेरिया का बुखार : प्रतिदिन तुलसी के पत्ते सेवन करने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है। मलेरिया के बुखार से पीड़ित रोगी का जब बुखार उतर जाए तो उसे सुबह के समय तुलसी के 15 पत्ते और 10 कालीमिर्च खिलाना चाहिए। इससे मलेरिया का बुखार दुबारा नहीं होता।
- 20 तुलसी के पत्ते, 10 कालीमिर्च और एक चम्मच चीनी मिलाकर काढ़ा बनाकर मलेरिया बुखार से पीड़ित रोगी को सेवन कराएं। इससे बुखार में बेहद आराम मिलता है और बुखार उतर जाता है।
- गुड़, कालीमिर्च व तुलसी के पत्ते को मिलाकर काढ़ा बना लें और इस काढ़ा में नींबू का रस मिलाकर रोगी को 3 घंटे के अंतर पर गर्म करके पिलाएं। साथ ही रोगी को कम्बल ओढ़ा दें। इससे मलेरिया बुखार में जल्दी आराम मिलता है।
खांसी, बलगम : तुलसी के सूखे पत्ते, कपूर, कत्था व इलायची बराबर-बराबर में लें और फिर इस मिश्रण में 9 गुना चीनी मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे चुटकी भर की मात्रा में सुबह-शाम दिन में 2 बार सेवन करने से खांसी-जुकाम, गले की सूजन में आराम मिलता हैं और फेफड़ों में जमा हुआ कफ निकलकर खांसी ठीक होती है।
- 5 लौंग को तुलसी के पत्ते के साथ चबाने से सभी तरह की खांसी ठीक होती है। तुलसी के पत्ते और 4 ग्राम मिश्री की एक मात्रा लेने से खांसी दूर होती है। इससे फेफड़ों में कफ जमा होने के कारण उत्पन्न घड़घड़ाहट दूर होती है।
- तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और इसकी गोलियां बना लें। इसमें से 1-1 गोली दिन में 4 बार सेवन करने से छाती व गले में फंसा बलगम (कफ) बाहर निकल जाता है।
- तुलसी की मंजरी, सोंठ व प्याज का रस बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और इसमें शहद मिलाकर सेवन करें। इससे खांसी का दौरा शांत होता है।
- तुलसी के बीजों का चूर्ण 2-2 चुटकी भर सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से खांसी बंद होती है।
- 5 लौंग को भूनकर तुलसी के पत्तों के साथ चबाने से समस्त प्रकार की खांसी में लाभ मिलता है।
- तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और मूंग के आकार की गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली दिन में 4 बार सेवन करने से कुकर खांसी (हूपिंग कफ) ठीक हो जाती है।
गले की खराश : यदि गले में खराश खट्टी चीजे खाने से हो तो 25 तुलसी के पत्ते और अदरक पीसकर शहद में मिलाकर चाटें। इसके प्रयोग से गले की खराश दूर होती है।
अग्निमांद्य (पाचनशक्ति का कमजोर होना) : तुलसी के ताजे पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर प्रतिदिन भोजन करने के बाद पीएं। इससे कब्ज दूर होकर पाचनशक्ति मजबूत होती है। प्रतिदिन भोजन करने के बाद केवल तुलसी के 5 पत्ते सेवन करने से भोजन आसानी से पच जाता है।
सर्दी-जुकाम : 10 तुलसी के पत्ते और 5 कालीमिर्च को पानी में मिलाकर चाय की तरह बनाएं। फिर इसमें थोड़ा सा गुड़ और देशी घी या सेंधानमक डालकर पीएं। इससे सर्दी-जुकाम में लाभ मिलता है।
- प्रतिदिन सुबह उठते ही 4 पत्ते तुलसी के और 4 कालीमिर्च मिलाकर खाने से जुकाम और बुखार ठीक होता है। 6-7 तुलसी के पत्ते, 1 चम्मच गुलकंद, 2 कालीमिर्च के दानें, सोंठ की 1 गांठ और 2 लौंग को एक साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से जुकाम में लाभ होता है।
बच्चों के दांत निकलना : तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर बच्चे के मसूढ़े पर लगाने से और थोड़ा सा चटाने से दांत निकलते समय होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
पेचिश (संग्रहणी, दस्त में आंव व खून आना) : तुलसी के पत्ते को चीनी के साथ खाने से दस्त में खून व आंव आना बंद होता है।
- तुलसी के पत्तों का रस 10 मिलीलीटर और मिश्री मिलाकर शाम को पीने से पचिश के रोगी का रोग दूर होता है।
पेट का दर्द : तुलसी और अदरक का रस बराबर मात्रा में लेकर गर्म पानी में मिलाकर पीने से पेट का दर्द तुरंत समाप्त होता है।
- 12 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों का रस पीने से पेट के अंदर होने वाली मरोड़ ठीक होते हैं।
अजीर्ण, अपच, कब्ज : तुलसी के 20 पत्ते और 5 कालीमिर्च को प्रतिदिन भोजन करने के बाद चबाकर खाने से कब्ज दूर होती है और पाचन क्रिया ठीक होती है। तुलसी के काढ़े में सेंधानमक और सोंठ मिलाकर पीने से हिचकी भी बंद होती है।
- प्रतिदिन सुबह 1 तुलसी का पत्ता सेवन करने से कब्ज, गैस, अग्निमांद्य आदि रोग समाप्त होते हैं।
- तुलसी के 50 पत्ते, थोड़ा सा टुकड़ा अदरक और स्वादानुसार कालानमक को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सेवन करें। इससे कब्ज दूर होती है और मल साफ आने लगता है।
- तुलसी के 100 पत्ते और 1 चम्मच गुलाबी फिटकरी को पीसकर चने के बराबर गोलियां बना लें और इसे छाया में सुखा लें। यह 1-1 गोली प्रतिदिन सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
- तुलसी के पत्तें 25 ग्राम को पीसकर 5 ग्राम मीठे दही में मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होकर पाचन क्रिया ठीक होती है। बच्चे को कब्ज होने पर आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह सेवन कराना चाहिए।
- तुलसी के 4 पत्ते, दालचीनी, सोंठ, जीरा, सनाय के पत्ते और लौंग बराबर-बराबर मात्रा में लें और पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को 1 कप पानी में उबालें और जब पानी आधा कप रह जाए तो इसे छानकर दिन में 2 सेवन करें। इसके कब्ज, भोजन का न पचना, मल साफ न आना आदि रोग समाप्त होते हैं।
यकृत का बढ़ना : 1 गिलास पानी में 10 ग्राम तुलसी के पत्ते उबालें और जब पानी उबले हुए केवल एक चौथाई बच जाए तो इसे छानकर पीएं। इससे जिगर का बढ़ना ठीक होता है। इसके प्रतिदिन सेवन से यकृत के अन्य रोग भी दूर होते हैं।
दमा या श्वास रोग : तुलसी के रस में बलगम को पतला करके निकालने का गुण होता है। इसीलिए यह खांसी व जुकाम में यह बहुत लाभकारी होता है। तुलसी का रस, शहद, अदरक व प्याज का रस मिलाकर सेवन करने से दमा रोग ठीक होता है।
- तुलसी व अदरक का रस 5-5 ग्राम लेकर शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से दमा रोग में आराम मिलता है। इससे गले या छाती में जमा हुआ कफ निकल जाता है।
रक्त / श्वेत प्रदर : तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम चाटने से प्रदर रोग में आराम मिलता है।
- तुलसी के रस में जीरा मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से प्रदरस्राव ठीक होता है।
रक्तप्रदर : तुलसी के ताजे पत्तों का रस तालमिश्री के साथ पीने से रक्तप्रदर रोग मिटता है।
प्रसव का कष्ट (बच्चे जन्म देने के समय का दर्द) : प्रसव पीड़ा के समय तुलसी के पत्तों का रस स्त्री को पिलाने से पीड़ा कम होती है और बच्चे का जन्म आसानी से हो जाता है।
- तुलसी की जड़ प्रसूता स्त्री की कमर पर बांधने से प्रसव के समय का दर्द कम होता है।
गर्भधारण न होना या बांझपन : यदि किसी स्त्री को मासिकधर्म नियमित रूप से सही मात्रा में आने के बाद भी गर्भ नहीं ठहरता हो तो मासिकधर्म के दिनों में स्त्री को तुलसी के बीज को चबाना चाहिए या पानी में पीसकर या काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए। इससे गर्भधारण होता है। यदि 2 से 4 महीने के सेवन से गर्भधारण न हो तो इसका सेवन एक वर्ष तक करें। इस प्रयोग से गर्भाशय निरोग, सबल बनकर गर्भधारण के योग्य बनता है।
- तुलसी के बीज 5 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ मासिकधर्म शुरू होने से पहले 3 दिनों तक नियमित सेवन करने से गर्भधारण होता है।
मुंह के छाले : तुलसी और चमेली के पत्ते को एक साथ चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
- तुलसी के 4-5 पत्ते प्रतिदिन सुबह-शाम चबाकर ऊपर से पानी पीने से मुंह के छाले व दुर्गंध दूर होती है।
त्वचा के रोग में : तुलसी के पत्तों का रस और नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर दाग, खाज, चेहरे झाइयां, कील, मुंहासे व अन्य त्वचा रोग पर लगाने से वे ठीक होते है।
घाव : तुलसी के पत्ते को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें और कपड़े से छानकर घाव पर छिड़कें। इससे घाव भर जाते हैं।
- फोड़े, जख्म व घाव होने पर काली तुलसी के पत्ते को पीसकर लगाना चाहिए। इससे फोड़े अच्छी तरह से पककर फूट जाते है और दर्द से आराम मिलता है।
- तुलसी की लकड़ी को पानी में घिसकर चंदन की तरह घाव पर लगाने से आराम मिलता है।
घाव में कीड़े होना : तुलसी के पत्तों को उबालकर उस पानी से घाव को धोएं और ऊपर से तुलसी के पत्तों का बारीक चूर्ण घावों पर छिड़कना चाहिए। इससे घाव के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- तुलसी के पत्तों के रस में पतला कपड़ा भिगोकर पट्टी बांधने से घाव के कीड़े नष्ट होते हैं।
आग से जलने पर : तुलसी के पत्तों का रस 250 मिलीलीटर और नारियल का तेल 250 मिलीलीटर को मिलाकर आग पर गर्म करें और जब केवल तेल बच जाए तो इसमें 15 ग्राम मोम डाल दें। इसके बाद मोम अच्छी तरह मिल जाने पर इसे उतार लें और आग से जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे आग की जलन शांत होती है। इसका उपयोग खुजली और फुंसी को नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।
- नारियल के तेल में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर जले हुए अंगों पर लगाने से जलन व दर्द शांत होता है और फफोले भी नहीं पड़ते। इसे छाले व घाव पर भी लगाया जा सकता है।
सफेद दाग (ल्यूकोडार्मा) : एक तुलसी का ताजा हरा पौधा जड़ समेत उखाड़ लें और इसे धोकर साफ करके आधे किलो पानी व आधे किलो सरसों के तेल में हल्की-हल्की आग पर पकाएं। जब पकते-पकते केवल तेल बच जाए तो इसे उतारकर छान लें। इस तरह तैयार तुलसी के तेल को सफेद दाग पर लगाने से सफेद दाग ठीक होता है। यह खुजली, फुंसियों व जख्मों को भी ठीक होता है।
- काली तुलसी के पत्तों का रस कालीमिर्च के साथ प्रतिदिन 2 बार सेवन करने और सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है।
- तुलसी के पौधे की जड़ और तने को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें और फिर इसे आधे किलो तिल के तेल में डालकर पकाएं। पक जाने पर इसे छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल को दिन में 3-4 बार रुई के फोहे से सफेद दागों पर लगाने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
कुष्ठ (कोढ़) : तुलसी के 20 पत्ते को पीसकर दही में मिलाकर 4 से 5 सप्ताह तक खाने से कुष्ठ (कोढ़) रोग ठीक होता है।
गृध्रसी (साइटिका पेन) : तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर उसकी भाप वातनाड़ी पर देने से गृध्रसी शूल (साइटिका पेन) में बहुत लाभ मिलता है।
मोटापा दूर करना : तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच एक गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।
- तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चों को सेवन कराने से बच्चों के शरीर में चर्बी का अधिक बनना कम होता है।
बिजली गिरना (वज्रपात) : तार की बिजली अथवा वर्षा में आकाश से गिरने वाली बिजली से यदि कोई व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो उसके सिर व चेहरे पर तुलसी के पत्तों का रस डालें। इससे बेहोशी दूर होती है।
- काली तुलसी की जड़ से बनाया हुआ माला पहनने से वज्रपात से आघात पहुंचने का डर नहीं रहता।
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