विधि :
- जमीन पर चटाई बिछाकर पेट के बल लेट जाएं एवं दोनों हाथों को बगल से सटाकर पूरे शरीर के स्नायुओं को बिल्कुल ढीला छोड़ दें।
- दोनों एड़ी व पंजों को आपस में मिलाते हुए व घुटनों के बीच फासला रखते हुए पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाते हुए सिर की तरफ मोड़ें तथा दोनों पैरों को एड़ी के पास से दोनों हाथों से पकड़ लें।
- श्वास भरते हुए हाथों पर जोर देकर पैरों को सिर की तरफ खींचते हुए अपने सिर, छाती तथा जांघों को जितना सम्भव हो उतना ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें। दोनों हाथों को बिल्कुल सीधा रखें।
- जब तक आराम से श्वास रोक सकते हैं इसी स्थिति में रहें, तत्पश्चात धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।
- कम से कम 3 बार इसे दोहराएँ |
विशेष :
इस आसन के अभ्यास से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए इसको करते समय पैरों को पकड़ कर पेट के सहारे उसी स्थिति में अपने शरीर को दाएं-बाएं व ऊपर-नीचे कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त अभ्यास के समय शरीर को चक्रासन की स्थिति में लाकर एक पैर को ऊपर उठाते हुए भी कर सकते हैं।
सावधानियाँ :
- धनुरासन का अभ्यास योग आसन के जानकार की देखरेख में अच्छी तरह से सीख कर ही करना चाहिए।
- इस आसन को खाली पेट करें।
- उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर), अल्सर तथा हार्निया वाले रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- स्लिप डिस्क (कमर दर्द) व रीढ़ की हड्डी में दर्द हो तो इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
लाभ :
- यह आसन स्त्रीरोगों में विशेष लाभकारी है। इसके अभ्यास से प्रसव के बाद पेट पर पड़ने वाली झुर्रियां दूर हो जाती है।
- धनुरासन के अभ्यास से मासिकधर्म, गर्भाशय तथा डिम्बग्रंथियों के रोग समाप्त होते हैं।
- धनुरासन मेरूदंड (रीढ़ की हड्डी) को लचीला बनाता है, जिससे व्यक्ति का यौवनकाल अधिक समय तक रहता है।
- यह आसन शरीर के जोड़ों को मजबूत करता है।
- इसके अभ्यास से हटी हुई नाभि अपने आप ही सामान्य स्थिति में आ जाती है।
- इस आसन से शलभासन और भुजंगासन का लाभ भी मिलता है।
- यह आसन कमर व गर्दन के दर्द के लिए भी लाभकारी है परन्तु रोग की तीव्र अवस्था में नही करें |
- धनुरासन गर्दन, छाती व फेफड़ों को शक्तिशाली व क्रियाशील बनाता है।
- यह कंधे को पुष्ट व छाती को चौड़ा व मजबूत बनाता है।
- यह आसन पेट की अधिक चर्बी को कम करता है।
- धनुरासन के अभ्यास से पेट से संबन्धित रोग - मंदाग्नि, अजीर्ण, लिवर की कमजोरी दूर होती हैं।
- यह पाचनशक्ति एवं भूख को बढ़ाता है।
- इस आसन को करने से कब्ज दूर होता है।
- मधुमेह के रोगियों को धनुरासन से विशेष लाभ मिलता है।
- धनुरासन के अभ्यास से गठिया रोग में लाभ मिलता है।
- धनुरासन रक्तप्रवाह को तेज करता है और खून को शुद्ध करता है।
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