डॉ. कैलाश द्विवेदी (नेचुरोपैथ)
आकाश तत्व पंचतत्वों में प्रथम तत्व है, शेष चारों तत्वों का आधार भी आकाश तत्व होता है | इस तत्व को `शून्य´ भी कहा जाता है। जिस तरह से ईश्वर निराकार होते हुए भी सत्य है,उसी प्रकार आकाश तत्व भी निराकार लेकिन सच है। आकाश तत्व अविनाशी. विशुद्ध तथा निर्विकार होता है। इसलिए उससे हमें विशुद्धता और निर्मलता की प्राप्ति होती है। आकाश में देवताओं का वास माना जाता है जो अमर होते हैं। हम भी आकाश तत्व का भरपूर और सही मात्रा में सेवन करके निरोगी और दीर्घायु हो सकते हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा में आकाश तत्व को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन उपवास है। महात्मा गांधी ने आकाश तत्व को ‘आरोग्य सम्राट’ की संज्ञा दी है। उनके मुताबिक आकाश का रहस्य जानना भगवान का रहस्य जानने के समान है। ऐसे महान तत्व का जितना ही अभ्यास और इस्तेमाल किया जाएगा, उतना ही ज्यादा आरोग्य मिलेगा। जिस तरह से आकाश हमारे आसपास, ऊपर और नीचे है इसी तरह से वह हमारे अन्दर भी है। त्वचा के छिद्रों में तथा दो छिद्रों के बीच में जो रिक्त स्थान है वह आकाश तत्व होता है। इस आकाश तत्व की खाली जगह को हमें भरने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यदि हम शरीर को जितने भोजन की आवश्यकता है उतना ही लें और ज्यादा न खाएं तो शरीर में खाली जगह रहेगी। यदि सप्ताह में एक बार उपवास कर लिया जाए तो शरीर में आकाश तत्व की पूर्ति होती रहती है। यदि पूरे दिन उपवास करना सम्भव न हो तो दिन में एक बार का भोजन न करने से भी लाभ होता है।
उपवास :
उपवास से रोगी एवं स्वस्थ व्यक्ति दोनों को लाभ मिलता है। उपवास हमारी जीवन पद्धति का महत्वपूर्ण अंग है। रोगों को दूर करने की शक्ति हमारे शरीर में निहित है, उपवास की स्थिति में पाचन संस्थान को पूर्ण विश्राम मिलता है। इस स्थिति में शरीर की शक्ति रोगों एवं शरीर स्थित मल को निष्काषित करने में संलग्न हो जाती है |
उपवास रखने के दौरान शरीर की सफाई होने लगती है। हमारे शरीर में जो जहरीले जीवाणु पैदा हो जाते हैं वे जीवाणु हमारे करने वाले भोजन से ही अपना भोजन लेना शुरू कर देते हैं और इन जीवाणुओं में से ज्यादातर जीवाणु ऐसे होते हैं जिनको अगर भोजन न मिले तो वे ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह सकते। इसलिए अगर उपवास रखा जाए तो ये जीवाणु भोजन के अभाव में समाप्त होने लगते हैं। इसी तरह पेट के रोगों से भी छुटकारा मिल जाता है।
उपवास के दौरान पालन योग्य नियम :
- उपवास रखने के दौरान किसी भी प्रकार का भोजन नही करना चाहिए।
- उपवास में प्रतिदिन लगभग 2 लीटर पानी में 2-3 नींबू का रस डालकर पूरे दिन में कई बार पीना चाहिए, या फल या सब्जी का जूस भी पी सकते हैं।
- जिस व्यक्ति को शुरुआत में पूरे दिन का उपवास रखने में परेशानी आए, वह पूरे दिन में एक समय फल खा सकता है।
- उपवास चाहे तो एक दिन का भी कर सकते हैं या काफी दिनों तक भी कर सकते हैं। हर व्यक्ति को पूरे हफ्ते में कम से कम 1 दिन तो उपवास जरूर करना चाहिए।
- उपवास को तोड़ते समय कभी भी ठोस आहार का सहारा नहीं लेना चाहिए। उपवास तोड़ने के लिए सबसे अच्छा आहार पके हुए संतरे, मौसमी, अंगूर का रस या फल-सब्जी का रस होता है।
- अगर उपवास एक दिन का रखा है तो उसे फलों को खाकर तोड़ा जा सकता है। बहुत से लोग उपवास को भारी पकवानों से तोड़ते हैं जिससे उनके शरीर को लाभ की बजाय नुकसान ही होता है।
- पूरे दिन के उपवास के बाद शाम को गुनगुने पानी में एक नींबू का रस मिलाकर एनिमा अवश्य लेना चाहिए |
उपवास कब नही करना चाहिए :
- गर्भकाल में - गर्भवती स्त्री के बच्चे को पोषण की बहुत ज्यादा जरूरत होती है इसलिए इस समय स्त्री को उपवास नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे हल्का और प्रोटीन वाला भोजन खाना चाहिए।
- मधुमेह में - डायबटीज के रोगी को समय पर भोजन नहीं मिलता तो उसके शरीर में चीनी की मात्रा कम हो जाती है जिससे परेशानी हो सकती है अतः मधुमेह (डायबटीज) रोगी को उपवास नहीं करना चाहिए।
- रिकेट्स और रतौंधी में -जिन लोगों को आंखों के रोग होते हैं जैसे कम दिखाई देना या रात को न दिखाई देना उन्हें उपवास नहीं रखना चाहिए। जिन रोगियों को रिकेट्स का रोग होता है उन्हे भी उपवास नही रखना चाहिए। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसे रोगियों के शरीर में लोहे (आयरन) की कमी होती है।
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