वर्तमान में डेंगू एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है, सम्पूर्ण भारत में ये बड़ी तेजी से बढ़ता ही जा रहा है जिससे कई लोगों की जान जा रही है |
यह एक वायरल रोग है आयुर्वेद में इसका इलाज है और वह इतना सरल और सस्ता है कि उसे कोई भी कर सकता है |
लक्षण :
- तीव्र ज्वर
- सिर में तेज़ दर्द
- आँखों के पीछे दर्द होना
- उल्टियाँ होना
- त्वचा का सूखना
- खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना
यह डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है | डेंगू के लक्षण जैसे बुखार, तेज सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, दिखाई पड़ते ही नजदीकी डॉक्टर को दिखाएं। इसमें लापरवाही करना खतरनाक हो सकता है।
बचाव :
- जिन बर्तनों में पानी रखा जाता है उन पर हमेशा ढक्कन लगा कर रखें।
- कूलर में पानी जमा न रहने दें, उसकी नियमित सफाई करें।
- वॉश बेसिन, सिंक, नालियां जहां भी धुलाई-सफाई का काम होता है वे जगहें साफ व सूखी रखें।
- कई दिनों तक किसी भी बर्तन में पानी भरकर न रखें। एक हफ्ते के भीतर उसे बदलते रहें।
- खराब हो चुकी वस्तुओं जैसे टायर, नारियल के खोल, बोतलें आदि को फेंक दें या नष्ट कर दें।
- छत, छज्जे आदि पर भी बरसात का पानी जमा न होने दें।
- मच्छर मारने की दवाओं का प्रयोग करें।
डेंगू संक्रमित मच्छर दिन के वक्त काटता है, इसलिए अच्छा हो कि आप दिन के समय नमी वाली जगहों पर न जाएं और पूरे शरीर को ढंकने वाले वस्त्र पहनें।
उपचार :
- यदि आपके आस-पास किसी को यह रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो निम्न चार चीज़ें रोगी को दें :
- अनार जूस
- गेहूं घास रस
- पपीते के पत्तों का रस
- गिलोय/अमृता/अमरबेल सत्व
डेंगू से घटे प्लेटलेट्स की भरपाई करेगी ये डाइट :
- अधिक से अधिक तरल पदार्थ पिएं।- खूब पानी पिएं।
- दिन में तीन बार एक-एक चम्मच हल्दी, दूध या पानी के साथ लें।
- नींबू-पानी का सेवन करें।
गिलोय :
गिलोय का जूस डेंगू के दौरान नियमित रूप से इसके सेवन से प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती है। गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है l यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर "गिलोय घनवटी" ले आयें जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में 3 बार दें |पपीता और इसके पत्ते का रस :
शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने और ब्लड प्लेटलेट की रिकवरी के लिए पपीता या इसके पत्तों का जूस भी बहुत फायदेमंद है। आप चाहें तो पपीते की पत्तियों को चाय की तरह भी पानी में उबालकर पी सकते हैं, इसका स्वाद ग्रीन टी की तरह लगेगा। पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संख्या बढ़ने लगेगी |
अनार जूस तथा गेहूं घास रस :
यह नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है |नारियल पानी :
नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स अच्छी मात्रा में होते हैं। इसके अलावा यह मिनिरल्स का भी अच्छा स्रोत है जो शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं।लाल फल और सब्जियां :
टमाटर, तरबूज, चेरी आदि फल और सब्जियों में विटामिन और मिनिरल्स के साथ-साथ एंटी ऑक्सिडेंट्स अच्छी मात्रा में होते हैं। ये शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद करते हैं |कद्दू का रस :
कद्दू के आधे ग्लास जूस में एक से दो चम्मच शहद डालकर दिन में दो बार लेने से भी खून में प्लेटलेट की संख्या बढ़ती है।
चुकंदर और गाजर :
चुकंदर के रस में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं। अगर दो से तीन चम्मच चुकंदर के रस को एक ग्लास गाजर के रस में मिलाकर पिएं तो ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ती हैं।
उल्टी होने पर :
यदि रोगी बार बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा नींबू रस मिला कर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी |विशेष :
- यदि बुखार १ दिन से ज्यादा रहे तो खून की जांच अवश्य करवा लें |
- ये रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है तब भी यह चीज़ें रोगी को बिना किसी डर के दी जा सकती हैं |
- डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आये उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होता है |
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