Sunday, April 26

मिटटी की पट्टी एवं शरीर शोधन व रोग मुक्ति हेतु मिट्टी के कुछ प्रयोग

 अप्राकृतिक आहार, अनियमित दिनचर्या एवं दूषित विचारों से जब शरीर में विजातीय द्रव्यों(विष) की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है तब इस विष को निकालने के लिए हमारे शरीर के प्रमुख मल निष्कासक अंग (त्वचा,आंत,फेफडे एवं गुर्दे) भी अक्षम हो जाते हैं। इस स्थिति में उक्त विष शरीर के अन्दर एकत्र होकर रोग पैदा करता है। प्राकृतिक चिकित्सा में इस विष को मिट्टी,पानी,धूप,हवा और आकाश तत्वों की सहायता से विकसित उपचारों द्वारा शरीर का शोधन कर रोगमुक्त किया जाता है। मात्र पृथ्वी तत्व के कुछ प्रयोगों से भी शरीर का शोधन कर सकते हैं।
1. रज स्नान:-
विधिः- शुद्ध साफ मिट्टी को कपड़े से छानकर उसे सम्पूर्ण शरीर पर रगड़ने के पश्चात् 10- 20 मिनट धूप में बैठें, तत्पश्चात ताजे पानी से स्नान कर लें।
लाभ: -
त्वचा नरम, लचीली एवं कोमल हो जाती है।
शरीर के रोमछिद्र खुल जाने से शरीर का विजातीय द्रव्य (विष) पसीने के माध्यम से बाहर निकल जाता है।
त्वचा के समस्त रोग एवं बरसाती फोडे- फुंसियाँ इस स्नान से मंत्रवत दूर हो जाते हैं।

2. गीली मिट्टी स्नान
विधि:- महीन पिसी हुई मिट्टी को पानी के साथ घोलकर लेई की तरह बना लें फिर उसका पूरे शरीर पर लेपन करें, तत्पश्चात धूप में बैठ जाएं। मिट्टी के सूख जाने के उपरान्त धीरे-धीरे रगड़कर उसे छुड़ाने के बाद ताजे पानी से स्नान करें। यह प्रयोग किसी तालाब के किनारे जाकर तालाब की साफ मिट्टी से भी किया जा सकता है।
लाभ:-
यह स्नान बहने वाले फोडे-फुंसियोँ वाले शरीर के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
त्वचा की गन्दगी को हटाकर त्वचा को उजला बनाने में यह स्नान लाभप्रद है।
सम्पूर्ण शरीर से विष को खींचकर शरीर का आन्तरिक शोधन करने में विशेष उपयोगी है।
मिटटी की पट्टी बनाने की विधि 
गीली मिट्टी की पट्टी को रोगग्रस्त अंग पर विशेष तरीके से प्रयोग कर हम रोगमुक्त हो सकते है। मिट्टी की पट्टी को बनाने की विधि हम आपको बता रहे हैं, जिन्हे आगे दिये गए रोगों में प्रयोग किया जा सकता है।
1. मिट्टी की गरम पट्टी:- पट्टी के लिए साफ बलुई मिट्टी  (जिसमें आधी मिट्टी एवं आधा बालू हो ) यदि यह न उपलब्ध हो तो किसी साफ जगह पर जमीन से एक- डेढ फिट नीचे की मिट्टी लेकर साफ करने के बाद उसमें
पानी मिलाकर किसी लकड़ी आदि से चलाकर लुगदी जैसी बना लें। अब इस मिट्टी को रोगग्रस्त स्थान के आकार से थोड़ा बड़ा महीन कपड़े पर फैलाकर लगभग आधा इंच मोटाई की पट्टी बना लें। इस पट्टी का मिट्टी की तरफ वाला भाग रोगग्रस्त अंग पर रखकर किसी ऊनी कपड़े से ढक दें।
2. मिट्टी की ठण्डी पट्टी:- इस पट्टी को बनाने की विधि गरम पट्टी की तरह ही है।अन्तर सिर्फ इतना है कि इस पट्टी को रोगग्रस्त अंग रखने के उपरान्त ऊनी कपड़े से नही ढकते बल्कि इसे खुला ही रहने देते हैं।
3. पेड़ू की मिट्टी पट्टी:- इस पट्टी का प्रयोग अन्य रोगों के अतिरिक्त मुख्य रूप से कब्ज दूर करने के लिए किया जाता है। 
सावधानियाँ:-
यदि मिट्टी की शुद्धता पर संदेह हो तो उसे किसी बर्तन में गर्म करके ठण्डा कर लें।
मलेरिया के ज्वर में,दमा के दौरे में एवं दिल का दौरा पड़ने पर पेड़ू पर मिट्टी -पट्टी का प्रयोग न करें।
बालू मिश्रित मिट्टी न मिल पाने पर कच्ची ईंट को पानी में भिगोकर उपयोग में लाया जा सकता है।
मिट्टी- पट्टी बनाने के लिए मिट्टी को 10-12 घंटे पहले पानी में भिगोना सर्वोत्तम है।
भिगोई गई मिट्टी का उपयोग चार-पाँच दिनों में कर लेना चाहिए।
मिट्टी की लुगदी बनाते समय उसमें हाथ नहीं डालना चाहिए बल्कि किसी लकड़ी या चम्मच से चलाना चाहिए।
एक बार उपयोग की गई मिट्टी का पुनः उपयोग नहीं करना चाहिए।

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