रक्तप्रदर :
- 20 ग्राम बरगद के कोमल पत्तों को 100 से 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर रक्तप्रदर वाली स्त्री को सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है। स्त्री या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो वह भी बंद हो जाता है।
- 10 ग्राम बरगद की जटा के अंकुर को 100 मिलीलीटर गाय के दूध में पीसकर और छानकर दिन में 3 बार स्त्री को पिलाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
- 3 से 5 ग्राम बरगद की कोपलों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम खाने से प्रमेह व प्रदर रोग खत्म होता है।
- बरगद की 3 से 6 ग्राम छाल का चूर्ण चावल के पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से रक्तप्रदर का रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।
- बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
- 100 ग्राम ताजे बड़ की छाल को छाया में सुखाकर पीसकर और छानकर 5-5 ग्राम कच्चे दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
गर्भधारण करने हेतु :
- पुष्य नक्षत्र और शुक्ल पक्ष में लाये हुए बरगद की कोपलों का चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में मासिक-स्राव काल में प्रात: पानी के साथ 4-6 दिन खाने से स्त्री अवश्य गर्भधारण करती है, या बरगद की कोंपलों को पीसकर बेर के जितनी 21 गोलियां बनाकर 3 गोली रोज घी के साथ खाने से भी गर्भधारण करने में आसानी होती है।
गर्भवती स्त्री की उल्टी :
- बड़ की जटा के अंकुर को घोटकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से सभी प्रकार की उल्टी बंद हो जाती है।
गर्भवती स्त्री का अतिसार :
- बट की कोंपलों (मुलायम पत्तियां) बकरी के दूध में पीसकर रोगी को पिलाने से गर्भवती स्त्री का अतिसार (दस्त) बंद हो जाता है।
गर्भवती की पीड़ा और दर्द :
- बरगद की कोपल (मुलायम पत्तियां) और छाल पीसकर चूर्ण बनाकर और दूध में घोलकर पिलाने से भी लाभ होता है। यह योग पांचवे माह में गर्भ की रक्षा, गर्भिणी की पीड़ा का नष्ट करना तथा स्राव को रोकने वाले होते हैं।
- नवें महीने के गर्भ के विकार : बरगद के पेड़ की जड़ और काकोली को पीसकर ताजे पानी के साथ पिलाने से नवें महीने में होने वाली गर्भ सम्बन्धी सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
स्तनों का ढीलापन:
- बरगद की जटाओं के बारीक रेशों को पीसकर बने लेप को रोजाना सोते समय स्तनों पर मालिश करके लगाते रहने से कुछ हफ्तों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है।
- बरगद की जटा के बारीक अग्रभाग के पीले व लाल तन्तुओं को पीसकर लेप करने से स्तनों के ढीलेपन में फायदा होता है।
स्तनों के रोग :
- बरगद और पीपल के पेड़ की हरी छाल को उतार कर पीसकर गुनगुना ही स्तनों पर लगाने से स्तनों के रोग ठीक हो जाते हैं।
गर्भपात :
- 4 ग्राम बरगद की छाया में सुखाई हुई छाल के चूर्ण को दूध की लस्सी के साथ खाने से गर्भपात नहीं होता है।
- बरगद की छाल के काढ़े में 3 से 5 ग्राम लोध्र की लुगदी और थोड़ा सा शहद मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से गर्भपात में जल्द ही लाभ होता है। योनि से रक्त का स्राव यदि अधिक हो तो बरगद की छाल के काढ़ा में छोटे कपड़े को भिगोकर योनि में रखें। इन दोनों प्रयोग से श्वेत प्रदर में भी फायदा होता है।
योनिशौथिल्य (योनि का ढीलापन) :
- बरगद की कोपलों के रस में फोया भिगोकर योनि में रोज 1 से 15 दिन तक रखने से योनि का ढीलापन दूर होकर योनि टाईट हो जाती है।
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