लाभ :
- रक्तशोधिनी हरिमुद्रा शरीर और चेहरे को सुंदर बनाती है।
- इस मुद्रा को करने से चेहरे की लाली बढ़ती है।
- इस मुद्रा को करने से रक्त शुद्ध होता है एवं शरीर में लाल रक्त के कणों की वृद्धि होती है।
- रक्तशोधिनी हरिमुद्रा के अभ्यास से दिमागी शक्ति भी तेज होती है।
- रक्त विकार जैसे - खाज, खुजली, छाजन, फोड़े-फुंसी आदि सारे त्वचा के रोगों को यह मुद्रा समाप्त कर देती है।
विशेष :
- रक्तशोधिनी हरिमुद्रा स्त्रियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है , इसके नियमित अभ्यास से खूबसूरती में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है ।
विधि :
- जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाएँ
- दोनों हाथों की अंगुलियों एवं अंगूठे के अग्रभाग को जमीन पर टिका दें |
इसे रक्तशोधिनी हरिमुद्रा कहते है, इस स्थिति में अंगुलिया एवं अंगूठा सीधा रहना चाहिए एवं इनके अग्रभाग जमीन पर अच्छे से टिके रहने चाहिए |
कितने समय तक और कब करें :
प्रारंभ में पांच मिनट से शुरू करके 15 मिनट तक कर सकते हैं |
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