पौराणिक मान्यता के अनुसार - देव-दानव के बीच हुए अमृत युद्ध में अमृत की कुछ बूंदे धरती पर बिखर गई उन्हीं बूंदों से धरती लहसुन के पौधे की उत्पत्ति हुयी | इसीलिए इसे अमृत रसायन कहा जाता है।
लहसुन का रोगों में उपयोग :
काली खाँसी :
लहसुन के रस की पाँच-पाँच बूंदें सुबह- शाम लेने से काली खांसी में अत्यधिक लाभ मिलता है |गठिया एवं अन्य जोड़ों के रोग :
इसमें लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है। लहसुन का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द या गठिया में होता है तथा यह सूजन का भी नाश करती है। यह जोड़ों के दर्द के उद्दीपन को घटाता है। लहसुन की पुल्टिस को किसी भी सूजे भाग पर बाँधने या ताजा स्वरस रगड़ने से सूजन मिटती है।
पेचिश :
पेचिश में 10 ग्राम लहसुन का रस मट्ठे में मिलाकर सुबह, दोपहर, शाम कुछ दिनों तक लें। रस हर बार ताजा निकालें। आशातीत लाभ होने पर बंद कर दें।
हृदय रोग :
यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है।
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साँप तथा बिच्छू का जहर :
साँप तथा बिच्छूके काटे पर लहसुन की ताजी कलियाँ पीसकर लगाएँ। जहाँ तक ज़हर चढ़ गया हो, वहाँ तक इस लेप को लगाकर पट्टी बाँध देने से ज़हर उतर जाता है। बिच्छू के काटे स्थान पर डंक साफकर लहसुन और अमचूर पीसकर लगाने से ज़हर उतर जाता है।
जी मचलाना :
जी मचलने पर लहसुन की कलियाँ चबा लें या लहसुनादि वटी चूसें, लहसुन के हरे पत्तों की चटनी भी लाभकारी रहती है।
एंटीसेप्टिक :
यह शरीर के लिए एंटीसेप्टिक का काम करता है। लहसुन में एंटीबायोटिक दवाओं से अधिक गुण हैं, जिसकी वजह से वह रोगाणुओं का नाश करती है। यही कारण है कि घाव धोने के लिए लहसुन के एक भाग रस में तीन भाग पानी मिलाकर काम में लिया जाता है।
कैंसर :
लहसुन में जर्मेनियम तत्व पाया जाता है जो एंटी कैंसर के रूप में काम करता है। कैंसर के इलाज में भी डाॅक्टरस लहसुन की महत्वपूर्ण भूमिका बताते हैं।
पोषक तत्व :
प्रतिदिन लहसुन की एक कली के सेवन से शरीर को विटामिन ए, बी और सी के साथ आयोडीन, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्निशयम जैसे कई पोषक तत्व एक साथ मिल जाते हैं।
मोटापा :
यदि आप लहसुन की 2-3 की कलियों को पीसकर गर्म पानी के साथ लेते हैं तो ये आपको ओवरवेट की समस्या से छूटकारा दिलायेगा।
श्वास रोग :
लहसुन की कलियों को तवे पर भूनकर बच्चों को खिलाने से सांस की तकलीफ दूर होती है। ये 3-4 कलियों से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
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