By- Dr. Kailash Dwivedi
हमारा मष्तिस्क जो सम्पूर्ण शरीर का नियंत्रण करता है करोड़ों छोटी-छोटी कोशिकाओं का बना है, उन्हें न्यूरोन्स कहा जाता है | एक न्यूरोन दूसरे न्यूरोन्स से संपर्क कुछ खास पदार्थों के जरिए करता है, इन पदार्थों को न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है | दिमाग में कुछ ऐसे न्यूरोट्रांसमीटर हैं जिनकी मात्रा में बदलाव आने से डिप्रैशन हो जाता है | समय के साथ डिप्रैशन बढ़ने से दिमाग की कोशिकाओं में ऐसे बदलाव आ जाते हैं, जिनसे रोगी के मन में स्वयं को खत्म करने के विचार आने लगते हैं |
डिप्रैशन के लक्षण :
- यदि आप सो नहीं पाते हैं अथवा ज्यादा सोने लगते हैं
- किसी भी चीज पर उतना ध्यान नहीं लगा पाते जो कि आप पहले आसानी से कर पाते थे
- उदास व निराश रहते हैं, प्रयास करने के बाबजूद भी अपने मन से नकारात्मकता को निकाल नहीं पा रहे हैं
- भूख नहीं लगती या जरूरत से ज्यादा खाने लगे हैं
- जरूरत से ज्यादा परेशान, गुस्सैल या चिड़चिड़े रहने लगे हैं |
- शराब या धूम्रपान करने लगे हैं, या ऐसी किसी गतिविधि में शामिल हो रहे हैं जो कि आप जानते हैं कि वह गलत है
- मन में यह विचार आते हों कि जीवन जीने का कोई फायदा नहीं है
यदि उपर्युक्त लक्षण उत्पन्न हो रहे हों तो सावधान हो जाएँ | यह डिप्रैशन हो सकता है | डिप्रैशन अधिकतर 25 से 45 वर्ष की उम्र के लोग को प्रभावित करता है | परंतु बच्चों एवं वृद्धावस्था में भी यह बीमारी हो सकती है | पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रैशन 2-3 गुना ज्यादा पाया जाता है | डिप्रैशन समाज के हर वर्ग को प्रभावित करता है | यह सोचना गलत है कि जिन लोगों के पास जिन्दगी के सब ऐशो-आराम हैं उन लोगों को डिप्रैशन नहीं हो सकता |
बच्चों में डिप्रैशन के लक्षण :
चिड़चिड़ापन, कहना न मानना, पढ़ाई में ध्यान न देना, स्कूल न जाने के बहाने बनाना |डिप्रैशन की चिकित्सा :
बदलती जीवनशैली, तनावमुक्त वातावरण और प्रदूषित पर्यावरण की वजह से भी अवसाद के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं। योग में अवसाद के उपचार के लिए ब्रह्म मुद्रा आसन बहुत कारगर योगासन है। इसके नियमित अभ्यास से आपको न सिर्फ अवसाद से मुक्ति मिलती है बल्कि कई मानसिक व शारीरिक समस्याओं का भी निदान होता है।आराम की मुद्रा में बैठ जाएँ. सर्वप्रथम श्वांसों को गहराई से छोड़ने का प्रयास करें । केवल सांसों को गहरा-गहरा लें और छोड़ें। इस प्रक्रिया में शरीर की दूषित वायु निष्कासित होती है और तन- मन प्रफुल्लित रहतें हैं ।
ब्रह्म मुद्रा करने की विधि :
- पद्मासन,वज्रासन,सिद्धासन या पालथी लगाकर बैठ जाएँ
- गर्दन को श्वास भरते हुए धीरे-धीरे दाईं ओर ले जाएं। कुछ देर रुकें फिर श्वास छोड़ते हुए गर्दन को सामान्य स्थिति में ले आयें | पुनः श्वास भरते हुए गर्दन को बाईं ओर ले जाएं एवं श्वास छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में लायें | यह एक चक्र हुआ | इस प्रकार कम से कम 5 चक्र करें |
- सिर को 3-4 बार क्लॉकवाइज (घडी की सुई की दिशा में) और उतनी ही बार एंटी क्लॉकवाइज घुमाएं।
सूर्य अनुलोम-विलोम प्राणायाम
विधि :पद्मासन अथवा सुखासन में बैठकर बायें नथुने को बंद करें और दायें नथुने से धीरे- धीरे अधिक से अधिक गहरा श्वास भरें। श्वास लेते समय आवाज न हो इसका ख्याल रखें। अब अपनी क्षमता के अनुसार श्वास भीतर ही रोक रखें। (कुंभक की यह अवधि कुछ दिनों के अभ्यास से धीरे धीरे एक डेढ़ मिनट तक बढ़ायी जा सकती है।) जब श्वास न रोक सकें तब दायें नथुने से ही धीरे धीरे बाहर छोड़ें। झटके से न छोड़ें। इस प्रकार 9 से 27 प्राणायाम करें।
घरेलू नुस्खे :
इलायची - इलायची के पिसे हुए बीज को पानी के साथ उबाल कर या चाय के साथ लिया जा सकता है।काजू - विटामिन बी की मात्रा अधिक होने के कारण काजू हमारे स्वाद और तंत्रिका तंत्र को ठीक रखता है।
सेब - सेब खाने से डिप्रेशन दूर रहता है क्योंकि सेब में विटामिन बी ,फास्फोरस और पोटैशियम होते हैं जिनसे कि ग्लूटामिक एसिड का निर्माण होता है।
अवसाद की स्थिति में यह ध्यान रखें :
- महत्वपूर्ण निर्णयों को टालें जैसे कि शादी करना या तलाक से संबंधित बातें या नौकरी बदलना |
- अपने निर्णयों को अपने उन शुभचिंतकों के साथ बाटें, जो आपको भलीभांति जानते हों और आपकी स्थिति का सही आकलन करें |
- बड़े बड़े कार्यों को छोटे छोटे हिस्सों में बांटे, कुछ काम की प्राथमिकताएं निर्धारित करें और ऐसा कार्य करें, जिसे संपन्न करने की आपमें पूर्ण क्षमता हो |
- अन्य लोगों के साथ समय बिताएं और किसी भरोसेमंद मित्र या रिश्तेदार के साथ अपनी गुप्त बातों को बताएं |अपने आपको सबसे अलग थलग करने की कोशिश न करें और दूसरों को आपकी मदद करने दें |
- खुद को हल्के फुल्के कार्यों में या व्यायाम में व्यस्त रखें , ऐसे कार्य करें, जिसमे आपको आनंद मिले | जैसे कि फिल्म देखना, बाल्गेम खेलना |
- सामाजिक, धार्मिक या अन्य कार्यकमों में हिस्सा लें |
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