Monday, April 13

लौकी के औषधीय गुण

लौकी में पाये जाने वाले तत्व :

  • प्रोटीन -                     0.2 प्रतिशत
  • वसा -                        0.1 प्रतिशत
  • कार्बोहाइड्रेट -            2.9 प्रतिशत
  • जल  -                      96.3 प्रतिशत
  • विटामिन-बी -          थोड़ी मात्रा में
  • लौह -                      0.7 मिग्रा./100 ग्राम
  • फॉस्फोरस -             0.01 प्रतिशत
  • कैल्शियम -             0.02 प्रतिशत

रोगों में लौकी के प्रयोग : 

  • कमजोरी दूर करे : लौकी के 2-3 पत्तों को छोटा-छोटा काटकर एक गिलास पानी में धीमी आंच पर उबालें , जब पानी आधा रह जाए तब उसे छानकर पीने से शरीर की शक्ति बढ़ती है।
  • दस्त : यदि दस्त बार-बार आ रहे हों तो लौकी के रायता का सेवन करना चाहिए |
  • हृदय रोग:  250 मिली. लौकी के रस + 5 पुदीने की पत्तियां + 10 तुलसी की पत्तियों का रस आपस में मिलाकर प्रातः खाली पेट,  दोपहर को भोजन के 2 घंटे बाद एवं रात्रि को भोजन के आधा घंटा बाद लेना चाहिए। पहले तीन-चार दिन रस की मात्रा कुछ कम ली जा सकती है। बाद में ठीक से हजम होने पर रोजाना तीन बार 250 मिलीलीटर रस लें। रस हर बार ताजा लेना चाहिए। यदि कब्ज रहता है तो प्रारंभ में यह रस लेने से पेट में कुछ खलबली, गड़गड़ाहट आदि महसूस होती है, जोकि मल निष्कासन की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। इससे घबराना नहीं चाहिए। तीन-चार दिन में पेट के विकार दूर होकर सामान्य स्थिति हो जाती है। इसे नियमित दो-तीन मास आवश्यकतानुसार लेने से हृदय रोगी ठीक होने लगता है |
  • पैर के तलवों की जलन : लौकी को काटकर पैर के तलवों पर मलने से उसकी जलन में राहत मिलती है।
  • दांत दर्द: 75 ग्राम लौकी एवं  20 ग्राम लहसुन, दोनों को पीसकर एक लीटर पानी में उबालें जब आधा पानी रह जाये तो छानकर कुल्ला करने से दांत दर्द दूर होता है।
  • बिच्छू के डंक: जिस अंग में बिच्छू का डंक लगा हो वहां पर लौकी को पीसकर लेप करने एवं  लौकी का रस पिलाने से  बिच्छू का जहर उतर जाता है।
  • पीलिया: लौकी को धीमी आग में दबाकर भुर्ता-सा बना लें फिर इसका रस निचोड़कर थोड़ा सा मिश्री मिलाकर पीयें यह लीवर की बीमारी और पेट के अन्य रोगों के लिए लाभकारी है।
  • टायफायड : लौकी के टुकड़ों को पैर के तलवों पर  मालिश करने से टायफाइड बुखार की जलन दूर होती है।
  • दमा : लौकी पर गीला आटा लेपकर एक साफ कपडे़ में लपेट दें तत्पश्चात गर्म राख या गर्म रेत में दबा दें। आधे घंटे बाद आटा उतारकर उस भुरते का रस निकालकर प्रातः खाली पेट 40 दिन तक सेवन करेने से दमा में अत्यंत लाभ होता है |
  • बवासीर (वादी) :  लौकी अथवा तुलसी के पत्तों को पानी के साथ पीसकर बवासीर के मस्से पर दिन में दो से तीन बार लगाने से मस्सों का दर्द व जलन कम होती है तथा मस्से नष्ट होते हैं।
  • बवासीर (खूनी) :लौकी के छिलके को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें | 7-8 दिन लगातार 1 चम्मच चूर्ण  सुबह-शाम ठण्डे पानी के साथ लेने से बवासीर में खून का आना बंद हो जाता है।
  • नकसीर: लौकी को उबालकर खाने से नकसीर (नाक से खून बहना) में आराम मिलता है।
  • घुटनों का दर्द : लौकी को पीसकर घुटनों पर रखकर कपड़े से बांधने से  घुटने का दर्द दूर होता है ।
  • चेहरे की झांई:  लौकी के ताजे छिलके को पीसकर चेहरे पर लेप करने से झाईयां समाप्त हो जाती हैं एवं चेहरा सुन्दर हो जाता है।
  • मुंह के छाले : लौकी के बीजों को पीसकर होठों पर लगाने से जीभ और होठों के छाले ठीक हो जाते हैं।


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