- एसिडिटी एसिडिटी होने पर जामुन का भूने हुए चूर्ण में काला नमक मिलकर सेवन करने से एसिडिटी में लाभ मिलता है।
- शारीरिक दुर्बलता : शारीरिक दुर्बलता में प्रतिदिन प्रातः जामुन का रस+शहद+आँवले या गुलाब के फूल का रस बराबरमात्रा में मिलाकर एक-दो माह तक सेवन करने से रक्त की कमी एवं शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। यौन तथा स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।
- पेचिश : पेचिश में - जामुन की गुठली के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो से तीन बार लेने से लाभ होता है।
- रक्तप्रदर : स्त्रियों में रक्तप्रदर में प्रतिदिन तीन बार जामुन की गुठली के चूर्ण में चौथाई पीपल की छाल का चूर्ण मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा ठंडे पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है।
- गठिया : गठिया के उपचार में जामुन की छाल को खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से आराम मिलता है।
- मधुमेह में - जामुन की गुठली के अंदर की गिरी में 'जंबोलीन' नामक ग्लूकोसाइट पाया जाता है। यह स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित होने से रोकता है। इसी से मधुमेह के नियंत्रण में सहायता मिलती है जामुन और आम का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है।
- मुंहासे : मुंहासे होने पर जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस ले। इस पाउडर में रात को सोते समय गाय का दूध मिलाकर चेहरे पर लगायें, प्रातः ठंडे पानी से धो लें।
- गले के रोगों में : गले के रोगों में जामुन की छाल को बारीक पीसकर सत बना लें। इस सत को पानी में घोलकर 'माउथ वॉश' की तरह गरारा करना चाहिए। इससे गला तो साफ होगा ही, साँस की दुर्गंध भी बंद हो जाएगी और मसूढ़ों की बीमारी भी दूर हो जाएगी। मुंह में छाले होने पर जामुन का रस लगाएँ। वमन होने पर जामुन का रस सेवन करें।
By- Dr. KAILASH DWIVEDI (Naturopath) Medical Officer- Keshav Prakratik Chikitsa evam Yog Sansthan, Vrindavan, Mathura U.P.
Sunday, April 12
गुणकारी जामुन
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