Monday, April 27

स्वर साधना के चमत्कार एवं स्वास्थ्य प्राप्ति

परिचय-
        असल जिंदगी में स्वर की महिमा बहुत ही ज्यादा चमत्कारिक है। इसके कुछ सरल प्रयोग नीचे दिये जा रहे हैं।
जानकारी-
सुबह उठने पर पलंग पर ही आंख खुलते ही जो स्वर चल रहा हो उस ओर के हाथ की हथेली को देखें और उसे चेहरे पर फेरते हुए भगवान का नाम लें। इसके बाद जिस ओर का स्वर चल रहा हो उसी ओर का पैर पहले बिस्तर से नीचे जमीन पर रखें। इस क्रिया को करने से पूरा दिन सुख और चैन से बीतेगा।
अगर किसी व्यक्ति को कोई रोग हो जाए तो उसके लक्षण पता चलते ही जो स्वर चलता हो उसको तुरंत ही बंद कर देना चाहिए और जितनी देर या जितने दिनों तक शरीर स्वस्थ न हो जाए उतनी देर या उतने दिनों तक उस स्वर को बंद कर देना चाहिए। इससे शरीर जल्दी ही स्वस्थ हो जाता है और रोगी को ज्यादा दिनों तक कष्ट नहीं सहना पड़ता।
अगर शरीर में किसी भी तरह की थकावट महसूस हो तो दाहिने करवट सो जाना चाहिए, जिससे `चंद्र´ स्वर चालू हो जाता है और थोड़े ही समय में शरीर की सारी थकान दूर हो जाती है।
स्नायु रोग के कारण अगर शरीर के किसी भाग में किसी भी तरह का दर्द हो तो दर्द के शुरू होते ही जो स्वर चलता हो, उसे बंद कर देना चाहिए। इस प्रयोग को सिर्फ 2-4 मिनट तक ही करने से रोगी का दर्द चला जाता है।
जब किसी व्यक्ति को दमे का दौरा पड़ता है तो उस समय जो स्वर चलता हो उसे बंद करके दूसरा स्वर चला देना चाहिए। इससे 10-15 मिनट में ही दमे का दौरा शांत हो जाता है। रोजाना इसी तरह से करने से एक महीने में ही दमे के दौरे का रोग कम हो जाता है। दिन में जितनी भी बार यह क्रिया की जाती है, उतनी ही जल्दी दमे का दौरा कम हो जाता है।
जिस व्यक्ति का स्वर दिन में बायां और रात में दायां चलता है, उसके शरीर में किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है। इसी क्रम से 10-15 दिन तक स्वरों को चलाने का अभ्यास करने से स्वर खुद ही उपर्युक्त नियम से चलने लगता है।
रात को गर्भाधान के समय स्त्री का बांया स्वर और पुरुष का अगर दायां स्वर चले तो उनके घर में बेटा पैदा होता है तथा स्त्री-पुरुष के उस समय में बराबर स्वर चलते रहने से गर्भ ठहरता नहीं है।
जिस समय दायां स्वर चल रहा हो उस समय भोजन करना लाभकारी होता है। भोजन करने के बाद भी 10 मिनट तक दायां स्वर ही चलना चाहिए। इसलिए भोजन करने के बाद बायीं करवट सोने को कहा जाता है ताकि दायां स्वर चलता रहे। ऐसा करने से भोजन जल्दी पच जाता है और व्यक्ति को कब्ज का रोग भी नहीं होता। अगर कब्ज होता भी है तो वह भी जल्दी दूर हो जाता है।
किसी जगह पर आग लगने पर जिस ओर आग की गति हो उस दिशा में खड़े होकर जो स्वर चलता हो, उससे वायु को खींचकर नाक से पानी पीना चाहिए। ऐसा करने से या तो आग बुझ जाएगी या उसका बढ़ना रुक जाएगा।

No comments:

Post a Comment