By-Dr. Kailash Dwivedi
हल्दी (टर्मरिक) भारतीय वनस्पति है। यह अदरक की प्रजाति का ५-६ फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसमें जड़ की गाठों में हल्दी मिलती है। हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- लैटिन नाम : करकुमा लौंगा
- अंग्रेजी नाम : टरमरिक (Turmeric)
हल्दी में पाए जाने वाले तत्व (100 ग्राम में) :
- जल 13.1 ग्राम
- प्रोटीन 6.3 ग्राम
- वसा 5.1 ग्राम
- खनिज पदार्थ 3.5 ग्राम
- रेशा 2.6 ग्राम
- कारबोहाइड्रेट 69.4 ग्राम
- कैल्शियम 150 मिलीग्राम
- फासफोरस 282 मिलीग्राम
- लोहा 15 मिलीग्राम
- विटामिन ए 50 मिलीग्राम
- विटामिन बी 03 मिलीग्राम
- कैलोरी (प्रति 100 ग्राम में) : 349 कैलोरी
हल्दी की औषधीय मात्रा
वयस्क व्यक्ति के लिये निश्चित की गयी मात्रा :- कच्ची हल्दी का रस : 1 से 3 चाय चम्मच तक
- सूखी हल्दी का चूर्ण : 1 ग्राम से 4 ग्राम तक
- 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक
- 50 मिलीग्राम से 100 मिली ग्राम तक
इसे आवश्यकतानुसार गुनगुनें पानीं, गरम चाय अथवा दूध के साथ दिन मे, तकलीफ के हिसाब से, एक बार से लेकर चार या पांच बार तक ले सकते हैं | इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं और हल्दी पूर्ण रूप से सुरक्षित औषधि है |
विभिन्न रोगों में हल्दी का प्रयोग :
दमा (अस्थमा) :
दमा रोग में हल्दी का चूर्ण 2 से 3 ग्राम + अदरख के एक या दो चम्मच रस + एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में चार बार खानें से दमा रोग में लाभ होता है | कुछ दिनों तक यह प्रयोग लगातार करना चाहिये | अगर रोगी एलापैथी की दवायें खा रहा है, तो भी यह प्रयोग कर सकते हैं जैसे जैसे आराम मिलता जाए, एलापैथी दवाओं की मात्रा कम करते जाएँ |
लिवर के रोग :
लिवर के सभी विकारों में - पीलिया , पान्डु रोग इत्यादि में हल्दी का चूर्ण 1 ग्राम , कुटकी का चूर्ण 500 मिलीग्राम मिलाकर दिन में तीन बार सादे पानीं के साथ खाना चाहिये | प्लीहा (तिल्ली) की सभी बीमारियों में भी यह चूर्ण लाभकारी है |
मूत्र रोग :
प्रमेह ,बहुमूत्र , गंदा पेशाब , पेशाब में जलन , पेशाब में एल्बूमन जाना , पेशाब में रक्त , पीब के कण आदि रोगों में हल्दी चूर्ण 1 ग्राम दिन में चार बार सादे पानीं से सेवन करें |
मधुमेह :
मधुमेह में हल्दी 2 ग्राम + जामुन की गुठली का चूर्ण 2 ग्राम + कुटकी 500 मिलीग्राम मिलाकर दिन में चार बार सादे पानीं से खायें |
अनचाहे बाल हटाने के लिए :
यदि त्वचा पर अनचाहे बाल उग आये हों तो इन बालों को हटाने के लिये हल्दी पाउडर को गुनगुने नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को हाथ-पैरों पर लगाएं। ऐसा करने से शरीर के अनचाहे बालों से निजात मिलती है।
चोट-मोच :
चोट लगने या मोच होने पर हल्दी बहुत फायदा करती है। मांसपेशियों में खिंचाव या अंदरूनी चोट लगने पर हल्दी का लेप लगाएं या गर्म दूध में हल्दी पाउडर डालकर पियें।
सौन्दर्य हेतु :
हल्दी को दूध में मिलाकर इसका पेस्ट बना लीजिए। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाने से त्वचा का रंग निखरता है।
चेहरे के दाग-धब्बे :
- दाग, धब्बे व झाइंया मिटाने के लिए हल्दी बहुत फायदेमंद है। चेहरे के दाग-धब्बे और झाइयां हटाने के लिए हल्दी और काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं।
- हल्दी का चूर्ण 1 ग्राम और आवश्कतानुसार दूध मिलाकर बनाया हुआ पेस्ट मुहासों , सफेद दाग या काले दाग , रूखी त्वचा , खुजली , खारिश आदि तकलीफों में लगानें से आरोग्य प्राप्त होता है |
- चेहरे का सौंदर्य , त्वचा का सौंदर्य निखारनें के लिये हल्दी का उबटन प्रयोग करना चाहिये |
त्वचा रोग :
- एलर्जी , शीतपित्ती , जलन का अनुभव , ददोरे आदि पड़ जानें की तकलीफ में हल्दी को पानी के साथ पेस्ट जैसा बनाकर लगानें से आराम मिलता है |
- फोड़ा फुन्सी पकानें के लिये - हल्दी की पुल्टिस रखनें से फोड़ा फुंसी शीघ्र पक जाते हैं |
- घाव , कटे एवं पके हुये , पीब से भरे घावों में हल्दी का चूर्ण छिड़कनें से घाव शीघ्र भरते हैं |
- चाकू या धारदार अस्त्र से शरीर का कोई अंग कट जानें पर हल्दी का चूर्ण छिड़कनें से लाभ प्राप्त होता है |
मुंह के छाले :
मुंह में छाले होने पर गुनगुने पानी में हल्दी पाउडर मिलाकर कुल्ला करें या हलका गर्म हल्दी पाउडर छालों पर लगाएं। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
बबासीर का दर्द :
बवासीर के मस्सों का दर्द अथवा जलन ठीक करनें के लिये हल्दी का चूर्ण मस्सों पर छिड़कना चाहिये |
सूजन-दर्द :
शरीर के किसी भी स्थान की सूजन के साथ दर्द और जलन हो तो हल्दी के पेस्ट का बाहरी प्रयोग करनें से इन तकलीफों में आराम मिल जाता है |
जुखाम, बुखार, खांसी :
सभी प्रकार के बुखार , जुखाम एवं खांसी में हल्दी का चूर्ण 1 से 3 ग्राम तक गरम पानीं से दिन में दो बार , सुबह शाम , खानें से लाभ होता है
- नाक से संबंधित सभी तरह की तकलीफों , पुराना जुकाम , पीनस , नाक का मांस बढ़ जानें , साइनुसाइटिस में हल्दी का चूर्ण 1 से 2 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार खाने से लाभ होता है उक्त तकलीफों से होनें वाले सिर दर्द , बुखार , बदन दर्द आदि लक्षण भी ठीक हो जाते हैं |
इस्नोफीलिया :
इस्नोफीलिया मे 2 से 3 ग्राम हल्दी चूर्ण गुनगुनें पानीं से , दिन में तीन बार , खानें से इस रोग में आराम मिलता है कुछ दिनों तक लगातार खानें से रोग समूल नष्ट हो जाते हैं | जैसे जैसे इस्नोफिल काउन्ट कम होता जाये, वैसे हल्दी की मात्रा घटाते जाना चाहिये |
loading...
No comments:
Post a Comment