Thursday, April 23

लिंग मुद्रा :(सर्दी से ठिठुरता व्यक्ति यदि कुछ समय तक लिंग मुद्रा कर ले तो आश्चर्यजनक रूप से उसकी ठिठुरन दूर हो जाती है)






विधि : 
किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएँ |
दोनों हाथों की अँगुलियों को परस्पर एक-दूसरे में फसायें (ग्रिप बनायें)  |
किसी भी एक अंगूठे को सीधा रखें तथा दूसरे अंगूठे से सीधे अंगूठे के पीछे से           लाकर घेरा बना दें |

सावधानियाँ : 

  • लिंग मुद्रा से शरीर मे गर्मी उत्पन्न होती है,इसलिए इस मुद्रा को करने के पश्चात् यदि गर्मी महसूस हो तो तुरंत पानी पी लेना चाहिए |
  • लिंग मुद्रा को नियत समय से अधिक नही करना चाहिए अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि संभव है |
  • गर्मी के मौसम में इस मुद्रा को अधिक समय तक नहीं करना चाहिए |
  • पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों को लिंग मुद्रा नही करनी चाहिए |

मुद्रा करने का समय व अवधि :
लिंग मुद्रा को प्रातः-सायं 16-16 मिनट तक करना चाहिए |

चिकित्सकीय लाभ : 

  1. सर्दी से ठिठुरता व्यक्ति यदि कुछ समय तक लिंग मुद्रा कर ले तो आश्चर्यजनक रूप से उसकी ठिठुरन दूर हो जाती है |
  2. लिंग मुद्रा के अभ्यास से जीर्ण नजला,जुकाम, साइनुसाइटिस,अस्थमा व निमन् रक्तचाप का रोग नष्ट हो जाता है | इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से कफयुक्त खांसी एवं छाती की जलन नष्ट हो जाती है |
  3. यदि सर्दी लगकर बुखार आ रहा हो तो लिंग मुद्रा तुरंत असरकारक सिद्ध होती है |
  4. लिंग मुद्रा के नियमित अभ्यास से अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती हैं परिणाम स्वरुप मोटापा रोग समाप्त हो जाता है |
  5. लिंग मुद्रा पुरूषों के समस्त यौन रोगों में अचूक है । इस मुद्रा के प्रयोग से स्त्रियों के मासिक स्त्राव सम्बंधित अनियमितता ठीक होती हैं |
  6. लिंग मुद्रा के अभ्यास से टली हुई नाभि पुनः अपने स्थान पर आ जाती हैं |

आध्यात्मिक लाभ : 
यह मुद्रा पुरुषत्व का प्रतीक है इसीलिए इसे लिंग मुद्रा कहा जाता है। लिंग मुद्रा के अभ्यास से साधक में स्फूर्ति एवं उत्साह का संचार होता है | यह मुद्रा ब्रह्मचर्य की रक्षा करती है , व्यक्तित्व  को शांत व आकर्षक बनाती  है जिससे व्यक्ति आन्तरिक स्तर पर प्रसन्न रहता है ।
                                                                                                                      -डॉ.कैलाश द्विवेदी 

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