विधि :
सावधानियां :
लाभ :
- जमीन पर आसन बिछाकर पदमासन, सुखासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ |
- दोनों नासिका (नाक के छिद्र) से वायु को को खींचकर फेफड़ों एवं पेट तक भरें |
- श्वास को तब तक अन्दर रोककर रखें जब तक आराम से श्वास को रोकना सम्भव हो।
- दोनों नासा छिद्रों से धीरे-धीरे श्वास छोड़ें अर्थात वायु को बाहर निकालें।
- आराम से जितनी देर तक कर सकते इस तरह इस क्रिया को करें |
सावधानियां :
- इसका अभ्यास को करने में जबरदस्ती बिलकुल न करें।
- प्राणायाम भोजन के पहले खाली पेट करें |
लाभ :
- प्लाविनी प्राणायाम का अभ्यास सिद्ध होने के बाद व्यक्ति कई दिनों तक बिना भोजन के रह सकता है |
- प्लाविनी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से जठराग्नि प्रबल होकर पाचनशक्ति बढती है एवं कब्ज से छुटकारा मिलता है।
- इसके अभ्यास से प्राण शुद्धि एवं आयु में वृद्धि होती है।
- मन स्थिर व शांत होता है एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- प्लाविनी प्राणायाम का पूर्ण रूप से अभ्यास कर लेने पर व्यक्ति बिना हाथ-पैर हिलाएं पानी में तैर सकता है।
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