By- Dr.Kailash Dwivedi
विधि :
- जमीन पर सीधे खड़े हो जाएँ |
- बाएं पैर को जमीन पर स्थिर करते हुए दाहिने पैर को घुटने से मोड़ लें |
- अब दाहिने पैर के तलवे को बाईं जंघा के अन्दर वाले भाग पर इस तरह टिकायें कि पैर की एड़ी गुदाद्वार व जननेंद्रिय के बीच आ जाये |
- हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधाकर दोनों हथेलियों को मिला दें अथवा नमस्कार मुद्रा में छाती के सामने जोड़कर रखें |
- संतुलन बनाने के लिए अपना पूरा ध्यान भूमि पर टिके पैर पर रखें एवं दृष्टि किसी बिंदु पर केन्द्रित कर दें |
- आराम से जितनी देर इस स्थिति में संतुलन बनाकर रह सकते हैं सुविधानुसार उतने समय तक रहें तत्पश्चात इसी क्रम को दूसरे पैर से दोहराएँ |
- वृक्षासन को प्रत्येक पैर से से दो या तीन बार किया जा सकता है |
लाभ :
- वृक्षासन करने से न सिर्फ मन एवं शरीर संतुलित होता है बल्कि इससे शरीर में स्फूर्ति का संचार भी होता है |
- यह आसन पैरों को स्थिरता प्रदान करता है तथा घुटनों को शक्ति देता है।
- वृक्षासन के अभ्यास से मन की चंचलता दूर होकर एकाग्रता बढती है एवं स्मृति शक्ति विकसित होती है |
- इस आसन के अभ्यास से शारीरिक तथा मानसिक तनाव दूर होता है |
- यह आसन बेडौल नितम्बों को सुडौल बनाने में अत्यंत सहायक है |
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