इस रोग में रोगी व्यक्ति के अण्डकोषों में सूजन आ जाती है एवं अण्डकोषों में दर्द होने लगता है। यह सूजन एक अथवा दोनों अंडकोषों में हो सकती है, कभी-कभी सूजन इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति को चलने फिरने में दिक्कत होने लगती है। यदि अण्डकोषों में सूजन के साथ तेज दर्द होने लगे तो समझना चाहिए कि
अण्डकोषों में पानी भर जाने का रोग (हाइड्रोसील) हो गया है। रोग बढ़ जाने के कारण जननेन्द्रिय की सारी नसें कमजोर और ढीली पड़ जाती हैं जिसके कारण रोगी व्यक्ति को उल्टी तथा मितली भी होने लगती है और कब्ज भी रहने लगती है।
कारण :
- अण्डकोषों पर किसी कारण चोट लग जाने पर सूजन उत्पन्न हो जाती है।
- जीर्ण कब्ज की स्थिति में मल के शुष्क और कठोर होने पर दूषित वायु आवेग के कारण अण्डकोष में सूजन उत्पन्न हो जाती है।
- अधिक संभोगक्रिया करने के कारण भी कभी-कभी अण्डकोषों में पानी भर जाता है।
- वजन उठाने, अधिक पैदल चलने, अंगों को तोड़ने या अंगड़ाई लेने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
- यौन अंगों में विजातीय द्रव्यों (दूषित मल) के इकट्ठा हो जाना भी इसका एक प्रमुख कारण होता है।
- अप्राकृतिक खान-पान एवं समय पर भोजन न करना भी हाइड्रोसील कारण बनता है।
- संभोग सबंधी उत्तेजना को एक दम से रोक देने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
- मल-मूत्र के वेग को रोकने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
- हस्तमैथुन के कारण भी यह रोग हो सकता है |
लक्षण :
- अण्डकोष में सूजन होने से तेज दर्द होता है।
- अण्डकोष की प्रारंभिक अवस्था में सूजन एवं दर्द होता है, पानी संचय नही होता |
- अण्डकोष की श्लैष्मिक कला में रक्त का पानी एकत्र हो जाने से बीमारी होती है।
घरेलू उपचार :
- सूखी भांग को पानी में उबालकर इसकी भाफ देने से अण्डकोंषों की सूजन समाप्त जाती है। भांग के गीले पत्तों की पुल्टिश बनाकर अण्डकोषों की सूजन पर बांधने से भी लाभ होता है |
- 25 ग्राम काले तिल + 25 ग्राम एरण्ड के बीजों की गिरी को एक साथ पीसकर अण्डकोष पर एरण्ड के पत्तों के साथ बांधने से सूजन समाप्त जाती है।
तंबाकू के पत्तों पर थोड़ा-सा तिल का तेल लगाकर हल्का सा गर्म करके अण्डाकोषों पर बांधने से अण्डकोषों के सूजन में अत्यंत लाभ होता है। - करंज की मींगी को एंरड के तेल में घोटकर उसे तंबाकू के पत्ते पर लपेटकर अण्डकोषों पर लेप करने से अण्डकोष की सूजन समाप्त हो जाती है।
- 10 ग्राम त्रिफला + 10 ग्राम अरलू की जड़ + 10 ग्राम एरण्ड की जड़, आपस में मिलाकर पीसकर लेप करने से सूजन और दर्द में लाभ होता है।
- बैंगन की जड़ को पानी में पीसकर अण्डकोषों पर कुछ दिनों तक लेप करने से अण्डकोषों की सूजन में लाभ होता है।
- 2 ग्राम गुड़मार के पत्तों का रस शहद में मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से अण्डकोष का बढ़ना समाप्त हो जाता है।
- 10 ग्राम जीरा + 10 ग्राम कालीमिर्च पीसकर पानी में उबालकर उस पानी से अण्डकोषों को धोने से सूजन मिट जाती है।
- धतूरे के पत्ते पर सरसों का तेल लगाकर अण्डकोषों पर बांधने से सूजन मिट जाती है।
- 25 ग्राम की मात्रा में आम के कोमल पत्तों को पीसकर उसमें 10 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर हल्का-सा गर्म करके अण्डकोष पर लेप करने से अण्डकोष की सूजन मिट जाती है।
- आक के पत्ते पर एंरड का तेल लगाकर अण्डकोषों पर बांधने से भी अंडकोष की सूजन में लाभ होता है।
- अदरक के पांच ग्राम रस में शहद मिलाकर तीन-चार सप्ताह प्रतिदिन सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
- 100 ग्राम लाल टमाटर पर सेंधानमक और अदरक मिलाकर भोजन से पहले सेवन करने से लाभ होता है।
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