Wednesday, December 28

द्रव्य एनिमा





भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा के विख्यात चिकित्सक महात्मा जगदीश्वरानन्द जी ने पिछले 60 वर्षों से लाखों रोगियों पर द्रव्य एनिमा का प्रयोग किया है एव रोगनिवारण में चमत्कारिक सफलता प्राप्त की है | आईये जानते हैं कि द्रव्य एनिमा क्या है |

तालिका में दिए गए रोगानुसार द्रव्यों को 1 से 1.5 ली. गुनगुने पानी में लिया जाता है |



क्रम नाम द्रव्य रोगों में लाभ
1एक नींबू का रस (छानकर)आँतों के शुद्धिकरण हेतु
2250 मिली. पानी में 50 ग्राम त्रिफला पकाकर एवं छानकरआँतों की विशेष शुद्धि के लिए
3200 से 300 ग्राम दही अथवा दही का तोड़, छानकरचिपके हुए आंव को उखाड़ने के लिए
4200-300 ग्राम नीम की पत्तियां पानी में पकाकर, छानकररक्त शोधक
54-5 कण पोटैशियम परमैगनेट (लाल दवा)कीड़े (कृमि) नाशक
6500 ग्राम पालक/ चौलाई/ बथुआ अथवा पुनर्नवा का रसइसके प्रयोग से आंतें लौह तत्व एवं प्राकृतिक लवणों का प्रचूषण कर सबल बनती हैं
7100 ग्राम शीरा अथवा गुड़ + 10 ग्राम राई, आपस में पीस छानकरकृमि नाशक
850 ग्राम अरंड का तेल (कैस्टर आयल) – इसे एनिमा पात्र की नली में डालकर आंत में चढ़ाएं ऊपर से 1 से 1.5 ली. गुनगुने पानी चढ़ाएंआँतों में चिकनाहट या मल को सरकाने की प्रवृत्ति पैदा करना
91 ली. गुनगुने दूध में 100 ग्राम शहद मिलाकर एनिमा लेने के बाद कुछ समय तक रोकेंआँतों की शक्ति बढ़ाने के लिए
10200 ग्राम इसबगोल पानी में पकाकरआंव उखाडकर बाहर लाना, मरोड़ में भी लाभकारी
11200 ग्राम मुल्तानी मिटटी पानी में घोल एवं छानकरपेट की गर्मी को समाप्त करने के लिए
12100 ग्राम प्याज + 25 ग्राम लहसुन का रसकृमि नाश के लिए



एनिमा लेने की विधि :

पैरों की तरफ से टेबल के पायों के नीचे ईंट आदि लगाकर थोड़ा ऊँचा कर लें। एनिमा पाट को पैरों की तरफ स्टैण्ड पर या दीवार के सहारे टांग दें। पाट में आवश्यकतानुसार गुनगुना पानी भर लें। अब टेबल पर सीधे लेटकर पैरों को घुटनों से मोड़ लें तत्पश्चात् एनिमा पाट से लगी पाइप के नोजल पर थोड़ा सा तेल लगाकर गुदा द्वार से 2-3 इन्च अन्दर प्रवेश करा दें तथा पानी खोल दें। पानी स्वतः आंत में पहुँचने लगेगा। नोजल एनिमा पॉट के साथ ही आता है, परन्तु यदि नोजल की जगह 10 नं. का रबड़ का कैथेटर प्रयोग में लिया जाये तो अधिक लाभ होगा | वयस्क व्यक्ति के गूदा द्वार से लगभग 8-10 इंच कैथेटर प्रवेश कराके पानी खोल देना चाहिए | पूरा पानी आंत में पहुँचने के बाद 2-3 मिनट दाहिनी करवट लेटें फिर 2-3 मिनट बाईँ करवट लेटें यदि प्रेशर न बना हो तो 10-15 मिनट टहलें, तत्पश्चात् शौच के लिए जाएं।

सवधानियाँ :

  • एनिमा के पानी का तापमान शरीर के तापमान के बराबर रहना चाहिए।

  • एनिमा के बाद शौच के समय जोर नहीं लगाना चाहिए। अपने आप पानी के साथ जो मल निकले उसे निकलने देना चाहिए
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