Wednesday, December 28

ह्रदय की संरचना एवं कार्य



ह्रदय रक्त परिसंचरण तन्त्र का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है | किसी के भी ह्रदय का पूर्णरूप से कार्य करना बंद होने का अर्थ होता है उसकी मृत्यु हो जाना | आज हम चर्चा करेंगे ह्रदय की संरचना एवं कार्यप्रणाली के विषय में |
  • ह्रदय एक पेशीय,खोखला,संकुचनशील,शंक्वाकार अंग है जो वक्ष में स्टर्नम के पीछे दोनों फेफड़ों के मध्य उतकों के एक भाग जिसे मीडिएस्टिनम कहते हैं कुछ बायीं ओर को हटा हुआ तिरछेपन के साथ स्थित है | बायीं तरफ हटा होने के कारण ह्रदय का एक तिहाई भाग शरीर की मध्यरेखा से दाहिनी ओर एवं दो तिहाई भाग बायीं ओर स्थित रहता है |
  • ह्रदय का उपर का हिस्सा कुछ चौड़ा होता है जो आधार (Base) कहलाता है | यह हिस्सा कुछ दहिनी तरफ झुका होता है |
  • ह्रदय का निचला हिस्सा नुकीला होता है यह शिखर (Apex) कहलाता है | यह थोडा बायीं ओर झुका डायाफ्राम पर स्थित होता है | यह हिस्सा पांचवी एवं छठी बायीं पसलियों के मध्य (इन्टरकॉस्टल) तक पहुँचता है | इसी स्थान पर हाथ रखने से ह्रदय स्पंदन (धड़कन) का आभास मिलता है |
  • ह्रदय का आकार स्वयं की मुट्ठी के आकार का होता है | ह्रदय की औसतन लम्बाई लगभग 12 सेमी. एवं चौड़ाई 9 सेमी. (5x3.5 इंच) होती है |
  • वयस्क व्यक्ति के ह्रदय का वजन लगभग 250 से 390 ग्राम एवं स्त्रियों में 200 से 275 ग्राम के बीच होता है |

ह्रदय की संरचना ( Structure of the Heart)

ह्रदय भित्ति का निर्माण तीन परतों से होता है –
  1. पेरीकार्डियम (Pericardium)
  2. मायोकार्डियम (Myocardium)
  3. एण्डोकार्डियम (Endocardium)

पेरीकार्डियम (Pericardium) :

पेरीकार्डियम या हृद्यावरण दो कोशों का बना होता है | बाह्य कोश तंतमय उतकों (Fibrous Tissue) का बना होता है | यह अन्दर से सीरमी कला (Serous membrane) की दोहरी परत की निरंतरता में होता है | बाह्य तंतुमय कोश ऊपर ह्रदय की बड़ी रक्तवाहिकाओं के टुनिका एडवेंटिशिया (Tunica edventitia) के साथ निरंतरता में रहता है तथा नीचे डायाफ्राम से सटा रहता है | तंतुमय एवं अप्रत्यास्थ (Inelastic) प्रकृति होने के कारण यह ह्रदय के अत्यधिक फैलाव (Overdistension) को रोकता है | सीरमी कला की बाह्य परत, पार्श्विक पेरीकार्डियम (Parietal Pericardium) तंतुमय कोश को आस्तारित करती है | आंतरिक परत, अंतरांगी पेरीकार्डियम (Visceral Pericardium) अथवा एपिकार्डियम (Epicardium) जो पार्श्विक पेरीकार्डियम के निरंतरता में होती है, ह्रदय पेशी से चिपटी होती है |
सीरमी कला में चपटी उपकला कोशिकाओं का समावेश रहता है | यह अंतरांगी एवं पार्श्विक परतों के बीच के स्थान में एक सीरमी द्रव (Serous fluid) स्रवित करती हैं जो ह्रदय स्पन्द के दौरान दोनों परतों के बीच घर्षण को रोकता है जिससे ह्रदय स्वच्छन्दतापूर्वक गतिशील बना रहता हैं |

मायोकार्डियम (Myocardium) :

यह एक विशेष प्रकार की ह्रदयपेशी (Cardiac muscle) की बनी होती है,जो केवल ह्रदय में ही पायी जाती है | इसमें विशेष प्रकार के तंतु (Fibers) रहते हैं जो अनैच्छिक वर्ग के होते हैं | मायोकार्डियम की मोटाई भिन्न-भिन्न होती है | यह शिखर (Apex) पर सबसे मोटी होती है एवं आधार (Base) की ओर पतली होती चली जाती है | यह बाएं निलय (Left Ventricle) में अधिक मोटी रहती है क्योंकि यहाँ पर इसे अधिक कार्य करना पड़ता है जबकि दाहिने निलय (Right Ventricle) में पतली रहती है, क्योकि यहाँ इसे सिर्फ फेफड़ों में रक्त प्रवाहित करना होता है | यह अलिन्दों (Atriums) में बहुत पतली रहती है |

एण्डोकार्डियम (Endocardium) :

एण्डोकार्डियम ह्रदय में सबसे भीतर की एक पतली, चिकनी झिलमिलाती कोमल कला (membrane) है | यह चपटी उपकला कोशिकाओं से निर्मित है जो एण्डोथीलियम के साथ निरंतर रहकर रक्त वाहिकाओं के आन्तरिक स्तर में विलीन हो जाती है | एण्डोकार्डियम ह्रदय के चारों कक्षों एवं कपाटों (Valves) को आच्छादित किये रहती है |
                                       
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