देखने में आया है कि जापानियों का जीवन लम्बा एवं स्वास्थ्य से भरा होता है। जापान में पुरुषों की औसत उम्र 80 साल की और महिलाओं की 86 साल तक की होती है। यही नहीं कई स्वस्थ जापानी तो 100 साल की उम्र भी बड़ी आसानी से पार कर जाते हैं। ये लोग इतनी लंबी और स्वस्थ जिंदगी कैसे जीते हैं, इस पर कई तरह का शोध भी किया जा चुका है। 1 अप्रैल 2015 को दुनिया में सबसे उम्रदराज जापान की महिला मिसाओ ओकावा का निधन हुआ। उनका कहना था कि यदि जिंदगी लंबी करनी है तो समय से सो जाओ और 8 घंटे की नींद लो। न इससे ज्यादा न इससे कम।
जापानी अपनी जिंदगी में डाइट और लाइफस्टाइल दोनों में एक संतुलन बना कर रखते हैं। इसके अतिरिक्त वे जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। अध्ययन में देखा गया है कि ऐसा करने से उनकी उम्र धीरे-धीरे घटती है। जापान में रिटायर होने की कोई उम्र नहीं है। 60 साल की उम्र पार करने के बाद तक वे काम करना पसंद करते हैं। उन्हें घर पर खाली बैठना या सोना पसंद नहीं होता इसलिये वे कहीं न कहीं खुद को व्यस्त रखते हैं। विपरीत परिस्थतियों में भी ये लोग हंसी-खुशी जीना जानते हैं। बेकार की चिंता करना और लड़ाई झगड़े से दूर, ये अपनी जिंदगी बिताना पसंद करते हैं। लोगों की मदद करना और सोशल वर्क करना आदि करते हैं क्योंकि इनका मानना है कि इनकी जिंदगी का कोई मक्सद है। स्मोकिंग, शराब, नमक वाला खाना, जरुरत से ज्यादा खाना आदि इनकी दिनचर्या में नहीं हैं। इसलिये ये लंबा जीते हैं। इसके अतिरिक्त निम्न बातों पर विशेष ध्यान देते हैं |
हँसना :
खुल कर हंसना एक ऐसी क्रिया है जिससे शरीर का दर्द और अवसाद दूर होता है। हंसने से हमारे शरीर का इम्मयून सिस्टम भी मजबूत हेाता है इसलिये ये लोग हंसने का मौका कभी नहीं भूलते। रोजाना 15 मिनट हंसे। हंसने से औसत आयु 8 साल तक बढ़ जाती है।
पूर्वी जड़ी बूटियों का सेवन :
जापानी लोग एलोपैथिक दवाओं पर निर्भर न रह कर पूर्वी जड़ी बूटियों का सेवन अधिक करते हैं। जोकि उन्हें दवाओं के साइड इफेक्ट्स से बचाती हैं |
साफ-सफाई :
जापान दुनिया के सबसे साफ सुथरे देशों में से एक माना जाता है। जापानी अपनी सुरक्षा संक्रामक रोगों से अतिरिक्त देखभाल कर के करते हैं। यहां तक कि जो पुस्तके वे लोग पुस्तकालयों में वापस करने जाते हैं, उसे वापस लेते वक्त किताबों से कीटाणुओं को मारने के लिये UV तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
हरी सब्जियों का सेवन :
जापानियों की थाली में आधी थाली हरी सब्जियों से भरी हुई होती है। इसके अलावा वे दाल भी खूब खाते हैं। ये मिक्स वेज सैलेड खाना काफी पसंद करते हैं जिससे एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोकैमिकल्स की वजह से इन्हें हृदय रोग और कैसर नहीं होता।
नियमित व्यायाम :
जापान में हर घर का यह नियम है कि उन्हें योगा, कराटे या मार्शलआर्ट की क्लास में जाना ही। इन तरह के व्यायामों से उनका दिमाग शांत रहता है और बॉडी फिट रहती है। बूढ़े हो जाने तक भी वे इन्हें नहीं छोड़ते।
भूंख से कम खाना :
जापानियों का पेट जब 4/5 तक भर जाता है, तब वे खाना बंद कर देते हैं। वे कम खाना पसंद करते हैं और कभी पेट को पूरा नहीं भरते।
जापानी अपनी जिंदगी में डाइट और लाइफस्टाइल दोनों में एक संतुलन बना कर रखते हैं। इसके अतिरिक्त वे जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। अध्ययन में देखा गया है कि ऐसा करने से उनकी उम्र धीरे-धीरे घटती है। जापान में रिटायर होने की कोई उम्र नहीं है। 60 साल की उम्र पार करने के बाद तक वे काम करना पसंद करते हैं। उन्हें घर पर खाली बैठना या सोना पसंद नहीं होता इसलिये वे कहीं न कहीं खुद को व्यस्त रखते हैं। विपरीत परिस्थतियों में भी ये लोग हंसी-खुशी जीना जानते हैं। बेकार की चिंता करना और लड़ाई झगड़े से दूर, ये अपनी जिंदगी बिताना पसंद करते हैं। लोगों की मदद करना और सोशल वर्क करना आदि करते हैं क्योंकि इनका मानना है कि इनकी जिंदगी का कोई मक्सद है। स्मोकिंग, शराब, नमक वाला खाना, जरुरत से ज्यादा खाना आदि इनकी दिनचर्या में नहीं हैं। इसलिये ये लंबा जीते हैं। इसके अतिरिक्त निम्न बातों पर विशेष ध्यान देते हैं |
हँसना :
खुल कर हंसना एक ऐसी क्रिया है जिससे शरीर का दर्द और अवसाद दूर होता है। हंसने से हमारे शरीर का इम्मयून सिस्टम भी मजबूत हेाता है इसलिये ये लोग हंसने का मौका कभी नहीं भूलते। रोजाना 15 मिनट हंसे। हंसने से औसत आयु 8 साल तक बढ़ जाती है।
पूर्वी जड़ी बूटियों का सेवन :
जापानी लोग एलोपैथिक दवाओं पर निर्भर न रह कर पूर्वी जड़ी बूटियों का सेवन अधिक करते हैं। जोकि उन्हें दवाओं के साइड इफेक्ट्स से बचाती हैं |
साफ-सफाई :
जापान दुनिया के सबसे साफ सुथरे देशों में से एक माना जाता है। जापानी अपनी सुरक्षा संक्रामक रोगों से अतिरिक्त देखभाल कर के करते हैं। यहां तक कि जो पुस्तके वे लोग पुस्तकालयों में वापस करने जाते हैं, उसे वापस लेते वक्त किताबों से कीटाणुओं को मारने के लिये UV तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
हरी सब्जियों का सेवन :
जापानियों की थाली में आधी थाली हरी सब्जियों से भरी हुई होती है। इसके अलावा वे दाल भी खूब खाते हैं। ये मिक्स वेज सैलेड खाना काफी पसंद करते हैं जिससे एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोकैमिकल्स की वजह से इन्हें हृदय रोग और कैसर नहीं होता।
नियमित व्यायाम :
जापान में हर घर का यह नियम है कि उन्हें योगा, कराटे या मार्शलआर्ट की क्लास में जाना ही। इन तरह के व्यायामों से उनका दिमाग शांत रहता है और बॉडी फिट रहती है। बूढ़े हो जाने तक भी वे इन्हें नहीं छोड़ते।
भूंख से कम खाना :
जापानियों का पेट जब 4/5 तक भर जाता है, तब वे खाना बंद कर देते हैं। वे कम खाना पसंद करते हैं और कभी पेट को पूरा नहीं भरते।
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