Monday, January 23

आपको पता है - खर्राटे बन सकते हैं मौत का कारण !





By- Dr. Kailash Dwivedi

खर्राटा :


खर्राटे आना एक आम समस्या है। सोते समय श्वास के साथ तेज आवाज और वाइब्रेशन आना खर्राटे कहलाता है। इसमें काग (युविला) पीछे गिर जाता है जिससे श्वासनली ब्लॉक हो जाती है। इससे श्वास लेने में परेशानी होती है एवं मुंह से श्वास लेने पर आवाज आती है। यदि खर्राटों का इलाज समय पर न किया जाए तो यह स्लीप एप्निया का कारण बन सकता है। अर्थात खर्राटे के साथ स्लीप एप्निया होने का खतरा अधिक हो जाता है | आईये जानते हैं क्या है स्लीप एप्निया -

स्लीप एप्निया :

यदि खर्राटों का समय पर इलाज न किया जाए तो यह स्लीप एप्निया नामक बीमारी बन सकती है। सोते समय कुछ सेकंड के लिए श्वास रुक जाना एप्निया कहलाती है। श्वास रुकने के बाद डरावनी, तीखी आवाज के साथ श्वास आती है। यदि समय पर इस बीमारी की ओर ध्यान न दिया जाए, तो श्वास रुकने का समय बढ़ने लगता है और धीरे-धीरे यह खतरनाक स्टेज पर पहुंच जाता है।  इससे कई बार सोते हुए मौत भी हो जाती है। मुख्यतः स्लीप एप्निया दो प्रकार का होता है -

  1. श्वास लेने में 5 से 10 सेकेंड तक की रुकावट आती है लेकिन छाती और पेट चलता रहता है श्वास के साथ कर्कश खर्राटे आते हैं। इसे सेंट्रल स्लीप एप्निया कहते हैं |
  2. कुछ सेकंड के लिए श्वास के साथ छाती और पेट का हिलना भी बंद हो जाता है। ऑक्सिजन न मिलने पर व्यक्ति बेचैनी और घुटन के कारण एकदम हड़बड़ा कर उठता है। यह ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया कहलाता है |

क्यों होता है ऐसा :

खर्राटे और एप्निया होने का प्रमुख कारण मोटापा है। डॉक्टरों का मानना है कि पुरुषों की गर्दन की माप 17 इंच और महिलाओं की 16 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे अधिक होने पर एप्निया का खतरा बढ़ जाता है। एप्निया की आशंका उन लोगों में दोगुनी हो जाती है, जिन्हें रात में अक्सर नाक बंद होने की समस्या रहती है। उम्र बढ़ने के साथ इसका खतरा बढ़ जाता है। पुरुषों में एप्निया का खतरा महिलाओं के मुकाबले तीन गुना अधिक होता है। इसके अतिरिक्त निम्न कारण हो सकते हैं -

  • ज्यादा थकान होना 
  • निचले जबड़े का छोटा होना 
  • नाक की हड्डी टेढ़ी होना एवं उसमें मांस बढ़ा होना

घरेलू उपाय :

  • यदि आपका वजन अधिक है तो कम करने का प्रयास करें
  • पीठ के बल सोने की बजाय करवट लेकर सोएं
  • सोते समय सिर को थोड़ा ऊंचा रखें 
  • रात्रि में हल्का भोजन करें 
  • प्रतिदिन प्रातः कम से कम 5 मिनट कपालभाति एवं  15 मिनट अनुलोम-विलोम प्राणायाम, 5-5 बार उज्जायी एवं भ्रामरी प्राणायाम करें
  • प्रतिदिन प्रातः स्नान के बाद एवं रात्रि सोने से पूर्व नाक में सरसों के तेल की 2-3 बूंदें डालें
  • अपनी जीभ को टंग क्लीनर से साफ करने के पश्चात् जीभ पर थोड़ा-सा घी लगाकर जीभ को तोड़े-मरोड़ें


आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में उपचार :

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में एंटि-स्नोरिंग डिवाइस एवं विशेष प्रकार के मास्क के प्रयोग से खर्राटे व स्लीप एप्निया की रोकथाम की जाती है | गंभीर स्थिति में सर्जरी के द्वारा स्नोरिंग (खर्राटा) की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। 


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