By- Dr. Kailash Dwivedi
प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने की समस्या 40 वर्ष की आयु के बाद सामने आती है | लगभग 70-80 प्रतिशत व्यक्ति इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं। प्रोस्टेट की अनदेखी करने पर अन्य समस्यायों के साथ गुर्दा फेल होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
मेडिकल साइंस के आकड़ों के अनुसार, यदि व्यक्ति 60 वर्ष से अधिक उम्र का है तो उसकी बीमारी ठीक होने की सम्भावना 60 प्रतिशत दवाओं से और 40 प्रतिशत ऑपरेशन से रहती है।सामान्य रूप से प्रोस्टेट का साइज 18 से 20 ग्राम होता है। हर साल इसके आकार में 2-3 ग्राम की बढ़ोतरी होती है। यदि प्रोस्टेट की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति की प्रोस्टेट का आकार 100 ग्राम से अधिक बढ़ जाए तो यह गुर्दों के लिए घातक होता है। इसकी अनदेखी करने पर पीड़ित व्यक्ति की किडनी फेल होने की संभावना बढ़ जाती है। प्राकृतिक चिकित्सा से इस रोग में लाभ प्राप्त किया जा सकता है | जहाँ तक संभव हो सर्जरी से बचना चाहिए | सर्जरी के बाद निम्न समस्याएं आ सकती हैं -
प्रोस्टेट की सर्जरी के बाद आ सकती है यह समस्या :
प्रोस्टेट ग्लैंड मूत्राशय की ग्रीवा तथा मूत्रमार्ग के ऊपरी भाग को चारों तरफ से घेरकर रखती है। इस ग्लैंड से सफेद, लिसलिसा तथा गाढ़ा स्राव निकलता है। जब पुरुष उत्तेजित होता है तो उस समय शुक्राणु प्रोस्टेट में पहुंच जाते हैं। यह लिसलिसा पदार्थ इन शुक्राणुओं को जीवित रखने और बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब यह ग्रंथि अधिक बढ़ जाती है तो मूत्राशय तथा मूत्रमार्ग की क्रियाओं में बाधा उत्पन्न होती है। ऑपरेशन के बाद 100 में से 100 लोगों का सेक्स के दौरान वीर्य नहीं निकलता है, बल्की पेशाब की थैली में चला जाता है। दो प्रतिशत लोगों में नपुंसकता के चांचेज भी बढ़ जाते हैं। इसके आलाव ऑपरेशन के बाद यदि इंटरनल स्पींटर कट गया तो यूरिन रुकने की समस्या पैदा हो जाती है।प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण :
- बार-बार पेशाब का आना, रात में चार से पांच बार यूरिन परित्याग करने के लिए जाना
- पेशाब का देर से उतरना
- शौच करते समय पेशाब का बूँद-बूँद कर टपकना
- यूरिन करने के बाद भी पुनः यूरिन की शंका होना, ऐसा महसूस होता है कि तेज पेशाब लगी है लेकिन करने पर बूंद-बूंद कर होती है
- पेशाब में खून का आना
- मूत्राशय में पथरी का बनना
- गुर्दे का फे ल होना
- सिर में दर्द, घबराहट, थकान, चिड़चिड़ापन होना
- लिंग का ढीला हो जाना तथा अधिक कमजोरी महसूस होना एवं वीर्य निकलने पर दर्द होता है
- पेशाब में जलन होना
- मूत्र पर नियंत्रण नहीं होना एवं मूत्र त्याग कर चुकाने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकना
प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने के कारण :
- लगातार लम्बे समय तक बैठने का कार्य करना
- अप्राकृतिक खान-पान
- मानसिक तनाव, चिंता एवं अधिक क्रोध
- नशीले पदार्थों का अधिक सेवन
- कब्ज
- मूत्र तथा शौच का वेग रोकना
प्राकृतिक उपचार :
गर्म-ठंडा कटि स्नान :
गर्म - ठंडा कटि स्नान करने के लिए कपड़े निकालकर टब में पैरों को बाहर करके आधे लेटने की स्थिति में इस प्रकार बैठना चाहिए कि नाभि के ऊपर तक का भाग एवं आधी जंघाएँ पानी के अन्दर आ जाएँ |
इस स्नान को करने के लिए निम्न साधनों की आवश्यकता होगी -
साधन :
कटि स्नान के टब - 2, गरम एवं ठंडा पानी |
विधि :
कटि स्नान के एक टब में ठंडा एवं दूसरे टब में गर्म पानी भरकर इसमे निम्न क्रम में बैठना चाहिए -
- 3 मिनट गर्म
- 1 मिनट ठंडा
- 3 मिनट गर्म
- 1 मिनट ठंडा
- 3 मिनट गर्म
- 1 मिनट ठंडा
- 3 मिनट गर्म
- 3 मिनट ठंडा
इस प्रकार कुल 18 मिनट तक इस उपचार को करना चाहिए |
प्रोस्टेट में आहार चिकित्सा :
कद्दू के बीज प्रोस्टेट की समस्या से बचाव करने में अत्यंत सहायक इन बीजों में मौजूद केमिकल शरीर में जाकर टेस्टोस्टेरोन को डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन में बदलने से बचाता है जिससे प्रोस्टेट कोशिकाएं नहीं बन पातीं है |
इसके बीज जिंक के बेहतरीन स्रोतों में से एक माने जाते हैं |प्रतिदिन 60 मिलीग्राम जिंक का सेवन प्रोस्टेट के रोगियों को अत्यंत लाभ पहुंचाता है और उनके स्वास्थ्य में भी सुधार करता है | कद्दू के बीज कच्चे या भून कर अथवा दूसरे बीजों के साथ मिलाकर खाए जा सकते हैं |
- उपचार से सम्बंधित यदि कोई प्रश्न पूछना हो तो कृपया कमेन्ट बॉक्स में अपना प्रश्न लिखें -
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