. By- Dr. Kailash Dwivedi
किसी व्यक्ति के मूत्र में क्रिएटिनिन (creatinine) का बढ़ा हुआ स्तर गुर्दों की बीमारी के लिए उत्तरदायी होता है | सामान्य स्थिति में किडनी इसे छानकर मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकाल देता है । रोग की स्थिति में किडनी इस कार्य को सुचारू ढंग से नहीं करती फलस्वरूप क्रिएटिनिन बाहर नहीं निकल पाता है और रक्त में इसका स्तर बढ़ने लगता है। यह स्थिति गुर्दों के लिए अत्यंत हानिकारक होती है | ऐसी स्थिति में यदि डायलिसिस के द्वारा रक्त को शुद्ध न कराया जाये तो गुर्दे फेल होने की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है | इस आलेख में हम जानेंगे कि कैसे आहार एवं जीवन शैली में परिवर्तन कर बढ़े हुए क्रिएटिनिन लेवल को घटाया जाये ।
जानें क्रिएटिनिन क्या है एवं रक्त में इसका स्तर कितना होना चाहिए :
मेटाबोलिक पदार्थ क्रियेटिन, भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिये सहायता देते समय टूट कर क्रियेटिनन में बदल जाता है। रक्त में इसके स्तर का पता –‘क्रिएटिनिन क्लियरेन्स टेस्ट (creatinine clearance test)’ के द्वारा लगाया जा सकता है |
विभिन्न आयु वर्ग के रक्त में क्रियेटिनन का स्तर :
- पुरुष: 0.6 to 1.2 mg/dL; 53 to 106 mcmol/L
- महिला: 0.5 to 1.1 mg/dL; 44 to 97 mcmol/L
- टीनेजर्स: 0.5 to 1.0 mg/dL
- बच्चे: 0.3 to 0.7 mg/dL
मूत्र में सामान्य क्रिएटिनिन का स्तर :
- पुरुष: 107 to 139 mL/min; 1.8 to 2.3 mL/sec
- महिला: 87 to 107 mL/min; 1.5 to 1.8 mL/sec
- 40 वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति के लिये: प्रत्येक 10 वर्ष की वृद्धि के बाद लेवल्स को 6.5 mL/min की दर से घटना चाहिये।
क्रिएटिनिन स्तर बढ़ने के कारण :
- किडनी डैमेज होने की स्थिति में गुर्दों द्वारा क्रिएटिनिन को छानकर शरीर से बाहर नहीं निकाल पाना |
- यदि किसी कारण से शरीर की मांस-पेशियों क्षतिग्रस्त हैं तो टूटे हुए टिशूज ब्लड-स्ट्रीम में मिल जाते हैं जिससे किडनी पर बुरा असर पड़ता है।
- भोजन में मांस का सेवन करने से भी शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ सकती है।
- थायराइड ग्रंथि में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी किडनी के कार्य को प्रभावित करते हैं जिससे किडनी की अनुपयोगी पदार्थों को फिल्टर करने की क्षमता घट जाती है।
क्रिएटिनिन के स्तर को कैसे घटायें :
नमक की मात्रा को कम करें :
अधिक मात्रा में सोडियम का सेवन शरीर में फ्लड (fluid) को, स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाले स्तर तक, एकत्रित करने लगता है जिससे रक्त-चाप बढ़ता है। यह दोनों कारण क्रिएटिनिन के स्तर को बढ़ा सकते हैं। ध्यान रखें पूरे दिन में नमक की कुल 2-3 ग्राम की मात्रा ही लेनी चाहिए |अधिक प्रोटीन का सेवन बंद करें :
अधिक प्रोटीनयुक्त खाद्य जैसे रेड मीट एवं डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन बंद कर देना चाहिए | प्रोटीन लेना आवश्यक हो तो प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन जैसे नट्स तथा दालों का सेवन करें |निम्न खाद्यों से बचें :
यदि क्रिएटिनिन पहले से ही बढ़ा हुआ हो तो केले, पालक, आलू, बीन्स और मटर से परहेज करें ।हाईड्रेट रहें :
शरीर में पानी की कमी (Dehydration), क्रिएटिनिन लेवल को बढ़ा सकती है | इसलिए प्रतिदिन डेढ़ से दो लिटर की मात्रा में पानी पियें | बहुत अधिक मात्रा में पानी न पियें क्योकि ज्यादा पानी पीने से गुर्दों के कार्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।अधिक परिश्रम से बचें :
अधिक श्रम करने से शरीर भोजन को ऊर्जा में तेजी से परिवर्तित करता है। फलस्वरूप क्रिएटिनिन का उत्पादन बढ़ जाता है और रक्त में भी उसकी मात्रा बढ़ जाती है। इसलिए अधिक परिश्रम वाले कार्यों से बचें |पर्याप्त नींद लें :
सोते समय बहुत से शारीरिक कार्य घट जाते हैं या धीमें पड़ जाते हैं। इसमे शरीर की मेटबोलिक क्रियायें भी शामिल हैं। परिणामस्वरूप, क्रिएटिन के क्रिएटिनिन में परिवर्तन की गति धीमी हो जाती है | इसलिए 6 से 9 घण्टे तक सोने का लक्ष्य निर्धारित करें |
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