फोड़े-फुंसियों या दाद-खाज खुजली जैसे त्वचा रोगों के पीछे प्रमुख रूप से रक्त का दूषित होना होता है। जब शरीर का खून दूषित हो जाता है तो कुछ समय के बाद उसका प्रभाव बाहर त्वचा पर भी नजर आने लगता है।
त्वचा रोग - खुजली, जलन, फुंसियां, घमोरियां, लाल-सफेद चकत्ते... जैसी कई समस्याएं हैं जिनसे कभी न कभी हर कोई ग्रस्त होता है या रह चूका होता है । कई बार इन रोगों से संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर भी संक्रमण से फोड़े- फुंसी या खुजली जैसी कोई त्वचा संबंधी समस्या हो सकती है।
इस लेख में कुछ ऐसे घरेलू उपाय दे रहे हैं जो आजमाए और परखे हुए हैं। यह नुस्खे अत्यंत कारगर हैं |
फोड़े फुंसी की चिकित्सा :
- थोड़ी सी साफ रूई पानी में भिगो दें, फिर हथेलियों से दबाकर पानी निकाल दें। तवे पर थोड़ा सा सरसों का तेल डालें और उसमें इस रूई को पकायें। फिर उतारकर सहन कर सकने योग्य गर्म रह जाय तब इसे फोड़े पर रखकर पट्टी बाँध दें। ऐसी पट्टी सुबह-शाम बाँधने से एक दो दिन में फोड़ा पककर फूट जायेगा। उसके बाद सरसों के तेल की जगह शुद्ध घी का उपयोग उपरोक्त विधि के अनुसार करने से घाव भर के ठीक हो जाता है।
- नीम की पत्तियों को पीस कर फोड़े-फुंसी, दराद या खुजली वाले स्थान पर लगाने और पानी के साथ पीने से बहुत सीघ्र लाभ होता है।
- नींबू के छोटे पत्ते खाने से लाभ होता है। नींबू में मौजूद विटामिन सी खून साफ करता है. फोड़े-फुंसियों पर नींबू की छाल पीसकर लगाएं. सप्ताह में एक बार फोड़े-फुंसिंयों पर मुल्तानी मिट्टी लगाएं. एक-दो घंटे बाद नहाएं ।
- पालक, मूली के पत्ते, प्याज, टमाटर, गाजर, अमरुद, पपीता आदि को अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करें।
- सुबह खाली पेट चार-पांच तुलसी की पत्तियां चूंसने से भी त्वचा रोगों में स्थाई लाभ होता है।
- फोड़े फुंसियों पर वट वृक्ष या बरगद के पत्तों को गरम कर बाँधने से शीघ्र ही पक कर फूट जाते
- आयुर्वेद के अनुसार नीम की सूखी छाल को पानी के साथ घिसकर फोड़े फुंसी पर लेप लगाने से बहुत लाभ मिलता है और धीरे-धीरे इनकी समाप्ति हो जाती है।
- जब तक समस्या से पूरी तरह से छुटकारा नहीं मिल जाता मीठा यानी शक्कर से बनी, बासी, तली-गली और अधिक मिर्च-मसालेदार चीजों को पूरी तरह से छोड़ दें।
- फोड़े-फुंसी, या खुजली वाले स्थान पर मूली के बीज पानी में पीस कर गरम करके लगाने से तत्काल लाभ होता होगा |
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