. By- Dr. Kailash Dwivedi
टखने की मोच एक पीड़ादायक स्थिति है यह चलते-फिरते, खेलों अथवा शारीरिक चुस्ती की गतिविधियां करते हुए, ऊँची-नीची सतह पर एकाएक पैर पड़ जाने से हो जाती है | मोच टखनों को सहारा देने वाले स्नायुओं (लिगामेंट्स) में खिंचाव से आने वाली चोट है। टखने के बाहरी तरफ के स्नायु, टखने के मुड़ने के कारण, सबसे आसानी से चोटग्रस्त होते हैं। यदि एक ही टखने में बार-बार मोच आती है या 4 सप्ताह से अधिक समय तक दर्द का रहता हो तो यह जीर्ण मोच (क्रोनिक स्प्रेन) हो सकती है। इस लेख में जानिये टखने में मोच आ जाने पर क्या करना चाहिए |
टखने की मोच के लक्षण :
- टखने में दर्द
- सूजन
- चोटग्रस्त क्षेत्र के आस-पास सूजन एवं नीला निशान
रोकथाम (बचाव) :
- व्यायाम एवं परिश्रम के कार्य करने के पूर्व शरीर को वार्म-अप करें।
- ऊँची एड़ी के जूते या सैंडल न पहनें।
- चलते समय, दौड़ते समय या असमतल धरातल पर कार्य करते समय सावधानी रखें ।
इन स्थितियों में चिकित्सक से संपर्क करें :
सामान्यतः टखने की मोच पर आई सूजन एवं दर्द 48 घंटों में सामान्य हो जाता हैं। गंभीर मोच में, कई सप्ताह लग सकते हैं। यदि निम्न लक्षण हों तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए |
- चल नहीं पा रहे हों।
- बर्फ से सिंकाई, विश्राम एवं दर्द निवारक दवाएं लेने के बाद भी दर्द में कमी ना हो।
- 5-7 दिनों बाद भी मोच में कोई सुधार न हो।
- यदि टखना लाल, काला, या नीला पड़ रहा हो या सुन्न हो रहा हो।
जाँच और परीक्षण :
- एक्स-रे
- बोन स्केन
- सीटी स्केन (कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी)।
- एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग)।
घरेलू उपचार :
- चोट लगने पर तुरन्त तुलसी की कुछ पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें | इस पेस्ट को चोट वाले स्थान पर लगायें।
- बेड रेस्ट करें |
- पैरों के नीचे तकिया आदि लगाकर टखने को ह्रदय की ऊँचाई से ऊपर उठाएँ।
- उँगलियों से लेकर टखने के थोड़ा ऊपर तक एक समान दबाव देते हुए इलास्टिक बैंडेज लगाएँ। सूजन समाप्त होने तक इसे लगाये रखें।
- सूजन एवं दर्द हो तो दिन में तीन से चार बार 10 से 15 मिनट के लिए आइस पैक या बर्फ से सिंकाई करें। बर्फ मिले पानी में पैर रखने से भी आराम मिलता है।
- दो चम्मच हल्दी एवं एक चम्मच चूना अच्छी तरह से एक में मिलाकर धीमी आंच में एक-दो मिनट रखने के बाद उतार लें | इसे सहने लायक गर्म अवस्था में ही मोच वाले जगह पर लगायें। यह जब तक न सूखे लगा रहने दें, सूखने के बाद गुनगुने गर्म पानी से धो लें। इस लेप को दिन में दो बार लगा सकते हैं।
क्या खाएं :
प्रोटीन युक्त खाद्य जैसे - डेरी उत्पाद, सोया और फलियों का सेवन करें |
ताजे फल और हरी सब्जियों का अधिक प्रयोग करें ।
क्या न खाएं :
शीतल पेय, आइसक्रीम आदि का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए | यह खाद्य रक्तसंचरण को धीमा कर देते हैं, जिसके कारण चोट के सुधरने की गति भी धीमी हो जाती है।
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