By- Dr. Kailash Dwivedi
प्राकृतिक उपचार :
सूर्य की तरफ पीठ करके एक आइना पकड़कर और मुँह खोलकर ऐसी स्थिति में बैठें ताकि सूर्य की रोशनी आईने से प्रतिम्बिबित होकर आपके खुले मुँह में प्रवेश करे। गहरी साँस लें और धीरे धीरे अपना मुँह खोलें, और आईने को अपनी जीभ पर प्रतिम्बिबित करें। जीभ आपके मुँह के निचले भाग की तरफ होनी चाहिए अगर आपने सही तरह से निर्देशों का पालन किया है। अपनी जीभ को ढीला छोड़ दें, उसे कभी भी कड़ा न करें, क्योंकि ऐसा करने से हकलाहट बनी रहेगी। स्पष्ट रूप से ‘क्या हो’ शब्द का बार बार उच्चारण करें। आपकी जीभ को सुचारू रूप से कार्यशील करने के लिए यह एक उत्तम उपाय माना जाता है।
घरेलू उपचार :
- नियमित रूप से एक आँवले का सेवन करने से हकलाहट कम होती है । सुबह सवेरे एक चम्मच सूखे आँवले का पाउडर और एक चम्मच देसी घी का सेवन करने से भी हकलाहट में लाभ मिलता है।
- सोने से पहले छुआरों का सेवन करें पर कम से कम 2 घंटों तक पानी न पीयें। इससे आवाज़ भी साफ़ हो जायेगी और हकलाहट भी दूर हो जायेगी।
- 12 बादाम पूरी रात पानी में सोख कर रखें, और सुबह उनके छिलके उतार कर पीस लें, और उन्हें 30 ग्राम मक्खन के साथ सेवन करने से भी हकलाहट में लाभ मिलता है।
- हकलाहट दूर करने के लिए 10 बादाम और 10 काली मिर्च मिश्री के साथ पीस कर दस दिन तक सेवन करें।
- गुनगुने ब्राह्मी तेल से सिर पर 30 से 40 मिनट तक मालिश करें। उसके बाद गुनगुने पानी से नहा लें। इससे स्मरण शक्ति में सुधार होता है और अटककर और हकला कर बोलने का दोष मिट जाता है ।
- योग में खेचरी मुद्रा करने से भी हकलाहट में लाभ होता है (इस मुद्रा को करने के लिए अपनी जिव्हा को मोडकर तालू में लगायें, कुछ समय तक इसी स्थिति में रहें | दिन में कई बार इसे करें |
- दिन में तीन-चार बार 10 बार गहरी श्वास भरें और छोड़ें |
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