Wednesday, December 28

यौगिक षट्कर्म - त्राटक




By-Dr. Kailash Dwivedi

योगशास्त्र में त्राटक के बारे में कहा गया है कि एकाग्र होकर पलकों को बिना झपकाए किसी सूक्ष्म वस्तु (छोटे वस्तु या बिन्दू) पर आंखो में आंसू आने तक ध्यान केन्द्रित करना और आंसू आने पर आंखों को बंद कर लेना त्राटक कहलाता है।
त्राटक,  ध्यान के अभ्यास की एक साधना है | इस क्रिया में  किसी वस्तु पर एकटक दृष्टि केन्द्रित कर मन को एकाग्र किया जाता है। त्राटक को हठयोग का ही एक अंग माना गया है। इसके अभ्यास से व्यक्ति में एकाग्रता में वृद्धि होती है एवं सम्मोहन शक्ति का जागरण होता है।

 विधि :

    त्राटक के अंतर्गत बिंदु पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए सफेद कागज पर एक रूपये के बराबर  आकर में गोल निशान बना लें। निशान का रंग काला या हरा होना चाहिए। या कमरे में कोई दीपक या मोमबत्ती जलाकर स्वयं से लगभग साढ़े चार हाथ की दूरी पर आंखों की बराबर ऊंचाई पर रखें। दीपक के लिए देशी घी का प्रयोग करें।
       अब नीचे आसन  बिछाकर पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएँ ।  शरीर को स्थिर रखते हुए अपनी दृष्टि को कागज पर बनाए गये निशान परअथवा  मोमबत्ती से निकलने वाली लौ (ज्योति) पर केन्द्रित करें। इस क्रिया में बिना पलक झपकाए तब तक उस पर दृष्टि रखे, जब तक आंखों में आंसू आने की स्थिति न बन जाए। आंखों में आंसू आने से पहले ही आंखों को बंद कर लें और अपनी दोनों हथेलियों को आपस में रगड़कर आंखों के पलकों को सहलाएं। इस तरह इस क्रिया को 15 मिनट तक करने के बाद आपको उस  बिंदु या दीपक की ज्योति  के आस-पास अनेक बिन्दुओं में किरणें नजर आने लगेगी। परंतु अपनी दृष्टि को पहले वाली ज्योति या बिंदु पर ही केन्द्रित रखें | कुछ देर तक एकाग्र होकर प्रकाश को देखते रहने के बाद पहले की तरह ही प्रकाश आ जायेगा। यह क्रिया तब होती है, जब दृष्टि एकाग्र कर जिस दिशा में रखी जाती है उस दिशा में प्रकाश ही प्रकाश दिखाई देने लेगेगा।

सावधानियां

  • जिन्हें आँखों से सम्बंधित कोई गंभीर रोग हो उन्हें त्राटक नहीं करना चाहिए |
  • त्राटक का अभ्यास ब्रहामुहूर्त अथवा  मध्यरात्रि के समय करना चाहिए। 
  • त्राटक क्रिया को तब तक करें जब तक आंखों में जलन न होने लगे। 
  • इस क्रिया को शुरू-शुरू में एक बार ही करें। 
  • त्राटक के लिए कभी भी कैरोसिन तेल का प्रयोग न करें तथा बल्ब पर भी त्राटक क्रिया को न करें।
  • इस क्रिया को शांत स्थान पर करें और मन को एकाग्र करें। इसमें दीपक के लौ के अलावा किसी दूसरी वस्तु पर भी कर सकते हैं जैसे- आप अपने मन के अनुसार किसी बगीचे में शांत स्थान पर बैठकर फूल पर दृष्टि एकाग्र कर सकते हैं। इसमें सफलता मिलने के बाद चांदनी रात में चन्द्रमा पर अपनी दृष्टि केन्द्रित कर सकते हैं।

चिकित्सकीय लाभ 

  1. त्राटक से आंखों के विकार दूर होकर आंखों की रोशनी बढ़ती है। 
  2. इससे धारणा में लाभ मिलता है और मन स्थिर रहता है। इच्छा शक्ति बढ़ती है और प्राणवायु स्थिर रहती है। 
  3. त्राटक की पूर्ण सिद्धि होने के बाद यदि वह व्यक्ति अपनी इच्छाशक्ति को बढ़ाकर किसी व्यक्ति की आंखों से आंखों को मिलाकर देखें तो व सम्मोहित (हिप्नोटाइज) हो जाता है और जो भी कहता है वह करने को तैयार हो जाता है।

आध्यात्मिक लाभ :

  1.  हठयोग के षट्कर्म से कुण्डलिनी जागरण में सहायता मिलती है। 

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