Wednesday, April 29

उपवास काल के दौरान रोग और चिकित्सा-

          उपवास काल में रोगों के उभार के चलते कभी-कभी बहुत ज्यादा परेशानी होती है जिससे डरकर अधिकांश लोग उपवास को बीच में ही तोड़ देते हैं। उपवास काल में यदि इनमे से कोई स्थिति बने तो निम्न उपाय करने चाहिए -
मूर्च्छा (बेहोशी)-
 यदि उपवास के दौरान बेहोशी आ जाती है इस बेहोशी को दूर करने के लिए रोगी को बिल्कुल सीधा लिटाकर उसके पैरों को थोड़ा ऊंचा कर देना चाहिए, जिससे मस्तिष्क में रक्त संचरण ठीक से हो सके। बेहोशी की हालत में कभी भी रोगी को खड़ा नहीं करना चाहिए, अन्यथा उसकी मृत्यु तक भी हो सकती है।
चक्कर -
चक्कर आने पर रोगी के सिर को ऊंचा रखना चाहिए, इसके साथ ही व्यक्ति को खुली हवा में रहकर आराम करना चाहिए।
सीने में दर्द-
 उपवास के दौरान आमाशय में मल जमा हो जाने से अक्सर दिल में दर्द होने लगता है। ये लक्षण धीरे-धीरे खुद ही मिट जाते हैं।
सिरदर्द-
 उपवास के प्रारम्भ में सिरदर्द होने लगता है, लेकिन यह कुछ देर के बाद अपने आप ठीक हो जाता है।
पेशाब आने में रुकावट होना - 
 उपवास काल में मूत्रावरोध होने पर ठंडा मेहनस्नान या पेड़ू पर गर्म और ठंडा सेंक देना चाहिए।
नाड़ी की गति धीरे चलना -
 अक्सर उपवास रखने वाले व्यक्ति की नाड़ी के चलने की गति कम हो जाती है, लेकिन इससे डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि यह खतरनाक नहीं होता। थोड़ा बहुत व्यायाम करने से या गर्म पानी से नहाने से इसकी रफ्तार सही हो जाती है। इसमें मालिश करने से भी बहुत लाभ होता है।
नाड़ी का तेज चलना-
जब कोई व्यक्ति लंबा उपवास करता है तो अक्सर उसकी नाड़ी तेज-तेज चलने लगती है, जो बहुत खतरनाक होती है। इसका उसी समय इलाज करना जरूरी है। ऐसी स्थिति में ठंडे पानी से स्नान करने से दिल उत्तेजित होता है, इसलिए रोगी को ठंडे पानी से स्नान नहीं करना चाहिए। इस स्थिति में रोगी को गर्म पानी से स्नान कराना लाभदायक होता है। यह पानी भी ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए, बस शरीर के तापमान के बराबर ही होना चाहिए। पेडू़ पर ठंडे पानी की पट्टी रखने से, सिर को ठंडा और पैरों को गर्म रखने से भी लाभ होता है।
उल्टी -
वमन होना उपवास रखने के दौरान सबसे खतरनाक रोग है । इस स्थिति में बहुत सारा गर्म पानी पिलाना चाहिए ताकि उसके आमाशय में जमा उत्तेजक पदार्थ जल्दी से बाहर निकल सकें। अगर ऐसा करने से कोई लाभ न हो तो, रोगी को ठंडा गर्म कटिस्नान करना चाहिए। अगर इस प्रयोग से लाभ न हो तो रोगी को पानी में ग्लिसरीन मिलाकर पिलाने से उल्टी आने का रोग दूर हो जाता है।
नोट :- पूर्ण उपवास किसी योग्य प्राकृतिक चिकित्सक के निर्देशन में ही करना चाहिए |

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