Wednesday, April 29

पूर्ण उपवास

पूर्णोपवास कितने दिनों का होना चाहिए। इसलिए इसका कोई खास नियम नहीं है। कोई भी व्यक्ति 5 से 7 दिनों तक पूर्णोपवास रख सकता है। जो लोग हमेशा के लिए अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखना चाहते हैं, उन लोगों को सप्ताह में 1 दिन, हर महीने की दोनो एकादशियों को तथा साल में 8, 10 या 15 दिनों का पूर्णोपवास करना चाहिए। ऐसा करने से बहुत लाभ होता है। जिन लोगों की सेहत अच्छी होती है, वे लोग उपवास को 7 दिन तक बिना किसी डर के कर सकते हैं और लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
पूर्णोपवास के लिए तैयारी-
 उपवास करने के लिए किसी खास तरह की तैयारी करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि जिस तरह किसी व्यक्ति को भूख लगने पर उसे किसी तरह की तैयारी नहीं करनी पड़ती, उसी तरह कोई सा भी रोग चाहे शारीरिक हो या मानसिक उसको दूर करने के लिए किसी भी प्रकार के विचार-विमर्श की जरूरत नहीं होती। बस इतना जरूर होता है कि उपवास रखने की शुरुआत में मानसिक प्रवृति को थोड़ा शांत और भटकने से रोकने की जरूरत होती है।
 लंबे उपवास को शुरू करने से पहले यदि  कुछ समय तक सिर्फ प्राकृतिक भोजन पर ही रहकर कटि स्नान तथा थोड़े बहुत व्यायाम आदि कर लिए जाने के बाद उपवास शुरू किया जाए तो अधिक लाभकारी है |
          उपवास रखने से पहले यह आवश्यक है कि उपवास रखने वाला व्यक्ति उपवास के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर ले। इससे उस व्यक्ति को उपवास के दौरान ताकत और मन को काबू में रखने की शक्ति प्राप्त होगी। जिससे उपवास करने वाले व्यक्ति का मन डगमगाएगा नहीं। लंबे उपवासों को शुरू करने से पहले व्यक्ति को अपने ह्रदय और नाड़ी की जांच जरूर करा लेनी चाहिए। जो पुराने रोगी होते हैं उन्हें लंबे उपवास शुरू करने से पहले अपने रोजाना करने वाले भोजन में थोड़ा बहुत बदलाव कर देना चाहिए।  इसके बाद धीरे-धीरे लंबे उपवास रखें जैसे पहले उपवास में सिर्फ सुबह का ही भोजन छोड़ दें और सिर्फ शाम को ही भोजन खाएं। फिर 2-3 दिन के बाद अन्न खाना बिल्कुल बंद करके सिर्फ फल पर ही रहें। फिर 2-3 दिन तक सिर्फ फलों को खाने के बाद पूरे दिन का उपवास शुरू कर दें। ऐसा करने से उपवास के दौरान व्यक्ति को किसी तरह की परेशानी सामने नहीं आएगी।
उपवास करने का समय :
प्राकृतिक चिकित्सका के अनुसार लंबे उपवास के लिए सबसे अच्छे मौसम गर्मी और बसन्त ऋतु के हैं।
पूर्ण उपवास में सावधानियां :
पानी - उपवास के दौरान पानी न पीने से शरीर को नुकसान होने की आशंका रहती है। इसलिए उपवास काल में  पूरे दिन प्रति घंटे एक गिलास पानी में आधा कागजी नींबू का रस मिलाकर पियें। ऐसा करने से शरीर की सफाई अच्छी तरह से हो जाती है। पानी की कमी होने के कारण रक्तप्रवाह में भी रुकावट पैदा हो सकती है। इसके अलावा उपवास के दौरान पानी कम पीने या न पीने से शरीर में गर्मी भी बढ़ सकती है। जिससे उपवास करने वाले व्यक्ति को परेशानी हो सकती है।
एनिमा-
उपवास काल में प्रतिदिन सांयकाल एनिमा लेना चाहिए क्योकि उपवास के दौरान आंतें अपना काम बंद कर देती हैं, इसलिए उन्हें दूसरे तरीके से रोजाना साफ करते रहना आवश्यक है। एनिमा लेने का पानी हल्का गर्म होना चाहिए। एनिमा के पानी में एक कागजी नींबू का रस मिलाने से पेट की अच्छी सफाई हो जाती है।
स्नान-
उपवास रखने के दिनों में प्रतिदिन ताज़े पानी से स्नान करना चाहिए ।कटीस्नान या मेहरस्नान कर लिया जाए तो बहुत अच्छा होता है। यदि किसी कारण स्नान संभव न हो तो गर्म पानी में किसी तौलिए को भिगोकर और निचोड़कर अपने पूरे शरीर को अच्छी तरह से रगड़कर पोंछना चाहिए।
शरीर को सक्रिय रखें -
उपवास काल में शरीर की शक्ति के अनुसार कोई न कोई काम करते रहना जरूरी होता है। जीर्ण रोगों के निवारण हेतु उपवास रखने पर अपना छोटा-मोटा काम करते रहना चाहिए योग,प्राणायाम आदि भी करते रहना चाहिए। यदि यह सब न कर सकें तो टहलना अवश्य चाहिए । परन्तु यह ध्यान रखना चाहिए कि इतना अधिक श्रम न करें कि थकान हो जाये |
विश्राम -
 उपवास काल में श्रम साथ ही शरीर को विश्राम की आवश्यकता भी होती है। इसके लिए उपवास काल में पूरी नींद लेना आवश्यक है।
प्रसन्नता 
उपवास काल में हमेशा खुश, तनाव रहित रहना चाहिए।
औषधि निषेध 
          उपवास काल में किसी भी तरह की औषधियां नहीं लेनी चाहिए क्योंकि ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं | इस दौरान किसी रोग के होने पर प्राकृतिक उपचारों का ही सहारा लेना चाहिए। उपवास करने वाले व्यक्ति को खुली हवा में रहना और सोना चाहिए। प्रातःकाल नंगे वादन कुछ देर तक धूप में बैठना चाहिए।
पूर्णोपवास की समाप्ति
  उपवास को तोड़ने में भी बहुत सावधानी और आत्मसंयम की जरूरत होती है। उपवास काल के दौरान पाचनशक्ति बहुत ज्यादा कमजोर हो जाती है। इसलिए उपवास को तोड़ते समय सुपाच्य भोजन लेना चाहिए। उसके बाद पाचनशक्ति जैसे-जैसे बढ़ने लगे, वैसे ही भोजन की मात्रा भी थोड़ी-थोड़ी करके बढ़ाते रहनी चाहिए। इस दौरान तरल पदार्थ लेना शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसका कारण यह है कि उपवास के दौरान हमारी आंते तरल पदार्थ लेने की आदी हो जाती हैं। इसलिए तरल भोजन लेने पर उन पर ज्यादा भार नहीं पड़ता और उसे पचाने में भी आसानी रहती है।
जब शरीर में निम्न लक्षण महसूस होने लग जाए, तभी व्यक्ति को समझना चाहिए कि उसका उपवास पूरा हो गया और उसे समाप्त करने का समय आ गया है।

  1. जब स्वतः  ही बहुत तेज भूख लगने लगे तब समझना चाहिए कि उपवास को तोड़ने का समय आ गया है।
  2. उपवास के दौरान उपवास करने वाले व्यक्ति की जीभ पर जो सफेद मैल जम जाता है जब वह साफ हो जाए तो समझिए कि उपवास को समाप्त करने का समय आ गया है।
  3. जब लेने वाली सांस मीठी-मीठी सी महसूस होने लगे।
  4. नाड़ी की रफ्तार जब बिल्कुल ठीक तरह से चलने लगे।
  5. शरीर में खून का प्रवाह सही तरह से चलने के कारण जब त्वचा मुलायम और लचीली हो जाए।
  6. शरीर का तापमान बिल्कुल सामान्य हो जाए।
  7. जब शरीर बिल्कुल ही हल्का-फुल्का सा लगने  लगे  उसके अंदर नई तरह की चुस्ती-फर्ती लगने लगे।

पूर्णोपवास के बाद-
          कोई भी व्यक्ति जब उपवास करता है तो उसे उपवास की समाप्ति के बाद बड़ी ही तेज भूख लगती है, लेकिन उस वक्त व्यक्ति को बड़े ही सब्र से काम लेना चाहिए और ज्यादा नहीं खाना चाहिए। भोजन के हर ग्रास को अच्छी तरह धीरे-धीरे चबाकर खान चाहिए |

नोट :- पूर्ण उपवास किसी योग्य प्राकृतिक चिकित्सक के निर्देशन में ही करना चाहिए |

No comments:

Post a Comment