आंवले का पेड़ भारत के प्राय: सभी प्रांतों में पैदा होता है। तुलसी की तरह आंवले का पेड़ भी धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। आंवले के पेड़ की ऊचांई लगभग 6 से 8 तक मीटर तक होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। खरबूजे की भांति फल पर 6 रेखाएं 6 खंडों का प्रतीक होती हैं। फल की गुठली में 6 कोष होते हैं, छोटे आंवलों में गूदा कम, रेशेदार और गुठली बड़ी होती है, औषधीय प्रयोग के लिए छोटे आंवले ही अधिक उपयुक्त होते हैं।
चिकित्सकीय प्रयोग
बालों के रोग : आंवले का चूर्ण पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। सुबह इस पानी से रोजाना बाल धोने से उनकी जड़े मजबूत होंगी, उनकी सुंदरता बढ़ेगी और मेंहदी मिलाकर बालों में लगाने से वे काले हो जाते हैं।
आंखों (नेत्र) के रोग :
पाचन सम्बंधी विकार :
पकाये हुए आंवलों को घियाकस कर लें, उसमें उचित मात्रा में कालीमिर्च, सोंठ, सेंधानमक, भुना जीरा और हींग मिलाकर छाया में सुखाकर सेवन करें। इससे अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना), अग्निमान्द्य (अपच) व मलावरोध दूर हो जाता है तथा भूख में वृद्धि होती है।
योनि की जलन, सूजन और खुजली :
खाज-खुजली :
भगन्दर :
आंवले का रस, हल्दी और दन्ती की जड़ 5-5 ग्राम की मात्रा में लें और इसको अच्छी तरह से पीसकर इसे भगन्दर पर लगाने से घाव नष्ट होते हैं।
जोड़ों के दर्द :
अर्श (बवासीर) :
स्वप्नदोष :
त्वचा (चर्म) रोग :
आवाज का बैठना :
प्रमेह (वीर्य विकार) :
दांतों का दर्द :
पायरिया (मसूढ़ों में पीव का आना) :
आंवले को आग में जलाकर उसके राख में थोडा-सा सेंधानमक मिलाकर बारीक पीसकर पॉउडर बना लें। इसके पॉउडर को सरसों के तेल में मिलाकर रोजाना मंजन करने से पायरिया ठीक होता है तथा मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
पेट की गैस :
एक चम्मच आंवले के रस में थोड़ा-सा देशी घी और खांड को मिलाकर सेवन करें। इससे पेट की गैस के साथ-साथ गठिया की बीमारी भी दूर हो जाती है।
मधुमेह (डायबिटीज) :
बिस्तर पर पेशाब करना :
मुंह के छाले :
बालों को काला करना :
जोड़ों के दर्द :
नेत्र-शक्ति बढ़ाने के लिए :
आंवले के सेवन से आंखों की दृष्टि बढ़ती है। 250 मिलीलीटर पानी में 6 ग्राम सूखे आंवले को रात को भिगो दें। प्रात: इस पानी को छानकर आंखें धोयें। इससे आंखों के सब रोग दूर होते हैं और आंखों की दृष्टि बढ़ती है। सूखे आंवले के चूर्ण की 1 चाय की चम्मच की फंकी रात को पानी से लें।
जवानी बनाएं रखना :
सूखा आंवला पीस लें। इसे 2 चम्मच भरकर रोटी के साथ रोजाना खाने से जवानी बनी रहेगी और बुढ़ापा देर से आयेगा।
हृदय की निर्बलता :
निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) :
- वैज्ञानिक नाम - रिबीस यूवा-क्रिस्पा
- अंग्रेजी- एमब्लिक माइरोबेलन, इंडियन गोसबेरी
- लैटिन - एमब्लिका ऑफिसिनेलिस
- प्रकृति : शीतल (ठंडी)
- मात्रा : आंवले का रस 10 से 20 मिलीलीटर। चूर्ण 5 से 10 ग्राम
- प्रोटीन- 0.5 %
- वसा- 0.1 %
- रेशा- 3.4 %
- खनिज द्रव्य- 0.7 %
- कार्बोहाइड्रेट- 14.1 %
- पानी- 81.2 %
- विटामिन- C लगभग आधा ग्राम
- कैल्शियम- 0.05 %
- फास्फोरस- 0.02 %
- लौह- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग/100 ग्रा
चिकित्सकीय प्रयोग
बालों के रोग : आंवले का चूर्ण पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। सुबह इस पानी से रोजाना बाल धोने से उनकी जड़े मजबूत होंगी, उनकी सुंदरता बढ़ेगी और मेंहदी मिलाकर बालों में लगाने से वे काले हो जाते हैं।
आंखों (नेत्र) के रोग :
- लगभग 20-50 ग्राम आंवले के फलों को अच्छी तरह से पीसकर 2 घंटे तक 500 मिलीलीटर ग्राम पानी में उबालकर उस जल को छानकर दिन में 3 बार आंखों में डालने से आंखों के रोगों में बहुत लाभ होता है।
- वृक्ष पर लगे हुये आंवले में छेद करने से जो द्रव पदार्थ निकलता है। उसका आंख के बाहर चारों ओर लेप करने से आंख के शुक्ल भाग की सूजन मिटती है।
- आंवले के रस को आंखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस 4 ग्राम तथा सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग इन्हें एक साथ मिलाकर आंखों में लगाने से शुरुआती मोतियाबिंद (नूतन अभिष्यन्द) नष्ट होता है
- लगभग 6 ग्राम आंवले को पीसकर ठंडे पानी में भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उन आंवलों को निचोड़कर फेंक दें और उस जल में फिर दूसरे आंवले भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उनको भी निचोड़ कर फेंक दें। इस प्रकार 3-4 बार करके उस पानी को आंखों में डालना चाहिए। इससे आंखो की फूली मिटती है।
- आंवले का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आंवले के साथ हरा धनिया पीसकर खाने से भी आंखों के रोग में लाभ होता है।
- पिपली, आंवला, सोंठ इनके 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा एक चम्मच शहद मिलाकर बार-बार प्रयोग करने से हिचकी तथा श्वास रोग शांत होते हैं।
- आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस और 2-3 ग्राम पीपल का चूर्ण, 2 चम्मच शहद के साथ दिन में सुबह और शाम सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
- 10 मिलीलीटरआंवले के रस में 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण और 5 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से हिचकियों से राहत मिलती है।
- आंवला, सोंठ, छोटी पीपल और शर्करा के चूर्ण का सेवन करने से हिचकी नहीं आती है।
- आंवले के मुरब्बे की चाशनी के सेवन से हिचकी में बहुत लाभ होता है।
पाचन सम्बंधी विकार :
पकाये हुए आंवलों को घियाकस कर लें, उसमें उचित मात्रा में कालीमिर्च, सोंठ, सेंधानमक, भुना जीरा और हींग मिलाकर छाया में सुखाकर सेवन करें। इससे अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना), अग्निमान्द्य (अपच) व मलावरोध दूर हो जाता है तथा भूख में वृद्धि होती है।
योनि की जलन, सूजन और खुजली :
- आंवले का रस 20 मिलीलीटर, 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम मिश्री को मिलाकर मिश्रण बना लें, फिर इसी को पीने से योनि की जलन समाप्त हो जाती है।
- आंवले के रस में चीनी को डालकर 1 दिन में सुबह और शाम प्रयोग करने से योनि की जलन मिट जाती है।
- आंवले को पीसकर उसका चूर्ण 10 ग्राम और 10 ग्राम मिश्री को मिलाकर 1 दिन में सुबह और शाम खुराक के रूप में सेवन करने से योनि में होने वाली जलन मिट जाती है |
- जिस स्त्री के गुप्तांग (योनि) में जलन और खुजली हो, उसे आंवले का रस, शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
खाज-खुजली :
- आंवले की गुठली को जलाकर उसकी राख बना लें और फिर उस राख में नारियल का तेल मिलाकर शरीर के जिस भाग में खुजली हो वहां पर इसको लगाने से खुजली जल्दी दूर हो जाती है।
- 100 मिलीलीटर चमेली के तेल में 25 मिलीलीटर आंवले का रस मिलाकर शीशी में भरकर रख लें और फिर इसे दिन में 4-5 बार खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
भगन्दर :
आंवले का रस, हल्दी और दन्ती की जड़ 5-5 ग्राम की मात्रा में लें और इसको अच्छी तरह से पीसकर इसे भगन्दर पर लगाने से घाव नष्ट होते हैं।
जोड़ों के दर्द :
- 20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह 250 मिलीलीटर शेष तो इसे छानकर सुबह-शाम पिलाने से गठिया में लाभ होता है परन्तु इलाज के दौरान नमक छोड़ देना चाहिए।
- सूखे आंवले को कूट-पीस लें और उसके चूर्ण से 2 गुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर बेर के आकार की गोलियां बना लें। 3 गोलियां रोजाना लेने से जोड़ों का खत्म होता है।
- आंवला और हरड़ 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण गर्म जल के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से जोड़ों (गठिया) का दर्द खत्म हो जाता है।
- एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले और 50 ग्राम गुड़ डालकर उबालें। चौथाई पानी रहने पर इसे छानकर 2 बार रोज पिलाएं। इस अवधि में बिना नमक की रोटी तथा मूंग की दाल में सेंधानमक, कालीमिर्च डालकर खाएं। इस प्रयोग के समय ठंडी हवा से बचें।
अर्श (बवासीर) :
- आंवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।
- बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
- सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
- सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।
- आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें। आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।
स्वप्नदोष :
- मुरब्बे का आंवला नित्य खाने से लाभ होता है।
- एक कांच के गिलास में सूखे आंवले 20 ग्राम पीसकर डालें। इसमें 60 मिलीलीटर पानी भरें और फिर 12 घंटे भीगने दें। फिर छानकर इस पानी में 1 ग्राम पिसी हुई हल्दी डालकर पीएं। यह युवकों के स्वप्नदोष में लाभ करता है |
- बच्चे को 1 ताजा आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने के लिये दें। इससे जीभ पतली, आवाज साफ, हकलाना और तुतलापन दूर होता है।
- हकलाने और तुतलाने पर कच्चे, पके हरे आंवले को कई बार चूस सकते हैं। (नाइटफाल) के लिए बहुत ही उपयोगी है |
- हस्त-मैथुन से धातु (वीर्य) पतला हो गया हो तो सबसे पहले इस हस्त-मैथुन की आदत छोड़ दें। आंवलों तथा हल्दी को समान मात्रा में पीसकर घी डालकर भूनें। सिंकने के बाद इसमें दोनों के वजन के बराबर पिसी हुई मिश्री मिला लें। 1 चाय के चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध से इसकी फंकी लेनी चाहिए।
- हस्त-मैथुन से धातु (वीर्य) पतला हो गया हो तो सबसे पहले इस हस्त-मैथुन की आदत छोड़ दें। आंवलों तथा हल्दी को समान मात्रा में पीसकर घी डालकर भूनें। सिंकने के बाद इसमें दोनों के वजन के बराबर पिसी हुई मिश्री मिला लें। 1 चाय के चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध से इसकी फंकी लेनी चाहिए।
त्वचा (चर्म) रोग :
- तीन चम्मच पिसे हुए आंवले के रस को रात में एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उस पानी को छानकर उसमें 4 चम्मच शहद मिलाकर पीने से चमड़ी के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
- आंवले के रस में शहद मिलाकर पीने से सभी तरह के चमड़ी के रोगों में लाभ होता है।
- आंवले का रस, कालीमिर्च और गंधक को बराबर की मात्रा में लेकर उसमें दो गुना घी मिला लें और चमड़ी पर लगायें। उसके बाद हल्की धूप में बैठे। इससे खुजली ठीक हो जाती है।
आवाज का बैठना :
- अजमोद, हल्दी, आंवला, यवक्षार, चित्रक इनको समान मात्रा में मिलाकर, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ चाटने से आवाज का बैठना ठीक हो जाता है।
- एक चम्मच पिसे हुए आंवले को गर्म पानी से फंकी लेने से बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज साफ आने लगती है।
- कच्चे आंवले बार-बार चूस-चूसकर खाएं।
प्रमेह (वीर्य विकार) :
- आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागर-मोथा, दारू-हल्दी, देवदारू इन सबको समान मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर 10-20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम प्रमेह के रोगी को पिला दें।
- आंवला, गिलोय, नीम की छाल, परवल की पत्ती को बराबर-बराबर 50 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में रातभर भिगो दें। इसे सुबह उबालें, उबलते-उबलते जब यह चौथाई मात्रा में शेष बचे तो इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पित्तज प्रमेह नष्ट होती है।
दांतों का दर्द :
- आंवले के छाल और पत्तों को पानी के साथ उबाल लें। इसके पानी से प्रतिदिन दो बार कुल्ला करने से दांतों का दर्द नष्ट होता है।
- सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर मंजन बना लें। इससे दांतों पर रोजाना मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं तथा दर्द में आराम रहता है।
- आंवले के रस में थोड़ा सा कपूर मिलाकर दांत पर लगायें। इससे कीड़े लगे हुए दांत का दर्द दूर हो जायेगा।
- आंवले के रस में कपूर मिलाकर पीड़ित दांत में लगाएं।
पायरिया (मसूढ़ों में पीव का आना) :
आंवले को आग में जलाकर उसके राख में थोडा-सा सेंधानमक मिलाकर बारीक पीसकर पॉउडर बना लें। इसके पॉउडर को सरसों के तेल में मिलाकर रोजाना मंजन करने से पायरिया ठीक होता है तथा मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
पेट की गैस :
एक चम्मच आंवले के रस में थोड़ा-सा देशी घी और खांड को मिलाकर सेवन करें। इससे पेट की गैस के साथ-साथ गठिया की बीमारी भी दूर हो जाती है।
मधुमेह (डायबिटीज) :
- 10 मिलीलीटर आंवले का रस, 1 ग्राम हल्दी, 3 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
- मुनक्का 10-20 पीस, अंजीर 5 पीस, सौंफ, सनाय, अमलतास का गूदा 3-3 ग्राम तथा गुलाब के फूल 3 ग्राम, इन सबके काढ़े में गुलकन्द मिलाकर पीने से दस्त साफ होता है।
- पांच ग्राम या 4 चम्मच ताजे आंवले के रस में 1 चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोगी को फायदा होता है।
- 100 ग्राम सूखा आंवला और 100 ग्राम सौंफ को बारीक पीस लें। इसे 6-6 ग्राम सुबह-शाम खाने से 3-4 माहीने में मधुमेह रोग मिट जाता है।
- दो चम्मच ताजे आंवले का रस शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन से मधुमेह में लाभ होता है।
- थोड़ा सूखा आंवला लेकर उसमें 100 ग्राम जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण में से 1 चम्मच चूर्ण रोजाना बिना कुछ खाये पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह मे लाभ होता है।
- आंवले के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
बिस्तर पर पेशाब करना :
- 10 ग्राम आंवला और 10 ग्राम काला जीरा लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 10 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। यह 2-2 ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ खाने से बच्चे का बिस्तर में पेशाब करना बंद हो जाता है।
- आंवले को बहुत अच्छी तरह से बारीक पीसकर कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। यह 3-3 ग्राम चूर्ण रोजाना शहद में मिलाकर बच्चों को सुबह और शाम चटाने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते हैं।
- आंवले का चूर्ण और काला जीरा बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। तैयार चूर्ण की आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर, 1-1 चम्मच दिन में 3 बार, 1 हफ्ते तक नियमित रूप से खिलाएं।
मुंह के छाले :
- आंवले के पत्तों का काढ़ा बनाकर मुंह में कुछ देर रखकर गरारे व कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
- आंवला 25 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, सफेद इलायची 5 ग्राम तथा मिश्री 25 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें। 2 चुटकी चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के छाले मिटते हैं।
- आंवले के चूर्ण में लहसुन की 1 जबा (दाना) भूनकर चूर्ण बनाकर मिला लें। यह मिश्रण 2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे पेट का कब्ज मिटाकर छाले समाप्त होते हैं।
बालों को काला करना :
- सूखे आंवले का चूर्ण नींबू के रस के साथ पीसकर बालों में लेप करने से बाल काले हो जाते हैं।
- आंवला और लोहे का चूर्ण पानी के साथ पीसकर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
- 500 ग्राम सूखा आंवला, 200 ग्राम शहद, 200 ग्राम मिश्री और 2 लीटर पानी। आंवले को कूटकर रात को भिगो दें। इसे सुबह मसलकर छान लें। इस छाने पानी में शहद और मिश्री मिलाकर बोतल में भरकर रख दें। इसे सुबह-शाम 20-20 ग्राम खाने के साथ लें। इसके सेवन से पेट की गर्मी, कब्ज मिट जाती है और दिमागी चेतना बढ़ती है, उम्र से पहले आये सफेद बाल काले होने लगते हैं।
जोड़ों के दर्द :
- 20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह 250 मिलीलीटर शेष तो इसे छानकर सुबह-शाम पिलाने से गठिया में लाभ होता है परन्तु इलाज के दौरान नमक छोड़ देना चाहिए।
- सूखे आंवले को कूट-पीस लें और उसके चूर्ण से 2 गुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर बेर के आकार की गोलियां बना लें। 3 गोलियां रोजाना लेने से जोड़ों का खत्म होता है।
- आंवला और हरड़ 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण गर्म जल के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से जोड़ों (गठिया) का दर्द खत्म हो जाता है।
- एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले और 50 ग्राम गुड़ डालकर उबालें। चौथाई पानी रहने पर इसे छानकर 2 बार रोज पिलाएं। इस अवधि में बिना नमक की रोटी तथा मूंग की दाल में सेंधानमक, कालीमिर्च डालकर खाएं। इस प्रयोग के समय ठंडी हवा से बचें।
नेत्र-शक्ति बढ़ाने के लिए :
आंवले के सेवन से आंखों की दृष्टि बढ़ती है। 250 मिलीलीटर पानी में 6 ग्राम सूखे आंवले को रात को भिगो दें। प्रात: इस पानी को छानकर आंखें धोयें। इससे आंखों के सब रोग दूर होते हैं और आंखों की दृष्टि बढ़ती है। सूखे आंवले के चूर्ण की 1 चाय की चम्मच की फंकी रात को पानी से लें।
जवानी बनाएं रखना :
सूखा आंवला पीस लें। इसे 2 चम्मच भरकर रोटी के साथ रोजाना खाने से जवानी बनी रहेगी और बुढ़ापा देर से आयेगा।
हृदय की निर्बलता :
- आधा भोजन करने के बाद हरे आंवलों का रस 35 ग्राम, आधा गिलास पानी में मिलाकर पी लें, फिर आधा भोजन करें। इस प्रकार 21 दिन सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है।
- आंवले का मुरब्बा खाकर प्रतिदिन दूध पीने से शारीरिक शक्ति विकसित होने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
- सूखा आंवला तथा मिश्री 50-50 ग्राम मिलाकर खूब कूट-पीस लें। छ: ग्राम औषधि प्रतिदिन एक बार पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में हृदय की धड़कन तथा अन्य रोग सामान्य हो जाते हैं।
निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) :
- आंवलों के 20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम मधु मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।
- आंवले या सेब का मुरब्बा प्रतिदिन खाने से कुछ सप्ताह में लाभ होने लगता है।
No comments:
Post a Comment