Friday, February 10

मिर्गी रोग में रामबाण है यह मुफ्त का इलाज !


By- Dr. Kailash Dwivedi

इस मुद्रा में हाथ की आकृति मृग के सिर के समान हो जाती है इसीलिए इसे मृगी मुद्रा  कहा जाता है।

विधि  :

हाथ की अनामिका और मध्यमा अंगुली (बीच की दोनों अंगुली)  को अंगूठे के आगे के भाग से स्पर्श कराएँ |बाकी बची दोनों अंगुलियाँ कनिष्ठा एवं तर्जनी अंगुली को सीधा रखें।

लाभ  :


  • मृगी मुद्रा मिर्गी के रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
  • इसके नियमित अभ्यास से सिरदर्द और दिमागी परेशानी में लाभ मिलता है।
  • मृगी मुद्रा से दन्त रोग एवं सायिनस रोग में भी लाभ मिलता है।


मुद्रा करने का समय व अवधि  :

मृगी मुद्रा को प्रातः,दोपहर एवं सायं 16-16 मिनट करना उपयुक्त है।

घरेलू चिकित्सा  :




  1. अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत लाभदायक माना गया है। 250-300 ग्राम अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब ६ माह करने से आश्चर्यकारी सुखद परिणाम मिलते हैं।
  2. मिर्गी के रोगी के पैरों तलवों में आक की आठ-दस बूंदे प्रतिदिन  शाम के समय मलें। ऐसा 2 महीनों तक रोजाना करें। इससे काफी लाभ मिलेगा।
  3. मिर्गी के रोगी के लिए शहतूत एवं सेब का रस लाभदायक होता है।  
  4. तुलसी की पत्तियों के साथ कपूर सुंघाने से मिर्गी के रोगी को होश आ जाता है।
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