By- Dr. Kailash Dwivedi
लेटिन नाम : सोलेनम ट्यूबरोसस
प्रकृति : शुष्क और गर्म। यह रोटी से जल्दी पचता है। यह सम्पूर्ण आहार है।
आलू में पाए जाने वाले तत्व
- प्रोटीन - 1.6%
- कार्बोहाइड्रेट - 22.9%
- पानी - 74.7%
- विटामिन A - 40 I.U./100 ग्राम
- कैल्शियम - 0.01%
- फास्फोरस - 0.03%
- लौह - लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग/100 ग्राम
आलू को ताजे पानी से अच्छी तरह धोकर छिलके सहित कद्दूकस करके इस लुगदी को कपड़े में दबाकर रस निकाल लें। इस रस को 1 घंटे तक ढंककर रख दें। जब सारा कचरा, गूदा नीचे जम जाए तो ऊपर का निथरा रस अलग करके काम में लें।
आलू के औषधीय प्रयोग
बेरी-बेरी का सरलतम् सीधा-सादा अर्थ है-”चल नहीं सकता” इस रोग से जंघागत नाड़ियों में कमजोरी का लक्षण विशेष रूप से होता है। आलू पीसकर या दबाकर रस निकालें, एक चम्मच की मात्रा के हिसाब से प्रतिदिन चार बार पिलाएं। कच्चे आलू को चबाकर रस निगलने से भी यह लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
गोरापन :
आलू को पीसकर त्वचा पर मलने से रंग गोरा हो जाता है।
चेहरे की झांई के लिए :
अगर चेहरे पर चेचक या मुंहासों के दाग या झांइयां हो तो कच्चे आलू को पीसकर 3-3 बूंद ग्लिसरीन, सिरका और गुलाब का रस मिलाकर फेस पैक बना लें। इसे रोजाना तीन मिनट तक चेहरे पर अच्छी तरह रगड़-रगड़ कर लगाने से चेहरे के दाग और झांइयां बहुत ही जल्दी दूर हो जाती हैं।
हाथों की झुर्रियां :
कच्चे आलू के रस से मालिश करने से हाथों पर झुर्रियां (सिलवटें) नहीं पड़ती हैं।
दाद के रोग में :
कच्चे आलू का रस पीने से दाद ठीक हो जाता है।
बिवाई के फटने पर :
सूखे और फटे हुए हाथों को ठीक करने के लिए आलू को उबाल लें, फिर उसका छिलका हटाकर पीसकर उसमें जैतून का तेल मिलाकर हाथों पर लगायें तथा लगाने के 10 मिनट बाद हाथों को धोने से लाभ होता है।
गठिया या जोड़ों का दर्द :
गर्म राख में चार आलू सेंक ले और फिर उनका छिलका उतारकर नमक मिर्च डालकर नित्य खाएं। इस प्रयोग से गठिया ठीक हो जाती है।
सूजन :
कच्चे आलू को सब्जी की तरह काट लें। जितना वजन आलू का हो, उसके लगभग 2 गुना पानी में उसे उबालें। जब मात्र एक भाग पानी शेष रह जाए तो उस पानी से चोट से उत्पन्न सूजन वाले अंग को धोकर सेंकने से लाभ होगा।
मोटापा :
आलू मोटापा नहीं बढ़ाता है। आलू को तलकर तीखे मसाले घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है। आलू को उबालकर या गर्म रेत अथवा गर्म राख में भूनकर खाना लाभकारी है।
चोट लगने पर :
चोट लगने पर उस स्थान पर नीले रंग का निशान पड़ जाता है। उस नीली पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाने से निशान मिट जाता है।
एसिडिटी :
आलू की प्रकृति क्षारीय है जो अम्लता को कम करती है। जिन रोगियों के पाचन अंगों में अम्लता की अधिकता है, खट्टी डकारें आती है और वायु (गैस) अधिक बनती है, उनके लिए गरम-गरम राख या रेत में भुना हुआ आलू बहुत ही लाभदायक है। भुना हुआ आलू गेहूं की रोटी से आधे समय में पच जाता है। यह पुरानी कब्ज और अन्तड़ियों की दुंर्गध को दूर करता है। आलू में पोटैशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।
कमर दर्द :
कच्चे आलू के गूदे को पीसकर पट्टी में लगाकर कमर पर बांधने से कमर दर्द दूर हो जाता है।
पीलिया का रोग :
आलू या उसके पत्तों का क्वाथ (काढ़ा) बनाकर पिलाने से पीलिया में लाभ होता है।
पेट की गैस बनना :
कच्चे आलू को पीसकर उसका रस पीने से आराम मिलता है।
जलने पर :
आलू को बारीक पीसकर शरीर में जले हुए भाग पर मोटा-मोटा सा लेप कर दें जिससे कि जले हुए भाग पर हवा न लगे। ऐसा करने से जलन मिट जाती है और आराम आ जाता है।
loading...
No comments:
Post a Comment