Friday, May 8

सूर्यभेदी प्राणायाम



 विधिः 

  1. किसी भी ध्यानात्मक आसन जैसे- पद्मासन,सिद्धासन अथवा  सुखासन में बैठकर बायें नासाछिद्र  को बंद कर लें एवं  दायें नासाछिद्र से धीरे-धीरे श्वास भरें। 
  2. जालन्धर बन्ध लगाकर तब तक अन्तः कुम्भक करें जब तक सिर-से लेकर पाँव तक पसीना न आ जाए |अर्थात अधिकाधिक जितने समय तक रोक सकते हैं उतने समय तक वायु को अन्दर ही रोक कर रखें तत्पश्चात श्वास को  बाएं नासाछिद्र से बाहर निकाल दें |
  3. फिर दायें नासाछिद्र से श्वास भरकर अन्तः कुम्भक करें एवं बाएं नासाछिद्र से श्वास को छोड़ दें | इस प्रकार 3 से 5 चक्र  इस क्रिया को दोहराएँ |
लाभ : 
सूर्यभेदी प्राणायाम नियमित रूप से करने से कफ-सम्बन्धी समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं।
सर्दी, खाँसी जुकाम दूर हो जाते हैं व पुराना जमा हुआ कफ पिघल जाता है।
इस प्राणायाम से शरीर की अग्नि प्रदीप्त होती है जिससे पाचन शक्ति भी प्रबल हो जाती है |
सावधानियां :                                                                                                                                                                 
जिन व्यक्तियों का ब्लड प्रेशर हाई रहता हो उन्हें सुर्यभेदी  प्राणायाम नहीं करना चाहिए |
शरीर की बढ़ी हुयी गर्मी की अवस्था में भी यह  निषेध है |

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