By- Dr.Kailash Dwivedi
विधि :
- भूमि पर आसन बिछाकर पीठ के बल लेट जाएँ |दोनों पैर जमीन पर सीधे रखें |
- श्वास भरते हुए दाहिने पैर को घुटने से मोड़ लें | दोनों हाथों की उँगलियों को आपस में फंसाकर दोनों हाथों के बीच घुटने को लाकर हथेलियों को घुटने के बाहरी तरफ जमायें |
- श्वास बाहर छोड़ते हुए एवं हथेलियों का दबाब घुटने पर बनाते हुए पैर को पेट की तरफ मोड़ें |
- घुटने से मुड़े पैर से पेट पर पूरा दबाब बनायें एवं सिर को उठाकर ठोड़ी का स्पर्श घुटने से कराएँ |
- श्वास को बाहर रोके हुए आराम से जितनी देर रुक सकते हों, इसी स्थिति में रुकें तत्पश्चात सिर को वापस भूमि पर टिकाएं व श्वास भरते हुए पेट पर से पैर का दबाब हटा लें तथा पैर को सीधा कर लें |
- इस क्रम को 5 बार दोहराएँ | तत्पश्चात बाएं पैर से इसी क्रम को 5 बार करने के बाद दोनों पैरों से एक साथ इसी क्रम को 5 बार करें |
लाभ :
- पवन मुक्तासन अपने नाम के अनुसार शरीर से वायु (गैस) को मुक्त करता है |
- यह पाचन संस्थान को मजबूत बनाता है एवं कब्ज को दूर करता है |
- पवन मुक्तासन के नियमित अभ्यास से पेट की अतिरिक्त चर्बी कम हो जाती है।
- यह आसन आंतों से सम्बंधित रोगों को दूर करने का अचूक साधन है |
- स्त्रियों के लिए गर्भाशय सम्बन्धी रोगों में पवनमुक्तासन अत्यंत लाभकारी है।
- इस आसन से मेरूदंड और कमर के नीचे के हिस्से में मौजूद तनाव दूर होता है।
- सामान्य कमर दर्द में भी यह आसन लाभकारी है, परन्तु दर्द की तीव्र अवस्था में अपने योग शिक्षक की सलाह लेने के बाद ही यह आसन करें |
सावधानियां :
- उच्च रक्तचाप की अवस्था में यह आसन नही करना चाहिए |
- स्लिप डिस्क एवं साइटिका रोग में यह आसन निषेध है |
- यदि घुटनों में दर्द है तो हथेलियों का दबाब घुटनों के नीचे जांघ कर देना उचित है |
- गर्दन के दर्द की अवस्था में सिर को उठाकर ठोड़ी को घुटने से न लगायें सिर्फ पैर का दबाब पेट पर बनायें |
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